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भारत: अग्निपथ योजना पर भड़का नौजवानों का गुस्सा

आमिर अंसारी
१६ जून २०२२

सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ को लेकर देश के छात्र हिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और सवाल कर रहे हैं चार साल बाद उनके भविष्य का क्या होगा. छात्रों का कहना है कि सेना में चार साल की नौकरी पर्याप्त नहीं है.

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बिहार में ट्रेन जला दी गई
बिहार में ट्रेन जला दी गई तस्वीर: IANS

अग्निपथ योजना की घोषणा के अगले दिन से ही बिहार में बवाल हो रहा है. गुरुवार को भी सबसे ज्यादा हंगामे की खबरें और तस्वीरें बिहार से ही आईं. बिहार से शुरू हुआ उबाल दूसरे राज्यों तक फैल चुका है. बिहार के गया, जहानाबाद, मुंगेर, आरा, कैमूर, सहरसा, बक्सर और नवादा में उग्र युवा शुक्रवार सुबह से सड़कों और रेल मार्गों पर प्रदर्शन करने उतर गए. बिहार के अलावा हरियाणा के गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी नौजवानों ने चार साल की भर्ती प्रक्रिया पर नाराजगी जताते हुए विरोध किया.

हिंसा और आगजनी

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बिहार के छपरा में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने एक पैसेंजर ट्रेन में आग लगा दी. यार्ड में खड़ी ट्रेन के इंजन और बोगी में भीड़ ने लगा दी. कैमूर में भी ट्रेन में आग लगा दिए जाने की रिपोर्ट है. वहीं आरा में प्लेटफॉर्म में नौजवानों ने हंगामा किया और लूटपाट की.

आरा रेलवे स्टेशन पर उग्र छात्रों को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी दागे.

जहानाबाद में प्रदर्शनकारी छात्रों ने पथराव किया जिसमें आम लोग और कुछ पुलिसकर्मी घायल बताए जा रहे हैं. यह छात्र रेलवे ट्रैक को जाम कर रेल ट्रैफिक को बाधित कर रहे थे. नवादा भी छात्रों ने रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया.

वहीं दिल्ली के नांगलोई रेलवे स्टेशन पर भी 20 के करीब प्रदर्शनकारी छात्र अग्निपथ योजना का विरोध करने के लिए जुटे थे, लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें समझाकर वापस लौटा दिया गया.

योजना पर उठ रहे हैं सवाल

बिहार में प्रदर्शन कर रहे छात्रों में से एक ने कहा, "हम सेना में जाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करते हैं. इसे चार साल के लिए सीमित कैसे किया जा सकता है? जिसमें ट्रेनिंग के दिन और छुट्टियां भी शामिल हों? सिर्फ तीन साल की ट्रेनिंग के बाद हम देश की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं? सरकार को इस योजना को वापस लेना चाहिए."

एक और छात्र ने कहा, "हम चार साल के बाद काम करने कहां जाएंगे? चार साल की सर्विस के बाद हम लोग बेघर हो जाएंगे. इसलिए हम लोग सड़कों पर उतरे हैं. देश के नेताओं को समझना होगा कि जनता जागरूक है."

सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्र
सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ प्रदर्शन करते छात्रतस्वीर: IANS

भारत: अब सेना में भी होगी ठेके पर भर्ती, आई नई योजना 'अग्निपथ'

सेना के पू्र्व अफसर और रक्षा विशेषज्ञ भी योजना को लेकर सवाल उठा रहे हैं. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने ट्वीट कर कहा, "48 साल पहले हम सेना से जुड़े थे. बहुत ही बेहतरीन सैनिकों के साथ सेवा करते हुए एक महान यात्रा की, उच्च जोखिम, रोमांच, उपलब्धियां, आजीवन बंधन, सैनिकों का प्यार और सम्मान जारी है. प्रशिक्षण को जोड़कर कुल 55 साल सेना में बिताए. मुझे संदेह है क्या अग्निवीर अपना उद्देश्य पूरा कर पाएंगे."

दूसरी ओर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा ने डीडब्ल्यू से कहा क्योंकि सेना ने इस योजना को लागू करने का फैसला ले लिया है तो हमें चार साल बीत जाने देना चाहिए और उसके बाद ही इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए.

विपक्षी दल भी अग्निपथ योजना पर सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को देश के बेरोजगार युवाओं की आवाज सुननी चाहिए. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "न कोई रैंक, न कोई पेंशन. न 2 साल से कोई डायरेक्ट भर्ती. न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य. न सरकार का सेना के प्रति सम्मान. देश के बेरोजगार युवाओं की आवाज सुनिए, इन्हें 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी."

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट किया, "सेना में काफी लंबे समय तक भर्ती लंबित रखने के बाद अब केन्द्र ने सेना में 4 वर्ष अल्पावधि वाली 'अग्निवीर' नई भर्ती योजना घोषित की है, उसको लुभावना व लाभकारी बताने के बावजूद देश का युवा वर्ग असंतुष्ट एवं आक्रोशित है. वे सेना भर्ती व्यवस्था को बदलने का खुलकर विरोध कर रहे हैं."

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, "देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक और अनौपचारिक विषय नहीं है. ये अति गंभीर और दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है. सैन्य भर्ती को लेकर जो खानापूर्ति करने वाला लापरवाह रवैया अपनाया जा रहा है, वो देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा.'अग्निपथ' से पथ पर अग्नि न हो."

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि अग्निवीर सैनिकों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स की भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी. गृह मंत्री अमित शाह के दफ्तर से ट्वीट किया गया कि गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि इस योजना के तहत 4 साल पूरा करने वाले अग्निवीरों को सीएपीएफ और असम राइफल्स में प्राथमिकता दी जाएगी.

वहीं बीजेपी शासित राज्यों मध्य प्रदेश, यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा की सरकारों ने अपने-अपने यहां राज्यों की पुलिस और दूसरी भर्तियों में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की घोषणा की.

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