भारत में घट रही है पंछियों की आबादी
भारत में पक्षियों की कई प्रजातियां खतरे में हैं. हाल ही में आई "स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स 2023" में ऐसी 178 प्रजातियों की पहचान की गई, जिन्हें संरक्षण में प्राथमिकता देने की जरूरत बताई गई. जानिए, रिपोर्ट की खास बातें.
बर्डवॉचर्स का डेटा
इस रिपोर्ट में 942 प्रजातियों के पक्षियों की स्थिति की समीक्षा की गई है. इसके लिए 30 हजार से ज्यादा बर्डवॉचर्स के अपलोड किए गए डाटा को इस्तेमाल किया गया है. बर्डवॉचर, यानी ऐसे शौकीन जो पक्षियों को उनकी कुदरती आबोहवा में देखते हैं. भारत 2020 से पक्षियों की स्थिति की नियमित समीक्षा कर रहा है. इसी साल स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स ने अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी. तस्वीर में: इंडियन रोलर
संरक्षण की जरूरत
रिपोर्ट में कई ऐसी प्रजातियों की पहचान की गई है, जिन्हें संरक्षित श्रेणी में रखे जाने की जरूरत है. 178 प्रजातियों को संरक्षण प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा गया है. 323 प्रजातियों को मध्यम और 441 प्रजातियों को निम्न प्राथमिकता श्रेणी रखा गया है. इनमें कई ऐसी प्रजातियां भी हैं, जिनके बारे में माना जाता था कि वो आम हैं और बड़े इलाके में पाई जाती हैं.
गिद्धों की स्थिति चिंताजनक
उच्च संरक्षण प्राथमिकता की सूची में रडी शेलडक, कॉमन टील, ग्रेटर फ्लेमिंगो, सारस क्रेन, कॉमन ग्रीनशांक, इंडियन वल्चर जैसे पक्षी शामिल हैं. इंडियन वल्चर, रेड हेडेड वल्चर और वाइट रंप्ड वल्चर, गिद्धों की ये तीन प्रजातियां बेहद संकटग्रस्त हैं. शिकारी पक्षी और बगुलों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
मोर की हालत ठीक
रिपोर्ट में 217 ऐसी प्रजातियां भी हैं, जिनकी संख्या स्थिर है या बढ़ रही है. एशियाई कोयल और मोर की स्थिति भी अच्छी है. बया, जो कि आमतौर पर दिखती रहती हैं, की हालत भी अपेक्षाकृत स्थिर है. रिपोर्ट में राज्यवार आंकड़ा भी है कि किन राज्यों में किन पक्षियों के संरक्षण पर सबसे ज्यादा और तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
प्रवासी पक्षी
माइग्रेट्री पक्षी बहुत अद्भुत यात्री होते हैं. हर साल अपने प्रजनन और प्रवास की जगहों के बीच लंबी-लंबी यात्राएं करते हैं. कई यूरेशियन प्रजातियों के लिए भारत एक अहम नॉन-ब्रीडिंग ठिकाना है.
कई खतरे हैं राह में
कई प्रजातियां ऐसी हैं, जिनकी समूची आबादी अपनी सर्दियां भारतीय उपमहाद्वीप में बिताती हैं. पाया गया कि ये प्रवासी परिंदे भी चरम मौसमी घटनाओं, भूख और शिकार जैसे खतरों का सामना कर रहे हैं. गैर-प्रवासी पक्षियों की तुलना में इनकी संख्या ज्यादा तेजी से गिर रही है.
बिजली की तारें भी खतरनाक
पाया गया कि ओपन हैबिटाट में रहने वाले पक्षियों की संख्या में बहुत गिरावट आई है. ओपन हैबिटाट में ग्रासलैंड, रेगिस्तान जैसे खुले कुदरती ईकोसिस्टमों के अलावा खेतों, चारागाहों जैसे मानव-निर्मित पारिस्थितिकी तंत्र भी शामिल हैं. ऐसे इलाकों में रहने वाले पक्षियों के लिए कई खतरें हैं. जैसे बिजली की तारें, पवनचक्कियां, कुत्ते-बिल्ली जैसे शिकारी जानवर, कीटनाशक, अवैध शिकार, कारोबार, शहरीकरण.
दुनियाभर में पक्षियों पर खतरा
आईयूसीएन की रेड लिस्ट बताती है कि दुनियाभर में पक्षियों की 49 फीसदी प्रजातियों की आबादी घट रही है. ये गिरावट लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म, दोनों तरह की है. कई आम समझी जाने वाली प्रजातियां संख्या में घट रही हैं. उनपर एकदम से विलुप्त होने का खतरा भले ना हो, लेकिन घटती आबादी के इकोलॉजी पर कई गंभीर प्रभाव होंगे.
जैव विविधता में लगातार गिरावट
सोचिए, अगर आने वाली पीढ़ियां हाथी ना देख पाएं? गौरैया बस किताबों में दिखे? ये भीषण तो होगा ही, पर्यावरण और ईकोसिस्टम के लिए भी गंभीर नतीजे होंगे. दुनियाभर में जैव विविधता लगातार घट रही है. केवल पक्षी नहीं, स्तनपायी, सरीसृप, मछलियां, जंगली जीव, समुद्री जीव हर श्रेणी के जीवों की आबादी गिर रही है. ताजा लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट के मुताबिक, इन जीवों की आबादी में 1970 से अब तक औसतन 69 फीसदी की कमी आई है.