भारत-चीन संबंध: सीमा पर गश्त को लेकर बाकी हैं कई सवाल
२२ अक्टूबर २०२४भारतीय विदेश मंत्रालय ने 21 अक्टूबर को बताया कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गश्त लगाने के इंतजाम पर समझौता हो गया है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस समझौते के कारण दोनों देशों की सेनाएं एलएसी पर अपनी-अपनी वर्तमान जगह से पीछे हट जाएंगी.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने नई दिल्ली में पत्रकारों को बताया, "बीते कुछ हफ्तों के दौरान दोनों देशों के कूटनीतिक और सैन्य वार्ताकार कई मंचों पर एक-दूसरे के संपर्क में रहे हैं और उनके बीच हुई बातचीत के कारण" यह समझौता हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि इस समझौते की वजह से 2020 में सीमाई इलाकों में जो मसले पैदा हुए थे, उनका भी समाधान हो जाएगा और उसके बाद "दोनों देश आगे के कदम उठाएंगे."
मिस्री ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी. पूरे दिन चीन की तरफ से ताजा समझौते पर कोई बयान नहीं आया था, लेकिन 22 अक्टूबर की सुबह चीन के विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि कर दी. हालांकि, चीन ने भी कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में पत्रकारों से कहा कि दोनों पक्षों के बीच "प्रासंगिक मामलों" पर "समाधान हो गया है."
लौटेगी 2020 से पहले की स्थिति?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार "द ग्लोबल टाइम्स" के मुताबिक, मीडिया से बातचीत के दौरान लिन जियान ने यह भी कहा कि बीजिंग इस समाधान को सकारात्मक रूप से देख रहा है और "अगले चरण में चीन, भारत के साथ इस समाधान को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए काम करेगा."
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच तय हुआ है कि दोनों सेनाएं लद्दाख के डेपसांग मैदानी इलाकों और डेमचोक इलाके में पुराने पेट्रोलिंग बिंदुओं (पीपी) तक गश्त लगा सकेंगी. 'इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक, इसका मतलब है कि भारतीय सैनिक डेपसांग में पीपी 10 से 13 तक और डेमचोक में चार्डिंग नाला तक गश्त लगा सकेंगे.
विशेषज्ञों का कहना है कि इन बयानों में यह ब्योरा नहीं दिया गया है कि क्या दोनों सेनाएं अब वहां तक गश्त लगा सकेंगी, जहां तक 2020 में हुई गलवान मुठभेड़ के पहले लगाती थीं. हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 21 अक्टूबर को एक कार्यक्रम में यह जरूर कहा कि भारतीय सेना वाकई वहां तक गश्त लगा सकेगी, जहां तक 2020 तक लगा रही थी.
अगर ऐसा होता है, तो उन बफर इलाकों को हटाना होगा जिन्हें 2022 में कुछ बिंदुओं पर सेनाओं के पीछे हटने के बाद बनाया था. इस बारे में दोनों देशों के आधिकारिक बयानों में कोई जानकारी नहीं दी गई है. 'इंडियन एक्सप्रेस' ने यह भी दावा किया है कि सिर्फ लद्दाख ही नहीं, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के भी कुछ संवेदनशील इलाकों को लेकर समझौते हुए हैं.
भारत, चीन ने तकनीकी पक्षों की जानकारी नहीं दी है
सुशांत सिंह, अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में लेक्चरर और सामरिक मामलों के जानकार हैं. उन्होंने एक्स पर लिखा कि यह सवाल भी उठता है कि इन समझौतों के तहत चीनी सेना को उन इलाकों तक जाने की इजाजत दे दी गई है जहां तक मई 2020 से पहले उसे जाने की इजाजत नहीं थी. सिंह ने लिखा कि इन सवालों के जवाब जानने के लिए और जानकारी की जरूरत है.
कई विशेषज्ञ समझौते के एलान की टाइमिंग पर भी ध्यान दिला रहे हैं. यह घोषणा रूस की मेजबानी में हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समय की गई है, जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों पहुंचे हैं. मुमकिन है, समझौते की घोषणा ब्रिक्स सम्मेलन में दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के लिए रास्ता बनाए. देखना होगा कि रूस के कजान में इन दोनों नेताओं की मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता की गुंजाइश बनती है या नहीं.