क्या है ईएफटीए समझौता, भारत को कितना होगा फायदा
११ मार्च २०२४भारत ने 10 मार्च को यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर किए. इसके तहत भारत को इन चार यूरोपीय देशों से अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता मिली है. लगभग 16 साल की बातचीत के बाद यह समझौता संभव हो पाया है. इस समझौते के तहत भारत में व्यापार और विदेशी निवेश बढ़ेगा.
ईएफटीए में स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन शामिल हैं. समझौते पर हस्ताक्षर होने पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "टीईपीए एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौता है. पहली बार भारत चार विकसित देशों, जो यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है, के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है."
गोयल ने बताया, "एफटीए के इतिहास में पहली बार 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार की बाध्यकारी प्रतिबद्धता की गई है. यह समझौता 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देगा और युवा व प्रतिभाशाली श्रमबल को अवसर देगा." भारत सरकार का कहना है कि यह एफटीए बड़े यूरोपीय और वैश्विक बाजारों तक भारतीय निर्यातकों को पहुंच मुहैया कराएगा.
भारतीय उद्योग जगत को उम्मीदें
स्विट्जरलैंड के आर्थिक मामलों के मंत्री गाइ पार्मेलिन ने कहा कि समझौते के परिणामस्वरूप देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और नवीन प्रौद्योगिकी का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे देश में विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और अधिक रोजगार का सृजन होगा. उन्होंने कहा कि इससे 'मेक इन इंडिया' अभियान में और तेजी आएगी. पार्मेलिन के मुताबिक, यूरोपीय देश अपनी ओर से भारत के विशाल बाजार और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था द्वारा दिए जाने जाने वाले आर्थिक अवसरों तक पहुंच हासिल करेंगे.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष आर दिनेश ने मीडिया से कहा कि 100 अरब डॉलर के निवेश के लिए ईएफटीए सदस्यों की प्रतिबद्धता से इंजीनियरिंग, दवा, खाद्य प्रसंस्करण, परिधान और अन्य क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा.
आयात शुल्क कम करेगा भारत
भारत ईएफटीए ब्लॉक के साथ अपने व्यापार समझौते के तहत कलाई घड़ी, चॉकलेट, बिस्किट और दीवार घड़ी जैसे उच्च गुणवत्ता वाले स्विस प्रोडक्ट्स पर सीमा शुल्क खत्म करने की योजना बना रहा है. इससे भारतीय ग्राहकों को कम कीमत पर ऐसे प्रोडक्ट्स तक पहुंच मिलेगी.
नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन ईएफटीए के सदस्य हैं. सभी देशों से इस समझौते को लेकर मंजूरी मिलने की पूरी प्रक्रिया एक साल में पूरी हो जाएगी. एक साल के अंदर भारतीय ग्राहकों को कम कीमत पर चॉकलेट और स्विस घड़ियां मिलने लगेंगी.
भारत और ईएफटीए के सदस्य देश व्यापार और निवेश समझौते पर 15 साल से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे. करीब 13 दौर की बातचीत के बाद 2013 के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी. इसके बाद 2016 में फिर से बातचीत शुरू हुई और चार दौर की बातचीत के बाद 2023 में मामला बनता दिखा. हालांकि 8 से 13 जनवरी को नई दिल्ली में 21वें दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्ष सहमति के करीब पहुंच गए और फिर करार पूरा किया.
ईएफटीए देश यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं हैं. यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक अंतर-सरकारी संगठन है. इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी, जो यूरोपीय संघ में शामिल नहीं होना चाहते थे.