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विनाशकारी बाढ़ में कैसे तब्दील हो जाती है बारिश?

१२ अगस्त २०२३

स्लोवेनिया, ऑस्ट्रिया और क्रोएशिया में तूफानी बारिश ने एक बार फिर दिखाया है कि पानी विनाश का कारण बन सकता है. लेकिन यह पानी आखिर कैसे प्रचंड बाढ़ में तब्दील हो जाता है?

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स्लोवेनिया में बाढ़ का दृश्य
बारिश का अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन मूसलाधार बारिश की भविष्यवाणी करना मुश्किल हैतस्वीर: Borut Zivulovic/REUTERS

विनाशकारी बाढ़ का पानी घरों को गिरा सकता है, कारों को इस तरह से बहा ले जा सकता है जैसे वो माचिस की डिब्बियां हों और घर के बेसमेंट को मिनटों में मौत के जाल में बदल सकता है. प्रकृति अपनी इस प्रचंड शक्ति का प्रदर्शन बार-बार करती है, और हम उसकी दया पर निर्भर हैं. लेकिन पानी इतना शक्तिशाली कैसे हो जाता है?

जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज, हेल्महोल्ट्ज सेंटर पॉट्सडैम का हिस्सा है. इस सेंटर के एक पर्यावरण शोधकर्ता माइकल डीट्शे ने बाढ़ की प्रकृति के बारे में लिखा है. डीट्शे का कहना है कि यह जानना अहम है कि एक घन मीटर पानी का वजन एक मीट्रिक टन होता है, जो इसे बहुत भारी बनाता है. वह कहते हैं, "पानी अपने रास्ते में किसी वस्तु पर जबरदस्त दबाव डाल सकता है और बहता पानी तो बेहद शक्तिशाली होता है- कारों को भी बहा ले जाने में सक्षम है और यहां तक कि उन शिपिंग कंटेनरों को भी जिन्हें लंगर डालकर फंसाया नहीं गया है.”

स्लोवेनिया में भयंकर बारिश के बाद बाढ़ से पहुंचा नुकसान
मिट्टी की संरचना या पानी सोखने की क्षमता बारिश के पानी को खतरनाक बनाता हैतस्वीर: Ales Beno/AA/picture alliance

कैसे बनता है पानी खतरनाक

लेकिन बारिश के इस पानी को खतरनाक बनाने में क्षरण सहित कुछ अन्य कारक भी भूमिका निभाते हैं. जमीन की खराब सतहें जो वैसे तो स्थिर दिखाई देती लेकिन तेज गति वाले पानी में आसानी से बह सकती हैं. पॉट्सडैम में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज में, शोधकर्ता इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि पानी तलछट को कैसे जुटाता है, बाढ़ की लहरें कैसे चलती हैं और कैसे शक्तिशाली बाढ़ का पानी जमीन की स्थिति के आधार पर अपना रास्ता बनाता है. 

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जर्मन मौसम सेवा का कहना है कि भारी वर्षा एक पर्यावरणीय जोखिम है लेकिन इसे इस रूप में बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है. मूसलाधार बारिश की भविष्यवाणी करना मुश्किल है और अधिकांश क्षेत्रों में यह अपेक्षाकृत असामान्य होती है. मौसम विज्ञानी भविष्यवाणी कर सकते हैं कि बारिश होगी, लेकिन यह नहीं कह सकते कि किसी विशिष्ट क्षेत्र में कब या कितनी बारिश होगी. परिणामस्वरूप, भारी बारिश उम्मीद से अधिक नुकसान पहुंचा सकती है. यहां तक कि उन स्थानों पर भी जो संकीर्ण घाटियों या प्रमुख नदियों के पास स्थित नहीं हैं. डीट्शे बताते हैं, "मूसलाधार बारिश भारी मात्रा में पानी जमीन पर गिरा देती है जो कई मामलों में पहले ही संतृप्त हो चुका होता है. इसका मतलब है कि मिट्टी अब और ज्यादा पानी को सोख नहीं सकती है.”

स्लोवेनिया में टूटा एक पुल
लंबे समय तक बारिश होने की वजह से ज़मीन पानी सोख नहीं पाती और बारिश का पानी नदियों और नालों में अपना रास्ता बनाता हैतस्वीर: Ales Beno/AA/picture alliance

मिट्टी की क्षमता

पानी की मात्रा ही एकमात्र कारक नहीं है. मिट्टी की संरचना, या यूं कहें कि पानी को सोखने, संग्रहीत करने और छोड़ने की क्षमता भी एक प्रमुख भूमिका निभाती है. यहां तक कि मिट्टी के कणों के छिद्र का आकार भी मायने रखता है. ‘कोलाइड' छोटे कण होते हैं जिनका व्यास 2 माइक्रोमीटर से कम होता है. ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें खुली आंखों से देखना संभव नहीं है. हालांकि, उनके छोटे आकार का मतलब है कि वे बड़ी मात्रा में एक विशाल सतह क्षेत्र बनाते हैं जिससे पानी के अणु जुड़ते हैं. चिकनी और दोमट मिट्टी में इनमें से बहुत सारे कोलाइड होते हैं, जिनमें छिद्रों के बीच का पानी यानी ‘इंटरस्टीशियल वॉटर' बह नहीं पाता है. कुछ छिद्रों के साथ, एक बार ठीक से संतृप्त हो जाने पर, इस प्रकार की मिट्टी रेत की तुलना में ज्यादा पानी जमा कर सकती है. हालांकि, रेत के कण बड़े होते हैं और रेतीली मिट्टी में कई बड़े, हवा से भरे छिद्र होते हैं और कोलॉइड बहुत कम संख्या में होते हैं. ऐसी स्थिति में जमीन छिद्रों के बीच पानी को मुश्किल से रोक पाती है और ये जल्दी खत्म हो जाता है.

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एक अन्य महत्वपूर्ण कारक वर्षा से पहले मिट्टी की स्थिति है. लंबी शुष्क अवधि के बाद अचानक और भारी बारिश की स्थिति में, मिट्टी एक साथ बहुत ज्यादा मात्रा में आए पानी को नहीं सोख पाती है. सूखी जमीन में ‘वॉटर रेपेलेंसी' बहुत होती है. इसका मतलब यह है कि पानी जमीन में रिसने के बजाय सतह से बह जाता है. पौधों के अवशेष भी यहां एक महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनमें शुष्क परिस्थितियों के दौरान वसायुक्त और मोमयुक्त पदार्थ निकलते हैं.

स्लोवेनिया में टूटा एक पुल
लंबे समय तक बारिश होने की वजह से ज़मीन पानी सोख नहीं पाती और बारिश का पानी नदियों और नालों में अपना रास्ता बनाता हैतस्वीर: Ales Beno/AA/picture alliance

पानी का रास्ता

जब लंबे समय तक बारिश होने के बाद मिट्टी संतृप्त हो जाती है, तो पानी के लिए सतह के साथ बहने और नदियों और नालों में अपना रास्ता बनाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता है. डीट्शे कहते हैं, "एक बार वहां पहुंचने पर, यह बहुत ऊंचे वेग तक पहुंच सकता है. उदाहरण के लिए, राइन नदी के किनारे कोलोन विश्वविद्यालय के पारिस्थितिक अनुसंधान स्टेशन में, पानी सामान्यतया 1-2 मीटर प्रति सेकंड की गति से बहता है. पानी की गति जितनी ज्यादा होगी और ढलान जितना तीव्र होगा, खासतौर पर तटबंधों और चोटियों पर, और नदी जितनी गहरी होगी, पानी में नदी के तल पर उतनी ही ज्यादा पॉवर होगी. इसका खिंचाव कई किलोग्राम के बराबर है, जो कि रेत, पत्थर और यहां तक कि मलबे को भी हटाने के लिए पर्याप्त है.” लेकिन, घरों और सड़कों को बहा ले जाने के लिए केवल इतना ही पर्याप्त नहीं है. दरअसल, ये वो कण हैं जो पानी के साथ बह जाते हैं. ये जमीन, सड़कों और इमारतों की दीवारों में घुस जाते हैं और जिससे बहुत ज्यादा क्षरणकारी शक्ति विकसित होती है.

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डीट्शे बताते हैं, "एक बार जब इन वस्तुओं के कुछ हिस्सों पर हमला शुरू हो जाता है, तो नीचे की सामग्री को आसानी से ले जाया जाता है. असंगठित जमीन पर सड़कों और इमारतों को भी कमजोर किया जा सकता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा चीजों को तोड़ना आसान हो जाता है.”डीट्शे कहते हैं कि इस तरह की बाढ़ कहीं भी भारी बारिश होने पर आ सकती है और ऊंचे, पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा विशेष रूप से खतरनाक होती है. क्योंकि बांधों के अचानक टूटने या लीक करने के कारण पूरी झीलें ओवरफ्लो हो सकती हैं और नीचे घाटियों में भारी मात्रा में बर्फ पिघलने से भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती हैं.

क्या बाढ़ की भविष्यवाणी संभव है?

डीट्शे कहते हैं, "पूर्वानुमानों से मौसम संबंधी सलाह ली जा सकती है. मसलन, बाढ़ की संभावना और विकास के बारे में पूर्वानुमान लगाने के लिए मौसम के पूर्वानुमानों को हाइड्रोलॉजिकल मॉडल में डाला जा सकता है.” इसके विपरीत, क्षरण की प्रक्रिया की भविष्यवाणी करना कठिन है. चूँकि ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से घटती हैं, इसलिए उनकी तीव्रता का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता है.

उपग्रह चित्रों और सबसे बढ़कर, भूकंपमापी यंत्रों की मदद से, शोधकर्ता वास्तविक समय में बाढ़ का पता लगाने और उसके प्रभाव कां अंदाजा लगाने की कोशिशों में लगे हैं.

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