पूर्वोत्तर भारत में रेल परियोजनाओं में दिख रही है तेजी
२८ फ़रवरी २०२३पूर्वोत्तर में खासकर तिब्बत से लगे सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचने और तमाम राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम तेज हो गया है. हाल में ही इसके फाइनल सर्वेक्षण का काम पूरा हुआ है. इससे खासकर अरुणाचल प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय सीमा तक सेना और उसके उपकरणों को बहुत कम समय में ही पहुंचाया जा सकता है. पूर्वोत्तर का यह राज्य बेहद दुर्गम है और सीमावर्ती इलाकों तक पहुंचने में काफी समय लगता है. खराब मौसम की वजह से अक्सर हेलीकॉप्टर सेवाएं भी बंद रहती हैं. ऐसे में यह रेलवे परियोजना सेना और उन इलाको में रहने वालों के लिए वरदान साबित हो सकती है.
पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की परियोजनाओं पर पहले से ही काम चल रहा है. अब तिब्बत से लगी सीमा तक आवाजाही को व्यवस्थित और तेज करने की तैयारी है. रेलवे की योजना पड़ोसी देश भूटान को भी जोड़ने की है. इसके लिए कोकराझार (असम में) से भूटान के गेलेफू तक करीब 58 किमी लंबी पटरियां बिछाई जाएंगी. पूर्वोत्तर में इन नई रेलवे परियोजनाओं का करीब 1.15 लाख करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है.
रेलवे अगले दो वर्षों में मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड की राजधानियों को रेलमार्ग से जोड़ने की योजना बना रहा है. पूर्वोत्तर सीमांत (एन.एफ.) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची दे बताते हैं, "असम, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा की राजधानी पहले से ही रेलवे के नक्शे पर हैं. रेलवे मणिपुर की राजधानी इंफाल को जोड़ने के लिए असम सीमा पर स्थित मणिपुर के जिरीबाम से 111 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बना रहा है.” उनका कहना था कि इंफाल से म्यांमार सीमा पर स्थित मोरे तक भी पहुंचा जा सकता है. इस रूट के बारे में शुरुआती अध्ययन का काम पूरा हो गया है.
सेना का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव
पूर्वोत्तर के खासकर दुर्गम सीमावर्ती इलाकों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने की इस योजना का प्रस्ताव वर्ष 2010-11 में सेना ने रखा था. इसका मकसद अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और सिक्किम के सीमावर्ती इलाकों को ब्रॉड गेज रेलवे नेटवर्क से जोड़ना था.
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में भालूकपोंग से तवांग तक दो सौ किमी लंबी ब्रॉड गेज के अलावा असम के सिलापथार से अरुणाचल के बाम तक 87 किमी और असम के रूपाई से अरुणाचल के पासीघाट तक 217 किमी लंबी पटरियां बिछाने की योजना पर काम तेज कर दिया गया है. इन तीनों परियोजनाओं को 'सामरिक रूप से महत्वपूर्ण' श्रेणी में रखा गया है. इसका अर्थ यह है कि इन पर होने वाला खर्च रेलवे और रक्षा मंत्रालय मिलकर वहन करेंगे.
सब्यसाची दे बताते हैं, "इन तीनों परियोजनाओं के लिए अंतिम लोकेशन सर्वेक्षण पूरा हो गया है और उसकी रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंप दी गई है. इस अंतिम लोकेशन सर्वेक्षण के जरिए रेलवे की पटरियों की स्थिति और स्टेशनों की लोकेशन तय की जाती है. रेल मंत्रालय फिलहाल उस रिपोर्ट पर विचार-विमर्श कर रहा है. उसके बाद उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेज दिया जाएगा."
चीन के साथ तनाव के मद्देनजर
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ हाल की तनातनी के बाद इन परियोजनाओं के काम में तेजी आई है. सेना के लिए इनका खास महत्व है. इससे उसे सीमा तक जवानों और उपकरणों को भेजने में काफी मदद मिलेगी. सेना के नजरिए से भालुकपोंग--तवांग लाइन सबसे अहम है. यह परियोजना दस हजार फीट की ऊंचाई पर बनेगी और इसके तहत पहाड़ियों को काट कर कई सुरंगें बनाई जाएंगी.
रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2014 से 2022 के बीच पूर्वोत्तर में 893.82 किमी लंबी पटरियों को ब्रॉड गेज में बदला गया है और 386.84 किमी लंबी नई पटरियां बिछाई गई हैं. सामरिक महत्व की उक्त तीनों परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश में हैं. उनके अलावा उत्तर असम के धेमाजी से अरुणाचल के पासीघाट तक 26 किमी लंबी ब्रॉड गेज लाइन पर भी शीघ्र काम शुरू होगा. सामरिक लिहाज से यह रूट भी काफी अहम है.
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने के लिए भी सर्वेक्षण शीघ्र शुरू होगा. उधर, सिक्किम को रेलवे नेटवर्क में शामिल करने की परियोजना पर भी काम तेजी से चल रहा है. इसके साथ ही सिक्किम की राजधानी गंगटोक से तिब्बत सीमा पर स्थित नाथुला तक ब्रॉड गेज लाइन बिछाने के लिए सर्वेक्षण शुरू हो गया है.
सब्यसाची दे बताते हैं कि सामरिक महत्व की रेलवे परियोजनाओं का काम आगे बढ़ाने के साथ ही मंत्रालय ने पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों की राजधानियों को भी रेलवे के नक्शे पर लाने की योजना बनाई है. इनमें से गुवाहाटी (असम), इटानगर (अरुणाचल प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा) पहले से ही रेलवे के नक्शे पर हैं. नागालैंड की राजधानी कोहिमा को वर्ष 2026 तक ब्रॉड गेज से जोड़ने का काम चल रहा है. मणिपुर की राजधानी इंफाल और मिजोरम की राजधानी आइजोल के इस साल के आखिर तक रेलवे नेटवर्क से जुड़ने की संभावना है.
इन परियोजनाओं के तहत कुल 1500 किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियां बिछाई जाएंगी. इनके तहत भारत का सबसे लंबा डबल डेकर रेल-कम-रोड ब्रिज, एक काफी लंबी रेल सुरंग और खंभों पर टिका दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल बनाने की भी योजना है.