भारत में हैं सबसे ज्यादा फेमिनिस्टः सर्वे
सर्वेक्षण संस्था इप्सोस ने हाल ही में एक सर्वे किया जिसमें लोगों से पूछा गया कि वे फेमिनिस्ट यानी नारीवादी हैं या नहीं. देखिए, भारत और बाकी देशों में कितने लोग खुद को फेमिनिस्ट कहते हैं.
सिर्फ 39 फीसदी फेमिनिस्ट
सर्वे में शामिल उच्च और उच्च-मध्यम आय वाले 31 देशों के केवल 39 प्रतिशत लोगों ने खुद को नारीवादी माना, जबकि 51 प्रतिशत ने स्पष्ट कहा कि वे नारीवादी नहीं हैं.
भारत सबसे ऊपर
31 देशों में से केवल दो, भारत और स्पेन, ऐसे थे जहां अधिकांश लोगों ने खुद को नारीवादी माना. यह तथ्य तब हैरतअंगेज हो जाता है जब भारत में महिलाओं की स्थिति से इसकी तुलना की जाए. भारत महिला अधिकारों के मामले में पिछड़े देशों में गिना जाता है. वहां 73 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि 9 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं. 8 फीसदी हां या ना में जवाब नहीं दे पाए.
स्पेन में नारीवाद
दूसरे नंबर पर स्पेन रहा जहां 55 फीसदी लोगों ने कहा कि वे फेमिनिस्ट हैं. लेकिन 37 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं.
महिलाओं की प्रतिक्रिया
सर्वे में शामिल महिलाओं के जवाबों को ध्यान में रखते हुए, सात देशों में अधिकतर यानी 50 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने खुद को नारीवादी माना, जबकि पुरुषों और महिलाओं को मिलाकर ऐसे देशों की संंख्या सिर्फ दो थी. यानी आज भी पुरुषों में नारीवाद को लेकर असहजता है.
जापान सबसे पीछे
आठवें नंबर पर जापान है, जहां केवल 15 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं खुद को नारीवादी मानते हैं, जबकि 61 प्रतिशत ने इससे इनकार किया. दक्षिण कोरिया सातवें नंबर पर रहा जहां सिर्फ 21 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट माना.
चीन तीसरे नंबर पर
इस सर्वे में चीन तीसरे नंबर पर रहा जहां 39 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि 51 फीसदी ने कहा कि वे फेमिनिस्ट नहीं हैं. ब्राजील में भी इतने ही लोगों ने हामी भरी लेकिन वह चौथे नंबर पर रहा क्योंकि वहां ना में जवाब देने वालों की संख्या (51 फीसदी) चीन से ज्यादा थी.
अमेरिका और जर्मनी
अमेरिका में 34 फीसदी लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट बताया जबकि यूरोप में जर्मनी 32 फीसदी के साथ छठे नंबर पर रहा. लेकिन इन दोनों ही देशों में ना में जवाब देने वालों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी.
कौन होता है फेमिनिस्ट?
फेमिनिस्ट वे व्यक्ति होते हैं जो नारीवाद (फेमिनिज्म) के सिद्धांतों का समर्थन करते हैं. नारीवाद एक सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन है जो महिलाओं और पुरुषों के बीच पूर्ण समानता की वकालत करता है. इसमें लिंग आधारित असमानता, भेदभाव, और अन्याय का विरोध शामिल है. नारीवाद का उद्देश्य महिलाओं को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में समान अधिकार और अवसर दिलाना है.