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जर्मनी में अपने टॉप स्टूडेंट्स को कैसे कंट्रोल करता है चीन

८ मार्च २०२३

स्कॉलरशिप के तहत विदेशों में पढ़ने वाले चीनी छात्र, कड़ी शर्तों वाले कॉन्ट्रैक्ट से बंधे होते हैं. इसमें पार्टी की विचारधारा को नमन करने जैसी शर्त भी है.

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जर्मनी में शोध करता एक चीनी छात्र
तस्वीर: Ute Grabowsky/photothek/picture alliance

विदेश में पढ़ाई एक खास किस्म की आजादी देती है. ऐसी आजादी, जिसका दुनिया भर के युवा सपना देखते हैं. बहुत सारे छात्रों का यह सपना, सरकारी स्कॉलरशिप से ही पूरा हो पाता है. लेकिन सरकार से मिलने वाला वजीफा इसे छीन भी सकता है.

डीडब्ल्यू और जर्मन प्लेटफॉर्म करेक्टिव (CORRECTIV) के एक साझा इनवेस्टिगेशन में पता चला है कि जर्मनी में पढ़ने वाली चीनी छात्र, चीन सरकार के नियमों से बंधे रहते हैं. चाइना स्कॉलरशिप काउंसिल (सीएससी) के वजीफे के तहत पढ़ाई के लिए जर्मनी आने वाले वैज्ञानिक और अकादमिक छात्र इस बंदिश का सबसे ज्यादा सामना करते हैं.

सीएससी के स्कॉलरशिप  कॉन्ट्रैक्ट 2018 के दो बिना भरे पन्ने
सीएससी के स्कॉलरशिप कॉन्ट्रैक्ट 2018 के दो बिना भरे पन्नेतस्वीर: DW


कैसी बाध्यताएं?

 

विदेश आने से पहले ही सीएससी के स्कॉलरों को एक घोषणापत्र पर दस्तखत करने होते हैं. घोषणापत्र कहता है कि वे किसी भी ऐसी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे, जो चीन की सुरक्षा का नुकसान पहुंचाती है. स्कॉलरशिप की शर्त के तहत उन्हें नियमित रूप से विदेश में चीनी दूतावास से संपर्क बनाए रखना पड़ता है. इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.

जर्मनी के करीब 30 विश्वविद्यालयों में चीन से सीएससी स्कॉलर आते हैं. कुछ संस्थानों की सीएससी से पार्टनरशिप भी है. सीएससी, सीधे तौर पर चीन के शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी है.

उदाहरण के लिए म्यूनिख की लुडविग मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी (एलएमयू) को ही लें. एलएमयू ने 2005 में चीन के डॉक्टोरल लेवल के छात्रों को ट्रेनिंग देने का समझौता किया. प्रोग्राम में अब तक 492 सीएससी स्कॉलर भाग ले चुके हैं. जर्मन यूनिवर्सिटी से जब इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तो उसने कहा, "आज भी चीन में सीएससी, एलएमयू के सबसे अहम अकादमिक साझेदारों में से एक है."

यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो के मुताबिक दोनों की साझेदारी 15वीं वर्षगांठ मना रही है. जर्मन यूनिवर्सिटी सीएससी को "अंतरराष्ट्रीय संबंधों का एक अहम पत्थर" करार देते हुए उसका आभार जता रही है. एक दूसरा उदाहरण बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी का है, जहां सीएससी के 487 डॉक्टोरल छात्र हैं. यहां भी इस साझेदारी को बहुमूल्य बताया जा रहा है.


जोखिमों की जानकारी नहीं

ऐसी साझेदारियां जब से शुरू हुईं, तब से अब तक शायद ही किसी ने चाइना स्कॉलरशिप काउंसिल (सीएससी) को लेकर कोई संदेह जताया. एलएमयू के मुताबिक, "आज भी हमें इसकी जानकारी नहीं है कि चीनी स्कॉलरों और चाइनीज सरकार के बीच कोई करार है." म्यूनिख की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी कहती है, "अकादमिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी, एलएमयू के मूलभूत सिद्धांत हैं.

अंतरराष्ट्रीय छात्रों को हम ये उदाहरणों और संवाद के लिए बताते भी हैं." बर्लिन की फ्री यूनिवर्सिटी ने डीडब्ल्यू और करेक्टिवर से कहा कि उन्हें ऐसे किसी व्यक्ति की जानकारी नहीं है, जिसने चीन सरकार के साथ ऐसे करार पर हस्ताक्षर किए हों. यूनिवर्सिटी ने यह जरूर कहा, "ये पता है कि स्कॉलरशिप की अवधि खत्म होने के बाद स्कॉलर्स को चीन लौटना पड़ता है. नहीं तो, उन्हें शायद स्कॉलरशिप का पैसा वापस चुकाना पड़ता है."

Thema Studierende aus China & Deutschland | 2016 Fu Berlin | Liu Yandong, Vize-Premierministerin
2016 में बर्लिन के चीनी दूतावास में चीनी छात्रों से मिलतीं तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लियु यांगदोंगतस्वीर: Rainer Jensen/dpa/picture alliance


क्या कहता है चीन सरकार का कॉन्ट्रैक्ट

करेक्टिव और डीडब्ल्यू के पास अलग-अलग वर्षों के सीएससी कॉन्ट्रैक्ट्स की कॉपियां हैं. सबसे ताजा 2021 की है. यह जर्मन यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे एक डॉक्टोरल छात्र के साथ सीएससी का करार है. 9 पेज का यह ऑरिजनल दस्तावेज चाइनीज भाषा में है. इसका अनुवाद किया गया और अन्य कॉक्ट्रैक्टों के साथ इसकी तुलना की गई. अंतर बहुत ही कम था.

करार का मुख्य आधार चीन सरकार के प्रति पूर्ण निष्ठा है. सीएससी के स्कॉलर इस बात की शपथ लेते हैं कि चीन वापस लौटेंगे और देश की सेवा करेंगे. इसके साथ ही वे ऐसी किसी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे, जो उनकी मातृभूमि के हितों और उसकी सुरक्षा को नुकसान पहुंचाती हो.

साथ ही, स्कॉलर को चेतना के साथ अपनी मातृभूमि के सम्मान की रक्षा करनी होगी. विदेश में दूतावासों के गाइडेंस और प्रबंधन को मानना होगा. इसके तहत जर्मनी पहुंचने के 10 दिन के भीतर ही चीनी दूतावास या कॉन्सुलेट में जाना होगा और बाद में भी लगातार उनसे संपर्क करते रहना होगा.

सीएससी के स्कॉलरों को नियमित रूप से अपनी अकादमिक प्रगति की जानकारी दूतावास या कॉन्सुलेट को देनी होगी. इन जानकारी में तीसरे पक्ष से जुड़ी जानकारी भी हो सकती है. छात्रों को अपनी निजी जानकारी और अपने मेंटर की जानकारी भी अपडेट के रूप में देनी होगी. मेंटर का मतलब प्रोफेसर और अन्य अकादमिक स्टाफ मेम्बरों से है.


परिवार के प्रति जिम्मेदारी

चीन वापस लौटने के दो साल बाद तक स्कॉलरों को देश की देश की सेवा करनी होगी. इसकी रिश्तेदारों और दोस्तों से गारंटी ली जाती है. सीएससी के हर स्कॉलर को पहले ही कम-से-कम दो पर्सनल गारंटरों के नाम देने पड़ते हैं. स्कॉलरशिप के दौरान ये गारंटर तीन महीने से ज्यादा चीन से बाहर नहीं रह सकते हैं. अगर करार की किसी शर्त का उल्लंघन हुआ, तो गारंटरों को साझा रूप से जिम्मेदार माना जाता है.

स्कॉलर अगर पढ़ाई में संतोषजनक नतीजा न दे पाए और इसका कोई "अच्छा कारण" न बता सके, तो भी स्कॉलरशिप टूट सकती है. ऐसे मामलों में फंड की गई रकम के अतिरिक्त पैसा जुर्माने के तौर पर वसूलने का प्रावधान है. चार साल की स्कॉलरशिप के दौरान छात्र को करीब 75 हजार यूरो मिलते हैं.

जर्मन शहर कोलोन में हांगकांग पर चीनी दावे का समर्थन करते चीनी छात्र.
जर्मन शहर कोलोन में हांगकांग पर चीनी दावे का समर्थन करते चीनी छात्र. ऐसे प्रदर्शनों से बीजिंग को कोई परेशानी नहीं होती है.तस्वीर: Jens Krick/Flashpic/picture alliance


सबकुछ निगरानी में

मारेइक ओलबर्ग, जर्मन मार्शल फंड में चीन पर काम करती हैं. उनके मुताबिक सीएससी के कॉन्ट्रैक्ट दिखाते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी "नियंत्रण को लेकर कितनी सनकी" है, "लोगों को लगातार इस बात के लिए प्रेरित किया जाता है कि अगर कुछ देशहित में नहीं है, तो वे दखल दें."

