यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र में मतदान से भारत फिर रहा दूर
२४ फ़रवरी २०२३यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के एक साल पूरा होने के मौके पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव को लाया गया था. यूक्रेन में जल्द से जल्द शांति स्थापित करने की मांग करने वाले इस प्रस्ताव को जर्मनी ले कर आया था.
प्रस्ताव में रूस से मांग की गई कि वो यूक्रेन से तुरंत अपनी सेना को वापस बुलाए. कुल मिला कर 141 देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मत डाला. सात देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया. इनमें रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया, माली, इरीट्रिया और निकारागुआ शामिल थे.
भारत की स्थिति वही
कुछ देशों को छोड़ कर लगभग सभी देशों का रवैया अभी तक यूक्रेन युद्ध पर उनकी स्थिति के अनुकूल ही था. पश्चिमी देशों ने इस बार भारत को अपना रुख बदलने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन भारत अपनी स्थिति पर कायम रहा और लगभग सभी पिछले प्रस्तावों की तरह इस बार भी मतदान से बाहर रहा.
माली और इरीट्रिया भी पिछले प्रस्तावों पर मतदान से बाहर रहे थे लेकिन इस बार दोनों देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. दक्षिण सूडान ने भी तक मतदान से खुद को बाहर रखा था लेकिन इस बार उसने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया.
प्रस्ताव को लाने वाले देश जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक प्रस्ताव पर भाषण देने वाली आखिरी वक्ता थीं. अपने भाषण में उन्होंने कहा, "रूस का आक्रमण ना केवल यूक्रेन के लोगों के लिए भयावह आपदा ले कर आया है, बल्कि इस युद्ध ने पूरी दुनिया को गहरे घाव दिए हैं. खाने पीने की चीजों और ऊर्जा के बढ़ते दामों की वजह से हर महाद्वीप पर परिवारों को अपनी जिंदगी चलाना मुश्किल हो गया है."
बेयरबॉक ने कहा कि सबको शांति चाहिए और "अच्छी बात यह है कि शांति का मार्ग यहीं हमारे सामने ही है. उसे संयुक्त राष्ट्र का चार्टर कहा जाता है." उन्होंने विस्तार से कहा कि चार्टर के सिद्धांत "बहुत सरल हैं: देशों में बराबरी, प्रादेशिक अखंडता और शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना."
'ताकि चार्टर हमारी सुरक्षा कर सके'
उन्होंने आगे कहा, "इसलिए शांति का मार्ग बहुत स्पष्ट है. रूस को यूक्रेन से अपनी सेना को हटाना ही होगा. रूस को बमबारी बंद करनी होगी. रूस को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर पर वापस लौटना ही होगा."
सभी देशों को संबोधित करते हुए बेयरबॉक ने कहा, "आज यहां हममें से हर एक को चुनना है: आततायी के साथ अलग थलग खड़े होना है या शांति के लिए एकजुट होना है. चुप रहना है या हमारे संयुक्त राष्ट्र चार्टर की सुरक्षा करनी है, ताकि चार्टर हमारी सुरक्षा कर सके."
हालांकि हंगरी के विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों से कहा कि वो यूक्रेन को हथियार देने और रूस पर प्रतिबंध लगाने की जगह शांति वार्ता शुरू कराने में अपनी कोशिशें लगाएं. चीन ने भी शांति वार्ता की जरूरत पर ही जोर दिया.
रूस ने प्रस्ताव को एकतरफा बताया और सदस्य देशों को उसका विरोध करने को कहा. संयुक्त राष्ट्र में रूस के राजदूत सिली नेबेनेज्या ने यह भी कहा कि नाटो में यूक्रेन के सहायक देशों ने संकट को और बिगाड़ा है.
सीके/एए (एएफपी, एपी, डीपीए, रॉयटर्स)