जर्मन वैज्ञानिकों ने गिन लीं पूरी धरती की चींटियां
२० सितम्बर २०२२एक ताजा अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी पर बीस हजार खरब या 20 क्वॉड्रिलियन चींटियां हैं. अध्ययन कहता है कि इतनी बड़ी तादाद के बावजूद इन छोटे जीवों को इंसान पूरी तरह नजरअंदाज कर देता है जबकि इनका अस्तित्व पारिस्थितिक संतुलन के लिए किसी भी अन्य जीव जितना ही अहम है.
सोमवार को ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज' (PNAS) में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है. हैंबर्ग की वुर्त्सबुर्ग यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले जर्मन बायोलॉजिस्ट पाट्रिक शुल्थीसिस के नेतृत्व में यह अध्ययन हुआ है. जिसके लिए शोधकर्ताओं ने इस संबंध में अब तक हुए 465 पिछले अध्ययनों का विश्लेषण किया है जिनमें स्थानीय स्तर पर चींटियों की गिनती की कोशिश की गई थी.
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वैज्ञानिकों का मानना है कि चींटियों की गिनती एक अहम काम है. उनका कहना है कि चींटियों को गिनकर उनके रहवास और जीवन चक्र में आ रहे बदलावों का पता लगाया जा सकता है जो जलवायु परिवर्तन और अन्य कई तरह के परिवर्तनों को समझा जा सकता है.
इसके अलावा चींटियां बीजों को फैलाने, सूक्ष्म जीवों को पलने-बढ़ने, बड़े जीवों के लिए भोजन और छोटे जीवों के सफाए जैसे जरूरी काम आती हैं जिनमें से हरेक काम का पारिस्थितिक संतुलन के लिए महत्व है.
कैसे हुआ अध्ययन?
सैकड़ों बार ऐसे अध्ययन हो चुके हैं जिनमें चीटियों की संख्या गिनने की कोशिश की गई है. हालांकि अब तक के ये अध्ययन छोटे-छोटे इलाकों में हुए हैं जहां शोधकर्ताओं ने एक सीमित क्षेत्र में चीटिंयों की संख्या गिनने की कोशिश की. ताजा अध्ययन में शोधकर्तआं ने ऐसे ही 489 अध्ययनों का विश्लेषण किया.
शोधकर्ता कहते हैं कि बहुत से प्रकृतिविज्ञानियों ने पृथ्वी पर चींटियों की सटीक गणना की कोशिश की है लेकिन व्यवस्थागत और गणनात्मक अनुमानों की कमी इसके आड़े आती रही है. वे कहते हैं, "सभी महाद्वीपों के मुख्य जैव-विविध क्षेत्रों से आंकड़े लेकर हमने एक अनुमान लगाया है कि 20 × 1015 (20 क्वॉड्रिलियन) चींटियां हैं.
इन अध्ययनों के लिए दो तरह की तकनीकों का प्रयोग किया जाता रहा है. एक है जाल बिछाना जिसके तहत किसी क्षेत्र विशेष से गुजर रहीं चीटियों को जाल में फांसकर कैद कर लिया जाता है. एक निश्चित समय के दौरान इन चींटियों को फांसा जाता है और फिर उनकी गिनती की जाती है जिसके आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि उस क्षेत्र में कितनी चींटियां होंगी.
दूसरी तकनीक में जमीन के किसी एक टुकड़े पर मौजूद चींटियों को गिना जाता है और उसके आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि उस टुकड़े के आस-पास वृहद क्षेत्र में उनकी संख्या कितनी होगी.
कहां होती हैं कैसी चींटियां?
वैसे तो सभी महाद्वीपों में इस तरह के अध्ययन हो चुके हैं लेकिन मध्य अफ्रीका और एशिया समेत कई मुख्य इलाकों से चीटिंयों की संख्या के बारे में बहुत कम आंकड़े उपलब्ध हैं. शोधकर्ता कहते हैं कि इसी कारण "पूरी धरती पर चींटियों की संख्या अनुमान से कहीं ज्यादा हो सकती है.”
अपने शोधपत्र में शोधकर्ता लिखते हैं, "यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हम इस अंतर को पाट दें ताकि जैव विविधता की व्यापक तस्वीर मिल सके.”
दुनियाभर में चींटियों की 15,700 से ज्यादा प्रजातियां हैं जिन्हें नाम दिए गए हैं. इनमें कई उप-प्रजातियां भी शामिल हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग इतनी ही प्रजातियां और होंगी जिन्हें अब तक नाम नहीं दिए गए हैं. कुल चींटियों की लगभग दो तिहाई प्रजातियां दो विशेष क्षेत्रों में ही मिलती हैं – उष्णकटिबन्धीय वनों में और घास के मैदानों में.
कुल संख्या और उसके अनुपात में वजन की गणना के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इन चीटियों का कुल भार 12 मेगाटन ड्राई कार्बन के बराबर यानी कुल पक्षियों और स्तनधारियों से भी ज्यादा होगा. या फिर इसे यूं समझा जा सकता है कि पृथ्वी पर मौजूद कुल इंसानों के भार का लगभग 20 प्रतिशत.
शोधकर्ता भविष्य में इस अध्ययन को और आगे बढ़ाना चाहते हैं ताकि इन नन्हे जीवों के रहवास को प्रभावित करने वाले कारकों को बेहतर तरीके से समझा जा सके.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)