खाली होने के कगार पर अमेरिकी सरकार का खजाना
१२ मई २०२३जो बाइ़डेन की सरकार के सामने कर्ज सीमा बढ़ाने की बड़ी चुनौती है. रिपब्लिकन पार्टी अपने रुख पर अड़ी रही तो देश के सामने डिफॉल्ट का संकट है.
अमेरिकी कर्ज सीमा क्या है और यह क्यों मायने रखती है?
अमेरिकी संसद ने पहली बार 1917 में कर्ज की सीमा पेश की थी. यह पैसे की वह ऊपरी सीमा है जो सरकार उधार ले सकती है. इस उपाय को लागू करने का मकसद यह था कि सरकार को हर बार कर्ज लेने के लिए सांसदों से अनुमति नहीं लेनी होगी. बाद में 1939 और 1941 में सार्वजनिक कर्ज अधिनियम पारित किए गए.
पिछले सात दशकों में कर्ज की सीमा को 78 बार बढ़ाया गया है. वर्ष 2011 में भी कर्ज की सीमा बढ़ाई गई थी. हालांकि, उस साल नई सीमा पर सहमति बनने में हुई देरी की वजह से अमेरिका ने अपनी प्रतिष्ठित एएए क्रेडिट रेटिंग खो दी थी और कर्ज लेने की लागत में वृद्धि हुई.
अमेरिकी सरकार इस साल जनवरी में ही कर्ज लेने की अपनी मौजूदा सीमा 31.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी, लेकिन वित्त विभाग ने सरकारी गतिविधियों के वित्तपोषण को जारी रखने की अनुमति देने के लिए असाधारण उपाय अपनाए.
जून महीने की अगली समयसीमा तेजी से नजदीक आ रही है. इस समय तक कांग्रेस को एक बार फिर कर्ज की सीमा बढ़ानी होगी. ऐसा नहीं होने पर अमेरिकी सरकार के पास पैसे खत्म हो सकते हैं और वह डिफॉल्टर घोषित हो सकती है.
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों के बीच कर्ज की सीमा बढ़ाने को लेकर भयंकर गतिरोध चल रहा है. रिपब्लिकन चाहते हैं कि व्हाइट हाउस सार्वजनिक खर्च में बड़े स्तर पर कटौती करे. साथ ही, दूसरे सुधारों पर सहमत हो.
विवाद को सुलझाने की कोशिश करते हुए रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की, लेकिन बिना किसी नतीजे के ही यह बातचीत खत्म हो गई.
अमेरिका के डिफॉल्ट होने से दुनिया पर क्या होगा असर
अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने रविवार को चेतावनी दी कि यह गतिरोध प्रभावी रूप से "अमेरिकी लोगों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सिर पर बंदूक” की तरह है. उन्होंने कहा कि अगर किसी भी वजह से कर्ज की सीमा नहीं बढ़ती है, तो इससे ‘वित्तीय और आर्थिक अराजकता उत्पन्न होगी.'
पिछले हफ्ते वित्त विभाग ने यह अनुमान लगाया था कि 1 जून से अमेरिकी सरकार के पास धन की कमी हो जाएगी, जिससे अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.
धन की कमी की वजह से अमेरिकी वित्त विभाग को खर्च के तरीके में मजबूरन बदलाव करना पड़ेगा, ताकि सबसे पहले कर्ज और ब्याज का भुगतान किया जा सके. इसका मतलब है कि शिक्षकों सहित सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों के वेतन भुगतान में देरी हो सकती है.
रिटायर्ड सैनिकों सहित वृद्धों और कमजोर तबके के अमेरिकी लोगों को मिलने वाले सामाजिक सुरक्षा भुगतान और स्वास्थ्य देखभाल सब्सिडी भी रोकी जा सकती है.
बाइडेन के आर्थिक सलाहकारों में से एक ने कहा कि कुछ ही समय के लिए ऐसा हो सकता है कि कर्ज का भुगतान ना किया जाए, लेकिन ‘कुछ समय के लिए डिफॉल्ट' होने से भी काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा होता है, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े 5,00,000 लोगों की नौकरी जा सकती है.
उनका मानना है कि ‘लंबे समय तक डिफॉल्ट' की स्थिति में जीडीपी 6 फीसदी तक कम हो जाएगी. दसियों हजार कारोबारों को नुकसान होगा. 83 लाख लोगों की नौकरी छूट सकती है. यह नुकसान वैसा ही होगा जैसा 2008 के आर्थिक संकट के दौरान हुआ था.
सबसे खराब स्थिति में, अमेरिका को जुलाई या अगस्त तक पूरी तरह उधार लेना बंद करना होगा. इससे वैश्विक वित्तीय बाजार से भी अमेरिका को बड़ा झटका लगेगा.
