आईआईटी कानपुर ने बनाया मानव रहित ड्रोन हेलीकॉप्टर
५ फ़रवरी २०२१यह हेलीकॉप्टर पांच किलो भार को 50 किलोमीटर तक ले जा सकता है. दुश्मनों पर नजर रखने के साथ प्राकृतिक आपदा के समय जान बचाने में यह मानव रहित ड्रोन हेलीकॉप्टर बड़ा कारगर साबित हो सकता है. यह हेलीकॉप्टर माइनस 20 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच आसानी से काम कर सकता है. हेलीकाप्टर की 11,500 फीट की ऊंचाई लेह और जैसलमेर के रेगिस्तान पर टेस्टिंग हो चुकी है. यह हर जगह चलने में सक्षम है और यह चार घंटे तक लगातार उड़ान भर सकता है.
आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रोफेसर अभिषेक की देखरेख में इसे तैयार किया गया है. यह हल्के वजन का हेलीकॉप्टर पांच किलोग्राम तक भारी वस्तु को 50 किमी तक ले जा सकता है. यही नहीं इसे एक इंसान द्वारा उठाकर दूसरे स्थान पर बड़े आराम से ले जाया जा सकता है.
प्रोफेसर अभिषेक ने बताया कि बॉर्डर और नक्सली इलाकों में इसमें लगे डे-नाइट कैमरे से बहुत आराम से दुश्मनों पर नजर रखी जा सकती है. इसमें लगे डे कैमरे 20 से 30 एक्स जूम की व्यवस्था है जो डेढ़ से दो किलोमीटर दूर खड़े इंसान को आराम से पहचान सकता है. इसके अलावा नाइट विजन कैमरे में 500 मीटर दूरी पर इंसान की पकड़ सकता कर सकता है.
प्रोफेसर के मुताबिक इसे रडार डिटेक्ट कर सकता है, क्योंकि अब छोटी सी छोटी चीज को रडार पकड़ने में सक्षम है. हालांकि यह हेलीकॉप्टर नीचे से भी उड़ सकता है तो दुश्मन को चकमा देने में सक्षम है. इस प्रकार का हेलीकॉप्टर ड्रोन यूरोप, चीन और अमेरिका पहले से ही बन रहा है.
हेलीकॉप्टर का वजन महज 4 किलोग्राम है. साथ ही यह अन्य हेलीकॉप्टर की तरह लैंडिंग या टेकऑफ नहीं करेगा, यह वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग करने की वजह से किसी भी स्थान से आसानी से उड़ान भर सकेगा.
हेलीकॉप्टर के डिजाइन को सेना को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. हेलीकॉप्टर में मेडिकल किट बॉक्स के साथ सीबीआरएनई सेंसर, लिडार तकनीक के अलावा कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी है. लिडार तकनीक के माध्यम से यह पहाड़, नदियों में दुश्मनों का आसानी से पता लगा सकेगा.
हल्के हेलीकॉप्टर का उपयोग पहाड़ और दूरदराज के क्षेत्रों में जरूरी दवाएं और खाने-पीने की चीजें पहुंचाने में किया जा सकता है. यह सेना के अलावा पुलिस को भीड़-भाड़ वाले इलाके में निगरानी रखने में भी मदद कर सकता है.
एए/सीके (आईएएनएस)
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