भारत को जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा
२३ मार्च २०१८बैंक ने 67 विकसित और उभरते देशों पर जलवायु परिवर्तन से पड़ने वाले संभावित असर का मूल्यांकन किया है. मौसमी आपदाओं के लिए संवेदनशीलता, ऊर्जा उत्पादन में होने वाले बदलावों के जोखिम और जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता को इस मूल्यांकन का आधार बनाया गया है.
इन 67 देशों में दुनिया के लगभग एक तिहाई देश, विश्व की 80 फीसदी जनसंख्या और दुनिया की डीजीपी का 94 प्रतिशत हिस्सा आता है. एचएसबीसी ने सभी क्षेत्रों के मूल्यांकन के आधार पर यह रैंकिंग बनाई है. कई देश कुछ क्षेत्रों में सबसे ज्यादातर खतरे का सामना कर रहे हैं तो अन्य क्षेत्रों में उन्हें ज्यादा समस्या नहीं है.
जिन चार देशों को एचएसबीसी ने जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा बताया है, उनमें से भारत के बारे में उसका कहना है कि कृषि से होने वाली आमदनी घट सकती है. बढ़ते तापमान और कम होती बारिश से वे इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.
वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश और फिलीपींस में भी मौसम में हो रहे बदलाव के कारण तूफानों और बाढ़ का खतरा बढ़ेगा. एचएसबीसी का कहना है कि जलवायु से जुड़े जोखिमों से निपटने में पाकिस्तान की तैयारी सबसे कमजोर है. जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले टॉप10 देशों में आधे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में हैं. इन 10 देशों में ओमान, श्रीलंका, कोलंबिया, मेक्सिको, केन्या और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
पांच देश जिन पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों का खतरा सबसे कम है, उनमें फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, एस्टोनिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं. एचएसबीसी ने अपनी 2016 की रैंकिंग में जलवायु परिवर्तन के खतरों के मद्देनजर सिर्फ जी20 देशों का मूल्यांकन किया था.
एके/एमजे (रॉयटर्स)