चीन के हितों को नुकसान पहुंचाना, कॉन्ट्रैक्ट का सबसे बड़ा उल्लंघन माना जाता है. ओलबर्ग कहती है, "यह शायद किसी संभावित अपराध से भी ऊपर है, यानी हत्या से भी ऊपर." हालांकि करार यह नहीं कहता कि चीन के हित क्या हैं. ओलबर्ग के मुताबिक विदेशों में भी चीन के लोग आजाद नहीं है, बल्कि वे पार्टी की निगरानी में बने रहते हैं.

सीएससी का कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले एक युवा छात्र ने करेक्टिव को अपने डर के बारे में बताया. उसने कहा कि वह जर्मनी में कभी किसी प्रदर्शन में भाग नहीं लेगा क्योंकि चीनी दूतावास आलोचना के प्रति "बहुत ही कठोर ढंग" से प्रतिक्रिया करता है. एक वाकया बताते हुए उसने कहा कि घर लौटने पर एयरपोर्ट पर ही उससे पूछताछ की गई, "उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या तुम फलां-फलां इंसान को जानते हो. मैंने हमेशा हां, हां ही कहा, लेकिन मुझे नहीं मालूम कि उन लोगों ने क्या किया था."

सीएससी के कॉन्ट्रैक्ट के बिना जर्मनी में पढ़ रहे पांच अन्य चीनी छात्रों ने भी इंटरव्यू के दौरान ऐसी ही चिंताएं जताईं.


पार्टी की विचारधारा को सलाम

सीएससी के महासचिव शेंग जियांशु के मुताबिक बीते पांच साल में 1,24,000 छात्रों को स्कॉलरशिप के तहत विदेश भेजा गया. दिसंबर 2022 में सरकारी स्कॉलरशिप प्रोग्राम की तारीफ करते हुए शेंग ने कहा, "हमें पहले और सबसे जरूरी ढंग से अपने मस्तिष्क को शी जिनपिंग की चीनी स्टाइल की सोशलिस्ट विचारधारा से लेस करना होगा."

डीडब्ल्यू और करेक्टिव ने बीजिंग में चाइना स्कॉलरशिप काउंसिल और बर्लिन के चीनी दूतावास को विवादित स्कॉलरशिप प्रोग्राम से जुड़े कुछ खास सवाल भेजे. अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.

China Peking | Foto von Xi Jinping im Museum der kommunistischen Partei Chinas
शी की विचारधारा मानना छात्रों के लिए जरूरीतस्वीर: GREG BAKER/AFP/Getty Images

'आजाद सोच नामुमकिन'

जर्मन संसद की एजुकेशन एंड रिसर्च कमेटी के प्रमुख काई गेहरिंग मानते हैं कि सीएससी के कॉन्ट्रैक्ट, अकादमिक आजादी की गारंटी देने वाले जर्मनी के बेसिक लॉ के साथ फिट नहीं बैठते हैं. गेहरिंग कहते हैं, "एक पार्टी सिस्टम के प्रति अनिवार्य वफादारी और राष्ट्रप्रेमी भाव, करार के संभावित उल्लंघन की सूरत में परिवार की जिम्मेदारी, ये सब जिज्ञासा, मुक्त सोच और रचनात्मकता से भरी साझा या स्वतंत्र रिसर्च को नामुमकिन बना देते हैं."

इसके बावजूद इस तरह के बाध्य समझौतों के खिलाफ जर्मनी में कौन सी संस्था कदम उठा सकती है? डीडब्ल्यू और करेक्टिव के सवालों का जवाब देते हुए जर्मनी के संघीय शिक्षा और रिसर्च मंत्रालय (बीएमबीएफ) ने कहा कि उसे इस बात की जानकारी है कि चाइना स्कॉलरशिप काउंसिल स्कॉलरशिप होल्डरों से विचारधारा को लेकर कंफर्मेशन मांगती है.

जर्मन अकैडमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी) कई साल से स्कॉलरशिप देती आ रही है. संस्था सीएससी के साथ कई काम कर चुकी है. डीएएडी के मुताबिक सीएससी के कॉन्ट्रैक्ट चीन की हकीकत दिखाते हैं, "जहां कई साल से यूनिवर्सिटियों को लगातार विचाराधारा संबंधी जरूरतों को मानना पड़ता है."

जर्मन संविधान विज्ञान और अकादमिक क्षेत्र की राजनीतिक दखल से रक्षा करता है. शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस मामले में कदम उठाना जर्मन यूनिवर्सिटियों पर निर्भर हैं.

इस साल की शुरुआत से अब तक सीएससी के विवादित कॉन्ट्रैक्ट के मामले स्वीडन, डेनमार्क और नॉर्वे में भी सामने आ चुके हैं. वहां कुछ विश्वविद्यालयों ने सीएससी के साथ साझेदारी को निलंबित कर दिया है.

रिपोर्ट: एस्थर फेल्डन