'स्पाइडर मैन' का स्वच्छता अभियान
१२ फ़रवरी २०२०इंडोनेशिया के पारेपारे में कैफे में काम करने वाला एक कर्मचारी रूडी हार्टोनो अपने तटीय समुदाय को यह समझाने की कोशिश में है कि वे भी उसकी तरह तटों और सड़कों पर बिखरे कूड़े को उठाएं. 36 साल के हार्टोनो कहते हैं, "पहली बार मैंने यह काम बिना पोशाक पहने किया था और मैंने जो किया उसने जनता का ध्यान आकर्षित नहीं किया." अब स्पाइडर मैन की तरह की पोशाक पहन कर सफाई करने वाले हार्टोनो बताते हैं, "इस वेशभूषा के कारण मिली लोगों की प्रतिक्रिया अद्भुत है."
इंडोनेशिया के कई इलाकों में कचरे से निपटने के लिए संगठित सार्वजनिक सेवाओं की कमी है, खासतौर पर प्लास्टिक के कचरे से निपटने के लिए. अकसर प्लास्टिक के कचरे का आखिरी ठिकाना या तो कोई नदी या फिर समुद्र होता है. इंडोनेशिया दुनिया का चौथा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. एक अध्ययन के मुताबिक इंडोनेशिया में हर साल करीब 32 लाख टन कचरा पैदा होता है जिसमें से आधा समुद्र में जा मिलता है.
हार्टोनो काम पर जाने से पहले स्पाइडर मैन बनकर कचरा उठाते हैं. उनकी वजह से देश का ध्यान कूड़े की समस्या पर गया है. उन्होंने अखबारों को इंटरव्यू दिया है और कई टीवी शो में स्पाइडर मैन के कॉस्ट्यूम में पहुंच कर अपने मकसद के बारे में बता चुके हैं. हार्टोनो ने बताया कि अपने भतीजे का मन बहलाने के लिए उन्होंने कभी स्पाइडर मैन की पोशाक खरीदी थी. लेकिन आगे चल कर उन्होंने इसी वेशभूषा के सहारे स्वच्छता का संदेश देना शुरू किया.
पारेपारे के स्थानीय निवासी सैफुल बाहरी कहते हैं, "हमें पर्यावरण की रक्षा में समाज की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक मॉडल की जरूरत है." इंडोनेशिया के पर्यावरण मंत्रालय के 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, एक लाख चालीस हजार के करीब आबादी वाला पारेपारे रोजाना 27 लाख टन कूड़ा पैदा करता है. हार्टोनो को उम्मीद है कि सरकार उनके इस प्रयास पर अधिक बल देगी और सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर नियमों को सख्त करेगी. हार्टोनो कहते हैं, "प्लास्टिक कचरे को कम करना सबसे महत्वपूर्ण काम है क्योंकि प्लास्टिक का गलना बहुत कठिन है."
दूसरी ओर भारत में भी कचरे से निपटने के लिए सरकार और सार्वजनिक संस्थान लगातार प्रयास कर रही हैं. भारत सरकार ने पिछले साल ही एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दिए जाने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने के लिए 2022 का लक्ष्य तय किया है. सरकार चाहती है कि लोग प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करें और कपड़े के थैलों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करें.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के देश के 60 बड़े शहरों में किए गए सर्वे में सामने आया था कि शहरों से रोजाना 4,000 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इस आधार पर अनुमान लगाया गया था कि देश भर से रोजाना 25,940 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इसमें से सिर्फ 60 फीसदी यानी 15,384 टन प्लास्टिक कचरा ही इकट्ठा या रिसाइकिल किया जाता है, जबकि बाकी नदियों और नालों के जरिए समुद्र में जाकर मिल जाता है.
एए/आरपी (रॉयटर्स)
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