पुलिस ने मांगी जुबैर की शिकायत करने वाले की जानकारी
१ जुलाई २०२२जुबैर की गिरफ्तारी भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए और 295 के तहत हुई थी. पुलिस को ट्विटर हैंडल @balajikijaiin की तरफ से शिकायत मिली थी. इस हैंडल ने दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए लिखा था कि कथित ट्वीट से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं. जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने ने यह ट्वीट 2018 में किया था.
एफआईआर के मुताबिक जुबैर ने एक पुरानी हिंदी फिल्म के स्क्रीनग्रैब का इस्तेमाल किया था, जिसमें एक होटल की तस्वीर दिखाई दे रही थी, जिसके बोर्ड पर हनीमून होटल के बजाय हनुमान होटल लिखा हुआ था.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा कि सीआरपीसी की धारा 91 के तहत बुधवार शाम को ट्विटर, इंडिया को एक नोटिस भेजा गया, जिसमें जांच अधिकारी ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट को मामले की जानकारी दी. अखबार का कहना है कि एक पुलिस सूत्र ने कहा, "हमने उनसे गुमनाम ट्विटर हैंडल @balajikijaiin का आईपी लॉग विवरण, खाते का पंजीकरण विवरण, मोबाइल नंबर, कनेक्टेड ई-मेल आईडी और यूजर द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण मुहैया करने के लिए कहा है."
@balajikijaiin का खाता बुधवार को डिलीट हो गया था लेकिन गुरुवार को वह दोबारा ऑनलाइन हो गया. इस खाते से अब तक कुल चार ट्वीट किए गए हैं और जुबैर की शिकायत करने के बाद इसके फॉलोअर्स की संख्या 1917 (शुक्रवार सुबह तक) हो गई.
उस अधिकारी ने बताया, "हमें पता चला है कि उस व्यक्ति ने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया. हालांकि, यह हमारी जांच को प्रभावित नहीं करता है. हम मामले की जांच कर रहे हैं क्योंकि इससे समाज में असामंजस्य पैदा हो रहा था. हम उस व्यक्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और उससे शिकायत के बारे में पूछेंगे."
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दूसरी ओर गुरुवार को जुबैर को दिल्ली पुलिस की विशेष टीम बेंगलुरु स्थित उनके घर ले कर गई थी. इस दौरान उनके घर की पुलिस ने तलाशी ली. कहा जा रहा है कि तलाशी के दौरान जुबैर के घर से एक लैपटॉप और हार्ड डिस्क जब्त की गई है. इसके अलावा जुबैर के घर पर मौजूद कुछ दस्तावेज भी दिल्ली पुलिस अपने साथ ले गई.
जुबैर को 27 जून को पुलिस ने साल 2020 के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन उनकी गिरफ्तारी इस नए मामले में हुई थी.
जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे), मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, मुंबई प्रेस क्लब, विभिन्न पत्रकार संगठनों, राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों ने की है और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की.