श्रीनगर में जी20 की बैठकों को लेकर सुरक्षा कड़ी की गई
१८ मई २०२३भारतीय अधिकारियों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में पर्यटन पर जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर आतंकवादी हमलों में वृद्धि के कारण जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर 22 से 24 मई तक पर्यटन पर जी20 वर्किंग ग्रुप की बैठक की मेजबानी करने के लिए तैयार है. यह दिल्ली में सितंबर में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन से पहले बैठकों की श्रृंखला का एक हिस्सा है. श्रीनगर में आतंकियों ने जी20 की बैठक में खलल डालने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
इस साल अब तक जम्मू-कश्मीर में चार हमलों में दस भारतीय सैनिक और सात नागरिक मारे गए हैं. भारतीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आतंकवादी संगठन जी20 शिखर सम्मेलन से पहले या उसके दौरान हमले करके अपने मकसद को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
क्षेत्र में एक वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारी ने कहा कि इन संभावित हमलों का समय चिंताजनक है, क्योंकि इनकी योजना जी20 शिखर सम्मेलन से पहले बनाई गई थी. उस सैन्य अधिकारी ने कहा कि ऐसी खुफिया जानकारी भी है कि आतंकवादी जम्मू में भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे एक स्कूल पर हमला कर सकते हैं और छात्रों को बंधक बना सकते हैं.
आतंकवादी हमले को लेकर अलर्ट सुरक्षाबल
उन्होंने कहा कि ऐसी खुफिया जानकारी के मद्देनजर में ऐसे स्कूलों को बंद कर कक्षाएं ऑनलाइन कर दी गई हैं. जी20 की बैठक के बाद स्कूल खोल दिए जाएंगे.
कश्मीर घाटी के पुलिस प्रमुख विजय कुमार ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि शहर में कमांडो तैनात किए गए हैं और आतंकवाद विरोधी बल के सदस्यों को भी विभिन्न स्थानों पर तैनात किया जाएगा.
केंद्र प्रशासित जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बुधवार को श्रीनगर में जी20 बैठक के लिए उच्चस्तरीय संयुक्त सुरक्षा बैठक की अध्यक्षता की. सिंह ने सभी बलों के बीच समन्वय को और मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि गड़बड़ी करने वालों के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए हर स्तर पर करीबी संपर्क बनाए रखा जाना चाहिए और इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
श्रीनगर 1989 से भारत सरकार के खिलाफ आतंकवादी समूहों के विद्रोह के केंद्र में रहा है. हाल के वर्षों में हिंसा में कमी के बावजूद विवादित क्षेत्र में दसियों हजार लोग मारे गए हैं.
इसी हफ्ते यूएन के एक विशेष दूत ने वहां जी20 बैठक आयोजित करने पर ऐतराज जताया था. यूएन दूत ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया था जिसके जवाब में भारत सरकार ने इन आपत्ति को आधारहीन और अवांछित बताकर सिरे से खारिज कर दिया था.
यूएन के दूत ने बैठक पर जताई थी आपत्ति
संयुक्त राष्ट्र में अल्पसंख्यक मामलों के विशेष दूत फर्नांड डी वारेनेस ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और ऐसे में वहां बैठक आयोजित कराना कश्मीरी मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने की कोशिश को मान्यता दिलाने का यह भारत का प्रयास है.
वारेनेस के बयान के बाद जेनेवा में भारत के स्थायी मिशन ने उनके बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि भारत जी20 अध्यक्ष के रूप में देश के किसी भी हिस्से में बैठक कराने का अधिकार रखता है.
2019 में राज्य से विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद कश्मीर में पहली अंतरराष्ट्रीय समिट होने वाली है.
भारत अपने प्रतिद्वंद्वी पड़ोसी पाकिस्तान पर कश्मीरी आतंकवादियों का समर्थन करने का आरोप लगाता है, लेकिन पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता है. साथ ही पाकिस्तान भारत पर कश्मीरी मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाता है. भारत इन आरोपों को खंडन करता रहा है.
परमाणु हथियारों से लैस देश पाकिस्तान और भारत ने अब तक तीन युद्ध लड़े हैं, जिनमें से दो जम्मू-कश्मीर पर क्षेत्रीय विवाद के कारण थे.
एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)