जर्मनी में दो लड़कियों पर चाकू से हमला, एक की मौत
६ दिसम्बर २०२२जर्मनी पुलिस ने कहा है कि उस 14 वर्षीय किशोरी की मृत्यु हो गई है, जिस पर स्कूल जाते वक्त चाकू से हमला हुआ था. एक और 13 वर्षीय किशोरी गंभीर रूप से घायल है. सोमवार को स्कूल जाते वक्त इन किशोरियों पर हमला हुआ था.
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जर्मनी के दक्षिण पश्चिमी शहर उल्म के पास एक कस्बे इलेरकर्षबर्ग में सोमवार सुबह करीब 7.30 बजे स्कूल जाते वक्त दो किशोरियों पर चाकू से हमला हुआ था. इस हमले में घायल हुई एक 14 वर्षीय किशोरी की अस्पताल में मौत हो गई है. दूसरी 13 वर्षीय किशोरी गंभीर रूप से घायल है लेकिन उसकी जान को खतरा नहीं है. दोनों ही पीड़ित जर्मन नागरिक हैं.
उल्म पुलिस ने बताया, "डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका.”
शरणार्थी गिरफ्तार
इस घटना में एक 27 वर्षीय युवक को गिरफ्तार किया गया है. हमले की जगह के नजदीक एक शरणार्थी शिविर से इस युवक को गिरफ्तार किया गया जो इरीट्रिया का रहने वाला है. पुलिस के मुताबिक यह युवक एक शरणार्थी है. दो अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने बताया कि घटना के बाद उन्होंने जब पास की एक इमारत की तलाशी ली तो युवक को चाकू के साथ पकड़ा गया. उसे भी अस्पताल ले जाया गया जहां उसका इलाज हो रहा है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उसे क्या चोट लगी है जिसका इलाज किया जा रहा है.
फिलहाल पुलिस ने हमले को लेकर किसी तरह की राय जाहिर नहीं की है और कहा है कि इस बारे में जांच की जा रही है कि हमले का मकसद क्या रहा होगा. यह भी स्पष्ट नहीं है कि युवक पीड़ितों को पहले से जानता था या नहीं.
'शरणार्थियों पर संदेह ना करें'
अपने बयान में पुलिस ने लोगों से अनुरोध किया है कि शरणार्थियों या विदेशियों को लेकर किसी तरह का संदेह ना करें. पुलिस प्रवक्ता वोल्फगांग युरगेंस ने कहा, "इस घटना से जुड़ा सब कुछ अभी अस्पष्ट है.”
जर्मनी के सर्वोच्च सुरक्षा अधिकारी ने घटना पर खेद जाहिर किया है. गृह मंत्री नैंसी फेजर ने ट्विटर पर कहा, "मुझे उस लड़की की मौत पर बेहद दुख है. उम्मीद है कि घायल लड़की जल्द स्वस्थ होगी. उनके परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं.”
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार इटली ने आने दिए 500 शरणार्थी
इलेरकर्षबर्ग एक छोटा सा कस्बा है जिसकी आबादी 5,000 से भी कम है. वहां के मेयर मार्कुस होएजलर ने कहा कि कस्बे में हर कोई सदमे में है. जर्मनी में आने वाले शरणार्थियों को एक जगह नहीं रखा जाता है और उन्हें अलग-अलग शहरों व कस्बों में भेजा जाता है. पूरे देश में समान बंटवारे की यह नीति द्वीतीय विश्व युद्ध के समय से ही लागू है.
वीके/एनआर (रॉयटर्स)