'गार्जियन' के साये से कब बाहर आएंगी कतरी महिलाएं
२९ मार्च २०२१मानवाधिकार संगठन 'ह्यूमन राइट्स वॉच' ने महिलाओं के साथ भेदभाव बरतने वाले नियम कानूनों को लेकर कतर प्रशासन की निंदा की है. देश में आज भी वयस्क महिलाओं पर तमाम रोजमर्रा की तमाम छोटी-बड़ी गतिविधियों के लिए पुरुषों की "गार्जियनशिप" के नियम लागू हैं. संगठन ने सुधारों की मांग करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि एक ओर देश तरक्की कर रहा है लेकिन दूसरी ओर उसकी महिलाएं "अपने जीवन के लगभग हर पहलू में गहरा भेदभाव झेल रही हैं."
कतर में महिला की उम्र के हिसाब से उस पर अलग अलग तरह के गार्जियनशिप वाले नियम लागू होते हैं. जैसे कि वयस्क महिलाओं को भी यात्रा पर जाने, पढ़ाई के लिए विदेश जाने के लिए, शादी करने के लिए यहां तक कि कुछ गर्भनिरोधक दवाइयां तक लेने के लिए गार्जियन की अनुमति लेनी पड़ती है. समाचार एजेंसी एएफपी के सवाल पर कतर सरकार के प्रतिनिधि ने बताया कि कई कतरी परिवारों में इन कानूनों की मनमाने अंदाज से व्याख्या की जाती है. उसने बताया कि हाल के कुछ मामलों में कई महिलाएं ऐसी शिकायतें कोर्ट में भी ले जा चुकी हैं.
रूढ़िवादी मुसलमानों के देश कतर के संविधान में "सभी नागरिकों के लिए बराबर मौकों" की बात दर्ज है. कतरी समाज में आम तौर पर किसी महिला के पुरुष संबंधियों जैसे उसके पिता, भाई, चाचा या चचेरे भाइयों को उनका गार्जियन माना जाता है. एक महिला को उसके अपने बच्चों तक का गार्जियन नहीं माना जाता, तब भी नहीं जब उनके पति का देहांत हो चुका हो. रिपोर्ट में लिखा है, "जब एक महिला की शादी होती है तो उसकी गार्जियनशिप पिता से पति के हाथों में चली जाती है."
कतर सरकार के कम्युनिकेशन ऑफिस ने अपने बयान में लिखा है कि "लैंगिक बराबरी और महिला सशक्तिकरण" उनके खाड़ी देश की "सफलता और नजरिए" के केंद्रीय मूल्य हैं. सरकार की प्रतिक्रिया में कहा गया है, "कतर महिला अधिकारों की मुखर वकालत करता है - ना केवल अपने यहां बल्कि बाहर भी."
कतरी सरकार ने ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा है कि उसमें "कतर के कानूनों, नीतियों और महिलाओं से जुड़ी प्रथाओं को गलत तरीके से दिखाया गया है." रिपोर्ट में शामिल लोगों के मामलों की कतर सरकार ने खुद जांच करवाने और कानून तोड़ने वालों को सजा देने की भी बात कही.
मानवाधिकार संगठन का मानना है कि एक पुरुष को घर का मुखिया माना जाना इस तरह की प्रथाओं के केंद्र में है. बीते साल कतरी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर ऐसी गार्जियनशिप वाली प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया था.
संगठन की रिपोर्ट में शामिल किए गए एक 40 वर्षीया महिला के वक्तव्य के अनुसार, "लड़कियों के लिए हमेशा ही क्वारंटीन होता है. जो सारी दुनिया अब महसूस कर रही है, वैसी कतर की लड़कियों की आम जिंदगी होती है."
एक अन्य महिला का बयान छपा है जो कहती है, "मैं बाहर पढ़ने जाना चाहती थी लेकिन पेरेंट्स की ओर से ना थी. जबकि मुझे स्कॉलरशिप तक मिल चुकी थी." समस्या ये थी कि कोई महिला बिना गार्जियन की मर्जी के देश के बाहर यात्रा नहीं कर सकती. इन सभी बयानों की खुद एएफपी पुष्टि नहीं कर पाया है.
न्यूयॉर्क स्थित मानवाधिकार संगठन ने 94 पेजों की अपनी रिपोर्ट के लिए देश के 27 कानूनों, नियमों और कई लिखित संदेशों का विश्लेषण किया. अपनी जांच के दौरान 73 महिलाओं के इंटरव्यू किए जिनमें से 50 ऐसी कतरी महिलाओं का लंबा चौड़ा इंटरव्यू किया जिन्हें गार्जियनशिप के नियमों के कारण या तो पढ़ाई के लिए विदेश जाने से रोका गया था या ऐसी ही कोई और शिकायत थी.
देश के आंतरिक मामलों के मंत्रालय से जारी हुए नियमों में से एक है कि 25 साल के कम की कोई कतरी गैरशादीशुदा महिला बिना अनुमति के देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकती. हालांकि यह कोई कानून नहीं है लेकिन कतरी लोग इसे वैसा ही मानते हैं. कई मामलों मेंपुरुषों ने अपनी पत्नी या बेटी के खिलाफ अदालत से भी ऐसे आदेश देने की मांग की है जिससे महिलाएं कभी किसी भी उम्र में देश के बाहर यात्रा ना कर सकें."
आरपी/आईबी (एएफपी, डीपीए)