तिगरिस नदी का बांध हजारों के घर और जमीन निगल जाएगा
इराक की तिगरिस नदी पर बन रहा मखौल बांध स्थानीय लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत लेकर आया है. कई पीढ़ियों से यहां खेती करके बसे रहे लोगों को अब यहां से कहीं और जाना होगा.
पानी के अंदर जाएगा पूरा गांव
53 साल के जमील अल जुबुरी उत्तरी इराक के अपने गांव से बाहर कभी नहीं गए. कई पीढ़ियों से जिस जमीन पर उनका घर और खेती है वह बहुत जल्द एक बांध बनाने के चलते पानी में डूब जाएगा और उन्हें अपने परिवार के साथ यहां से कहीं दूर जाना होगा.
30 से ज्यादा गांवों के 118,000 लोगों पर असर
मखौल बांध के कारण दसियों हजार लोगों को अपना सबकुछ छोड़ कर यहां से जाना होगा. तिगरिस नदी पर यह बांध अगले पांच सालों में तैयार होने की उम्मीद है. बांध बनने के बाद जुबुरी के गांव समेत पांच गांवों का इलाका 3 अरब क्यूबिक मीटर पानी में डूब जाएगा. इसके अलावा 38 और गांवों में पानी भरने का खतरा है.
बांध की जरूरत
जलवायु परिवर्तन का भयानक असर देख रहे देश में बांध को पानी की कमी से जूझती नदी के लिए अधिकारी जरूरी बता रहे हैं. "देशहित" में गांव के लोग यहां से जाने को तैयार हो गए हैं लेकिन गेहूं और रसदार फलों की खेती करने वाले जुबुरी चाहते हैं कि इसका उचित मुआवजा मिले.
नदियों की समस्या
इराक में पहले से ही आठ बांध हैं लेकिन शिकायत है कि पड़ोसी देश तुर्की के ऊपरी इलाके में बांध बनाने की वजह से नदियों में पानी पर गहरा असर पड़ा है. मखौल बांध की योजना 2002 में सद्दाम हुसैन के शासन में ही बनी थी. 2021 में आखिरकार इस योजना पर काम शुरु हुआ. सरकार यहां 250 मेगावाट का पनबिजली संयंत्र और सिंचाई के लिए नहरें भी बनवाएगी.
जमीन और मवेशियों पर खतरा
रिसर्च एजेंसी लिवान के मुताबिक करीब 67 वर्ग किलोमीटर की उर्वर जमीन जिसमें खेत और बाग हैं वो मखौल बांध के पूरी तरह से तैयार होने के बाद खत्म हो जाएंगे. इसके अलावा 61,000 से ज्यादा मवेशियों को या तो बेचना या फिर कहीं और लेकर जाना होगा.
बांध का विरोध
नागरिक समाज जैव विविधता और यहां के पुरातात्विक ठिकानों के पर बांध के असर को लेकर विरोध जता रहा है. यहां की बहुत सारी वनस्पतियां और जीवों के लिए यहा बांध अस्तित्व का संकट ले कर आएगा. इसके साथ ही प्राचीन शहर और यूनेस्को की विरासतों में शामिल अशूर को भी खतरा हो सकता है.