2023 की बड़ी राजनीतिक हलचलें
2023 का साल देश की सियासत के लिए उथल-पुथल भरा रहा. पक्ष-विपक्ष, दोनों ही अपनी राजनीतिक चालें चलते रहे.
बीजेपी की बल्ले-बल्ले
इस साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने तमाम दावों को दरकिनार करते हुए हिन्दी बेल्ट के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनाव जीत लिए. बीजेपी ने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया.
कर्नाटक और तेलंगाना में बदलाव
कांग्रेस ने दक्षिण के राज्य कर्नाटक में चुनाव जीतकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की. इससे विपक्षी दलों के अंदर थोड़ा आत्मविश्वास आया. साल के अंत में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई और के. चंद्रशेखर राव का हैट्रिक सरकार बनाने का सपना टूटा.
विपक्षी गठबंधन "इंडिया"
कांग्रेस के साथ लगभग दो दर्जन प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने मिलकर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ इंडिया गठबंधन बनाया. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची कर रहा है.
मणिपुर में हिंसा
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी. मैतेई समुदाय की ओर से जातीय आरक्षण की मांग के बाद हिंसा भड़की थी. इस हिंसा में 150 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है.
अनुच्छेद 370 पर "सुप्रीम फैसला"
इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 2019 में जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को संवैधानिक ठहराया है. अदालत की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है. जम्मू और कश्मीर के पास दूसरे राज्यों से अलग आंतरिक संप्रभुता नहीं है.
141 सांसद निलंबित
शीतकालीन सत्र में लोकसभा और राज्यसभा से रिकॉर्ड संख्या में विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ. लोकसभा से 95 और राज्यसभा से 46 सांसद सदस्य निलंबित किए गए. दरअसल विपक्षी सांसद संसद में सुरक्षा चूक को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे थे.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर बवाल
अदाणी समूह पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग ने साल की शुरूआत में कई खुलासे किए थे. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि अदाणी समूह ने टैक्स हैवन देशों के रास्ते पैसे लगा कर अपनी कंपनियों के शेयरों के दामों को कृत्रिम रूप से बढ़ाया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा और इस पर फैसले का इंतजार है.