"वो डरे हुए हैं, इसलिए हमें डरा रहे हैं"
३ जनवरी २०२२मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें "नीलाम" करने वाले ऐप "बुल्ली बाई" को तो ब्लॉक कर दिया गया है लेकिन जिन महिलाओं की तस्वीरें इस ऐप पर डाली गईं थी वे इस बात से निराश हैं कि सरकार ऐसे लोगों पर सख्ती कब दिखाएगी. दिल्ली और मुंबई पुलिस ने इस ऐप के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. डीडब्ल्यू ने दो प्रभावशाली महिलाओं से बात की जिनकी तस्वीरें इस ऐप पर डाली गईं थी. इनमें से द वॉयर की पत्रकार इस्मत आरा हैं और दूसरी जानी मानी रेडियो जॉकी सायमा हैं.
भारत की 100 मुस्लिम महिलाओं समेत इन दोनों की तस्वीरें भी "नीलामी" के लिए ऐप पर डाली गईं थीं. इनका कहना है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद कम है. "बुल्ली बाई" ऐप पर जिनकी तस्वीरें डाली गईं उनमें प्रसिद्ध अभिनेत्री शबाना आजमी, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पत्नी, कई पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं. पत्रकार इस्मत आरा उन महिलाओं में से एक हैं जिनकी तस्वीरें "बुल्ली बाई" पर पोस्ट की गई हैं. उन्होंने उसके खिलाफ दिल्ली पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.
"सच की आवाज दबाने की कोशिश"
इस्मत आरा कहती हैं कि इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई जिससे ऐसे लोगों का हौसला बढ़ा है. डीडब्ल्यू से बात करते हुए उन्होंने कहा, "ये मामला पहली बार नहीं हो रहा है. एक बार और हो चुका है, उस बार भी लोगों ने यह नहीं कहा था कि बहुत अच्छा हुआ है, लोगों ने इसकी निंदा की थी. सबने कहा था कि बहुत गलत हो रहा है. उस बार भी सभी जिम्मेदार लोगों ने इसकी निंदा की थी. महिला आयोग ने संज्ञान लिया था. संसद में बात उठाई गई थी. गृह मंत्री को खत लिखे गए थे. उसके बावजूद उस केस में निष्कर्ष नहीं दिखा, मामले में प्रगति होती नहीं दिखी."
इस्मत कहती हैं, "इस बार भी दो जगह मामला दर्ज कराया गया है. इस उम्मीद के साथ कि कोई कार्रवाई हो. इस बार भी पुलिस के लिए काफी चुनौती है कि वे लोग भी बार-बार अंगूठा दिखा रहे हैं और कह रहे हैं कि हम करेंगे, आप हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. तो उनके भीतर डर तो पैदा हो, एक सजा तो मिले ताकि इस तरह की चीजें दोबारा ना हों."
ऐप पर तस्वीर डाले जाने को लेकर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि सच्चाई की आवाज उठाने वालों को डरा-धमका कर चुप कराया जा सके. इस्मत आरा आगे कहती हैं, "हमारे माता-पिता भी चिंतित हैं, हमारी बहनें भी चिंतित हैं कि सोशल मीडिया तक सीमित यह खतरा वास्तविक खतरा न बन जाए और हम पर सीधा हमला हो सकता है." इस्मत चाहती हैं कि सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. वे कहती हैं, "लेकिन अभी तक हमने ऐसी कोई प्रगति नहीं देखी है."
"यह बहुत दर्दनाक है"
इसी तरह की एक और घटना पिछले साल जुलाई में हुई थी. "सुल्ली डील्स" नाम के एक ऐप पर 80 से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें डाली गई थीं. ऐप के खिलाफ दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मामले दर्ज किए गए लेकिन अब तक उस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है और ना ही कोई गिरफ्तारी. जानी मानी रेडियो जॉकी सायमा का नाम भी "बुल्ली बाई" की लिस्ट में शामिल है. उन्होंने डीडब्ल्यू से बात करते हुए कहा कि यह बहुत दर्दनाक है. उन्होंने कहा, "पिछले चार पांच साल से सोशल मीडिया पर आपके खिलाफ गाली गलौज, आपकी तस्वीरें बिगाड़ने की एक संस्कृति बनती जा रही है, जिसको आप साइबर बुलिंग कहते हैं, क्योंकि आप मुसलमान है और आज के हिंदुस्तान में ऐसा हो रहा है. मेरे लिए यह शॉकिंग नहीं था और मेरे ख्याल से यही सबसे ज्यादा शॉकिंग चीज है कि यह शॉकिंग नहीं है."
सायमा का कहना है, "सभी को ऐसे अपराधियों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए क्योंकि कोई भी इनका शिकार हो सकता है. नफरत करने वाले किसी का पीछा नहीं छोड़ते." वे कहती हैं, "ये जो चलन है कि आपकी आंख में आंख मिलाकर वो अपनी सारी हैवानियत दिखाएंगे, यह बहुत तकलीफदेह है. यह साफ साफ बताता है कि आपके देश का कानून मर चुका है. आपके समाज में कानून से चीजें चलती थीं, वह नहीं है." वे सवाल करती हैं, "इन्हें किनका समर्थन हासिल है, ये लोग क्यों नहीं पकड़े जाते हैं. यह खुलकर सामने आते हैं और बताते हैं कि हमने किया है और मुस्कुराते हैं और इनपर खबरें होती हैं लेकिन इनको पकड़ा नहीं जाता है."
"असली जिम्मेदारी सरकार की"
पीड़ितों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि महिलाओं, खासकर मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं क्योंकि उन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. सायमा का कहना है, "सबसे बड़ी जिम्मेदारी सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की है. अगर वे यह सुनिश्चित करते हैं कि गलत काम करने वालों के खिलाफ नरमी ना की जाए तो इस गंभीर समस्या को काफी हद तक हल किया जा सकता है."
उन्होंने कहा कि असली सवाल कानून के शासन का है. सायमा का कहना है, "हमारी सरकार, हमारी पुलिस इस तरह का काम क्यों नहीं करती कि वे लोग डरे. क्या है जो इतना वक्त लगता है कार्रवाई करने में. मुजरिम आपके सामने है. सवाल मेरा कानून से है. किस तरह का कानून हम दे रहे हैं कि हम किसी की सुरक्षा नहीं कर सकते हैं. तो हम जंगल में चले जाएंगे ना. या फिर हमें बता दें कि हम आपका ख्याल नहीं रखेंगे, आप अपनी हिफाजत खुद करें."
सायमा से जब पूछा गया कि मुस्लिम महिलाओं को इस तरह से क्यों निशाना बनाया जा रहा है तो वे कहती हैं कि "बुल्ली बाई"और "सुल्ली डील्स" की तरह काम करने वाले सोचते हैं कि कैसे एक मुस्लिम लड़की सच्चाई के लिए आवाज उठाने की हिम्मत कर सकती है. वह कैसे सफल हो सकती है? वह उदार कैसे हो सकती है?''
कई सामाजिक और राजनीतिक नेताओं ने भी "बुल्ली बाई" मुद्दे की निंदा की है और सरकार से कार्रवाई करने का आह्वान किया है. इस्मत कहती हैं इस तरह के हमले सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहते हैं और वह वास्तव में असली खतरा भी बनकर आ सकते हैं. इस बीच केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है ऐप के होस्ट प्लेटफॉर्म गिटहब ने ऐप ब्लॉक कर दिया है. उन्होंने कहा है कि ऐप डेवलपर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. उनके मुताबिक कार्रवाई के लिए इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और पुलिस समन्वय कर रही है.