आईएमफ के 3 अरब डॉलर से पाकिस्तान का कितना भला होगा
३० जून २०२३पाकिस्तान कई महीनों से मदद पाने की कोशिश कर रहा था. उम्मीद की जा रही है कि जुलाई के मध्य में आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड की बैठक के दौरान इस करार पर अंतिम मुहर लग जाएगी. आईएमएफ ने गुरुवार देर शाम पाकिस्तान के साथ हुए इस करार की घोषणा की.
आईएमएफ के अधिकारी नाथन पोर्टर ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा, "मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि आईएमएफ की टीम और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच 9 महीने की स्टैंडबाइ व्यवस्था के लाथ 2,25 करोड़ एसडीआर (लगभग 3 अरब अमेरिकी डॉलर) के स्टाफ लेवल के करार पर पहुंच गई है."यह रकम पाकिस्तान के आईएमएफ में कोटे का करीब 111 प्रतिशत है.
पाकिस्तान और चीन में अरबों डॉलर का परमाणु समझौता
पाकिस्तान का आर्थिक संकट
दूसरी चीजों के अलावा आईएमएफ की सहायता से पाकिस्तान के भारी कर्ज में डूबे ऊर्जा क्षेत्र और जलवायु परिवर्तन के हिसाब से देश को ढालने के लिए जरूरी सुधार किये जाएंगे. पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में है जहां कार्बन उत्सर्जन का स्तर काफी कम है लेकि उस पर जलवायु संकट की भारी मार पड़ी है.
परमाणु शक्ति से लैस यह देश कई सालों से कठिन आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहा है. देश में लगातार बढ़ती महंगाई से भी इसका पता चलता है. पिछले एक साल के दौरान ही देश में बिजली, गैस और पेट्रोल की कीमतें दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं. इस बीच पाकिस्तानी रूपये की कीमत डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड नीचे चली गई है. विदेशी निवेश पर भी आर्थिक संकट का बुरा असर पड़ा है. हालत यह है कि देश अपने आयात का बिल चुकाने की स्थिति में नहीं है. इस वजह से औद्योगिक उत्पादन भी काफी नीचे चला गया है.
इन सबके बीच राजनीतिक अस्थिरता और पिछले साल की बाढ़ ने देश को और पीछे धकेल दिया है. विनाशकारी बाढ़ में पाकिस्तान का लगभग एक तिहाई हिस्सा डूब गया था.
आर्थिक तंगी से जूझते पाकिस्तान के पेशेवर
कम समय के लिए राहत
आईएमएफ से पाकिस्तान को सहायता तो मिल गई है लेकिन दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ मिषाएल कुगेलमान ने फॉरेन पॉलिसी मैगजीन से बातचीत में कहा है कि बेलआउट पैकेज से पाकिस्तान की आर्थव्यवस्था को बहुत थोड़े समय के लिए ही सहायता मिल सकेगी. कुगेलमान के मुताबिक देश को लंबे समय की राहत के लिए पाकिस्तान में दूरगामी राजनीतिक सुधार करने की जरूरत है.
पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है और आईएमएफ से मिलने वाली रकम के जरिए भुगतान संकट में थोड़ी राहत मिल जाएगी.
कई सालों के आर्थिक कुप्रबंधन ने भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इस हाल में पहुंचाया है. ये स्थिति कोविड की महामारी, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद दुनिया में पैदा हुए ऊर्जा संकट और पाकिस्तान की बाढ़ की वजह से और बिगड़ गई.
संकट से निकलने के लिए लगे रहना होगा
पाकिस्तान 2022-23 में आर्थिक विकास के किसी भी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका. इस दौरान जीडीपी का विकास 0.3 फीसदी हुआ. 2017 में उसकी दुनिया की आर्थव्यवस्थाओं में उसकी रैंकिंग 24 थी जो अब फिसल कर 47 पर पुहंच गई है. मई के महीने में महंगाई की दर 38 फीसदी थी.
यह दशकों के कुप्रबंधन का ही नतीजा था कि आईएमएफ के साथ हुए लगभग दो दर्जन समझौतों में से ज्यादातर पूरे नहीं हो सके. पिछले साल आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की सहायता रोक दी थी और अब वह सहायता रद्द हो चुकी है.
गुरुवार को हुए करार ने उम्मीद जगाई है लेकिन इसके साथ ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी भी दी है कि संकट से उबरने के लिए लगातार कोशिश करते रहना होगा.
एनआर/एसबी (डीपीए, एएफपी)