1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

उत्तर प्रदेश में व्यवसायी द्वारा आत्महत्या की कोशिश

९ फ़रवरी २०२२

बागपत में एक व्यवसायी ने फेसबुक पर लाइव यह कह कर जहर खा लिया कि मोदी सरकार छोटे व्यापारियों और किसानों की हितैषी नहीं हैं. इस घटना से एक बार फिर मंदी की वजह से तनाव झेल रहे परिवारों की समस्याएं उजागर हो गई हैं.

https://p.dw.com/p/46kgu
BdTD Indien | Frau in einem Schuhladen
तस्वीर: Anupam Nath/AP Photo/picture alliance

बागपत जिले के बड़ौत में रहने वाले जूता व्यापारी राजीव तोमर ने मंगलवार को फेसबुक पर लाइव जहर खा लिया. उन्होंने खुद लाइव के दौरान बताया कि उन पर कई लोगों का कर्ज है. उनकी पत्नी वीडियो में उन्हें रोकती हुई नजर आती हैं, लेकिन मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि जहर खाने के बाद जब तोमर गिर गए तब उनकी पत्नी ने भी जहर खा लिया.

तोमर अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन उनकी पत्नी की जान चली गई. तोमर की उम्र 40 साल और उनकी पत्नी की उम्र 38 साल बताई जा रही है. तोमर का जूतों का व्यापार था लेकिन बताया जा रहा है कि उनका कारोबार मंदी से गुजर रहा था और उन्होंने काफी कर्ज लिया हुआ था.

(पढ़ें: मंदी से उबरने के उपाय नहीं दिए बजट ने)

छह सालों का आर्थिक तनाव

फेसबुक लाइव के दौरान तोमर यह कहते हुए नजर आते हैं, "मोदी भी एक बहुत बड़ा मेरी मौत का जिम्मेदार बनेगा. ये चीजें शेयर कर देना...मैं देशद्रोही नहीं हूं लेकिन अगर मोदीजी को शर्म होगी तो वो अपनी चीजें बदल लें आज से ही." तोमर आगे कहते हैं, "मैंने नहीं कहा उन्होंने सारे काम खराब किए हैं, लेकिन छोटे दुकानदार, किसान के बिलकुल हितैषी नहीं हैं."

पुरानी दिल्ली का एक बाजार
नोटबंदी और जीएसटी के बाद महामारी की वजह से मंदी लगातार बरकरार रही हैतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

लगभग पूरे देश में पिछले करीब छह सालों से छोटे व्यापारी गहरे आर्थिक तनाव का सामना कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के व्यापारी भी इन हालात से अछूते नहीं हैं. 2016 में आई नोटबंदी और फिर कुछ ही महीनों के अंदर कर व्यवस्था में जीएसटी जैसे व्यापक बदलाव ने छोटे व्यापारियों के लिए उथल पुथल मचा दी.

(पढ़ें: 'छोटे व्यापारी भुगतेंगे': भारत में कई चीजों के वायदा व्यापार पर बैन)

सालाना 20 लाख से ज्यादा कमाने वाले हर व्यवसायी को जीएसटी देना पड़ता है. उत्पादों और सेवाओं की श्रेणियों के आधार पर पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की चार अलग अलग दरों पर जीएसटी काटा जाता है.

नोटबंदी, जीएसटी और फिर महामारी

इससे पहले अधिकतर छोटे व्यापारियों को बहुत ही कम उत्पाद शुल्क भरना पड़ता था, लेकिन जीएसटी आने पर इनके उत्पादों और सेवाओं पर टैक्स का भार बढ़ गया. लेकिन उनकी कमाई टैक्स में आई इस बढ़ोतरी के जितना बढ़ नहीं पाई.

Indien Kaschmir | Srinagar City
नोटबंदी, जीएसटी और फिर महामारी की वजह से छोटे व्यापारी बर्बाद हो गए हैंतस्वीर: Faisal Khan/NurPhoto/picture alliance

कई व्यापारी जो पहले पांच से 12.5 प्रतिशत तक वैट देते थे उन्हें अब 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है. उसके ऊपर से जीएसटी के तहत टैक्स भरने का तरीका भी इतना बदल गया और इतना पेचीदा हो गया कि उसके लिए व्यवस्था करने में भी व्यापारियों का खर्च और तनाव दोनों बढ़ गया.

(पढ़ें: जियोमार्ट ने मचाई उथल-पुथल, लाखों की रोजी-रोटी संकट में)

उपभोक्ताओं के लिए भी सामान महंगे होने लगे और कमाई और बचत काम. इससे अर्थव्यवस्था में खपत बिलकुल नीचे गिर गई और गहरी मंदी आ गई. 2020 में आई कोरोना वायरस महामारी ने मंदी को कई गुना और गहरा कर दिया.

चुनावों के बीच

महामारी और लॉकडाउन की वजह से पहली बार अर्थव्यवस्था बढ़ने के जगह सिकुड़ गई. आधिकारिक आंकड़े जीडीपी में सात प्रतिशत की गिरावट के थे. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक असली हालात इससे कई गुना ज्यादा भयावह थे.

इन सब वजहों से विशेष रूप से छोटे व्यापारी अभी भी तंगी से बाहर निकल नहीं पाए हैं और राजीव तोमर की आत्महत्या की कोशिश इस गहरे और व्यापक आर्थिक तनाव का ही एक नतीजा लगती है.

यह घटना उत्तर प्रदेश में चुनावों के समय पर भी आई है. बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कल ही मतदान होना है. देखना होगा कि चुनावों पर इसका कोई असर पड़ता है या नहीं.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी