इंसानी गलती से हुआ ओडिशा ट्रेन हादसा
४ जुलाई २०२३ओडिशा के बालासोर में रेल दुर्घटना सिग्नल की मरम्मत के दौरान हुई गड़बड़ी के चलते हुई. रेलवे सुरक्षा कमीशन यानी सीएसआर की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल-रोड बैरियर के नजदीक सिग्नलिंग सर्किट की खराबी दूर करने के दौरान उसमें खामियां रह गईं जिसका नतीजे में यह हादसा हुआ.
स्थानीय रेलवे स्टाफ जिसने ये मरम्मत की, उसके पास सर्किट का मानक डायग्राम नहीं था. इसकी वजह से कर्मचारियों ने मरम्मत के बाद जो सर्किट कनेक्शन लगाया उसमें गड़बड़ी रह गई. इसी खामी के चलते ऑटोमेटेड सिग्नल ने पैसेंजर ट्रेन को उस पटरी पर जाने का संकेत दिया जिस पर मालगाड़ी पहले से खड़ी थी.
रुक सकता था हादसा
2 जून को हुए इस भयंकर हादसे में 288 लोगों की जान चली गई थी और 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए. सीएसआर की इस रिपोर्ट का अर्थ यह है कि अगर मरम्मत के काम की योजना और प्रक्रिया को नजरअंदाज नहीं किया जाता तो हादसे को रोका जा सकता था.
ओडिशा रेल हादसा: एक के बाद एक टकरा गईं तीन ट्रेनें
इस रिपोर्ट में हाल ही में हुए एक और हादसे का जिक्र है जो 16 मई, 2022 को दक्षिण-पूर्व रेलवे क्षेत्र के खारघर इलाके में हुआ. वहां भी गलत वायरिंग और केबल में गड़बड़ी के चलते ट्रेन के असल रूट और सिग्नल के बताए रूट में अंतर के चलते रेल दुर्घटना हुई. सीएसआर के मुताबिक अगर उस ऐक्सीडेंट के बाद सबक लिया गया होता और दिक्कतों को दूर किया जाता तो ओडिशा के दर्दनाक हादसे को टाला जा सकता था.
जरूरी प्रक्रिया की अनदेखी
हादसे के लिए मानवीय जिम्मेदारी तय करती इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि कईं स्तरों पर गलतियां हुईं और जरूरी प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करके काम चलाया गया. सिग्नल सर्किट की मरम्मत का कोई भी काम किए जाते वक्त सर्किट का पूरा चित्र होना जरूरी है और यह काम किसी अधिकारी की मौजूदगी में ही होना चाहिए. इस मामले में सुपरवाइजरों और स्टेशन मास्टर की भूमिका भी जांच के घेरे में है.
भारतीय रेल दुनिया की सबसे बड़े रेल सेवाओं में एक है. यह 22 हजार से ज्यादा ट्रेनों का परिचालन करती है और प्रतिदिन लगभग 2.4 करोड़ यात्री इसकी सेवा का लाभ लेते हैं.
एसबी/एनआर (रॉयटर्स)