निवेशक तब अमेरिकी बॉन्ड के मूल्य पर सवाल उठाएंगे, जिन्हें सबसे सुरक्षित निवेश के रूप में देखा जाता है और जो दुनिया की वित्तीय प्रणाली के लिए बिल्डिंग ब्लॉक के रूप में काम करता है.
अमेरिका के डिफॉल्ट होने पर वैश्विक कारोबार गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है और दुनिया के बड़े हिस्से में गहरी मंदी आ सकती है. अमेरिकी डॉलर के मूल्य में तेजी से गिरावट हो सकती है, जिससे विनिमय दरों में काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव के साथ-साथ तेल और अन्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होगी.
वैश्विक स्तर पर महंगाई फिर से बढ़ सकती है. आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है. कोविड 19 महामारी की वजह से पहले से ही काफी ज्यादा कारोबार प्रभावित हुए हैं. ऐसे में वित्तीय प्रणाली के अंदर विश्वास की कमी हालात को और खराब कर सकती है.
गतिरोध के क्या कारण हैं?
रिपब्लिकन हाउस स्पीकर (अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष) केविन मैक्कार्थी और रिपब्लिकन पार्टी, बजट में व्यापक कटौती किए बिना कर्ज की सीमा बढ़ाने से इनकार कर रहे हैं. रिपब्लिकन पार्टी के बहुमत वाले निचले सदन ने अप्रैल के अंत में प्रस्तावित बजट बिल में लगभग 4.8 ट्रिलियन डॉलर की कटौती के लिए मतदान किया था.
इससे स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में दी जा रही छूट खत्म हो जाएगी. साथ ही, छात्रों के कर्ज को माफ करने की राष्ट्रपति बाइडेन की योजना भी धरी की धरी रह जाएगी. हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुमत वाले सीनेट में इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने की संभावना नहीं है.
बाइडेन ने अब तक यह कहते हुए समझौते से इनकार कर दिया है कि कर्ज की सीमा बिना शर्तों के बढ़ाई जानी चाहिए और इसके बाद वह बजट में संभावित कटौती पर चर्चा करेंगे.
अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते हैं कि रिपब्लिकन पार्टी के सांसद यह वादा करें कि अमेरिका डिफॉल्ट नहीं होगा और कर्ज लेने की अपनी क्षमता बनाए रखते हुए सभी बिलों का भुगतान जारी रख सकता है.
अमेरिका का रणनीतिक तेल भंडार क्या है
वर्ष 2011 में बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे. उस समय ओबामा सरकार में देश को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए उन्हें रिपब्लिकन पार्टी की कई बातें मानने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इस बार राष्ट्रपति के तौर पर बाइडेन उस स्थिति से बचना चाहते हैं.
बाइडेन की बजट योजना अगले एक दशक में लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर के घाटे को कम कर देगी. इसके लिए, मुख्य रूप से अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाने का विचार है, लेकिन रिपब्लिकन इस योजना पर सहमत होते नहीं दिख रहे हैं.
राष्ट्रपति बाइडेन, रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच मंगलवार को हुई असफल वार्ता के बाद, मैक्कार्थी ने अनुमान लगाया कि दोनों पक्षों के पास किसी समझौते तक पहुंचने के लिए महज दो हफ्ते का समय बचा था जिसे बाद में कांग्रेस द्वारा पारित किया जा सकता था.
हालांकि, कुछ विश्लेषकों का अब भी मानना है कि डिफॉल्ट के तत्काल जोखिम से बचने के लिए कर्ज सीमा समाप्ति की अवधि को 30 सितंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए.
बाइडेन के पास अब और क्या विकल्प हैं?
सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रपति, अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन की सहायता ले सकते हैं, जिसमें कहा गया है कि ‘कानूनी तौर पर मान्य संयुक्त राज्य अमेरिका के सार्वजनिक कर्ज की वैधता पर सवाल नहीं उठाया जाएगा.'
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि बाइडेन यह तर्क दे सकते हैं कि डिफॉल्ट होने से बचना उनका संवैधानिक कर्तव्य है. इस तरह वे कांग्रेस द्वारा पहले से स्वीकृत खर्च को जारी रखने के लिए कर्ज की पुरानी सीमा की अनदेखी कर सकते हैं.
हालांकि, यह कदम लगभग निश्चित रूप से लंबे समय तक कानूनी तकरार का कारण बनेगा, जो वित्तीय बाजारों को अस्थिर कर सकता है. रिपब्लिकन ने चेतावनी दी है कि बाइडेन एकतरफा कदम नहीं उठा सकते और इसका समाधान कांग्रेस के जरिए किया जाना चाहिए.
इस हफ्ते, सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के एक संघ ने वित्त मंत्री जेनेट येलेन और बाइडेन पर यह तर्क देने के लिए मुकदमा दायर किया है कि वे कर्ज की सीमा की अनदेखी करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हैं.
मुकदमे से यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि डिफॉल्ट के दौरान कर्ज के भुगतान को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन कर्मचारियों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए.