घटती जन्म दर कैसे बढ़ा रही है गरीब देशों पर बोझ
२२ मार्च २०२४हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक दुनिया के सभी देशों में जन्म दर घटती जा रही है. नतीजतन, सदी के अंत तक इन सभी देशों में जनसंख्या के स्तर को बनाए रखना एक चुनौती होगी. साथ ही इस स्टडी में ज्यादातर जन्म गरीब देशों में होने की संभावना जताई गई है. मेडिकल जर्नल 'लैंसेट' में छपी यह स्टडी बताती है कि 204 में से 155 यानी 76 फीसदी देशों में जन्म दर 2050 तक जनसंख्या प्रतिस्थापन के स्तर से कम रहने की उम्मीद है. रिसर्चरों का अनुमान है कि 2100 तक ऐसे देशों की संख्या बढ़कर 198 यानी करीब 97 फीसदी हो जाएगी.
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के सीनियर रिसर्चर स्टाइन एमिल वोलसेट के मुताबिक घटते जन्म दर के इस ट्रेंड के तहत ज्यादातर बच्चे गरीब देशों में पैदा होंगे जहां आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता की अधिक संभावना है.
यह स्टडी बीमारियों, चोटों और जोखिम कारकों के वैश्विक बोझ के अध्ययन से जुड़ी हुई है. इसमें 1950 से 2021 तक के सर्वे, सेंसस और अलग-अलग स्रोत से जुटाए गए आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है. स्टडी बताती है कि निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में करीब एक तिहाई से अधिक लाइव बर्थ होंगे. रिसर्चर की मानें तो इनमें से भी आधे से अधिक लाइव बर्थ उप सहारा अफ्रीका इलाके में होंगे.
दक्षिण कोरिया और सर्बिया की हालत अधिक चुनौतीपूर्ण
वैश्विक स्तर पर प्रति महिला जन्म दर 1950 में 5 बच्चे थी जो 2021 में घटकर 2.2 हो गई है. 2021 में 110 देशों में जनसंख्या प्रतिस्थापन की दर प्रति महिला गिरकर 2.1 बच्चे हो गई. यह स्टडी इस बात पर भी जोर देती है कि दक्षिण कोरिया और सर्बिया जैसे देशों में हालात अधिक चिंताजनक हैं. यहां प्रति महिला जन्म दर केवल 1.1 है. नतीजतन इन देशों में कार्यबल भी घटता जा रहा है.
वोलसेट के मुताबिक संसाधनों की कमी वाले देश इस जद्दोजहद से गुजरेंगे कि अपने यहां सबसे तेजी से बढ़ती युवाओं की आबादी का समर्थन कैसे किया जाए. चूंकि ये उन देशों में शामिल हैं जो आर्थिक, राजनीतिक अस्थिरता, सबसे गर्म वातावरण और जर्जर स्वास्थ्य प्रणाली का भी सामना कर रहे है.
घटती जन्म दर यानी महिलाओं के लिए बेहतर मौके?
दूसरी तरफ उच्च आय वाले देशों में गिरती प्रजनन दर महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अधिक मौकों की ओर इशारा करती है. रिसर्चर ने कहा कि यह ट्रेंड बताता है कि दूसरे इलाकों में महिलाओं की आधुनिक गर्भनिरोधकों और शिक्षा तक पहुंच को बेहतर करना कितनी जरूरी है.
इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन से ही जुड़ीं नतालिया भट्टाचार्जी ने कहा कि आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए हर उस देश में जहां की जनसंख्या सिकुड़ती जा रही है, अप्रवासन जरूरी हो जाएगा. रिपोर्ट के लेखकों ने यह भी कहा कि ये अनुमान पुराने आंकड़ों की गुणवत्ता और संख्या को देखते हुए काफी सीमित हैं. खासकर 2020- 2021 के बीच क्योंकि इस दौरान पूरी दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी.
आरआर/आरपी (रॉयटर्स)