डॉक्टर कर रहे मरीजों का ऑनलाइन इलाज
२९ मई २०२०भारत में इस वक्त स्वास्थ्य सेवा पर कोरोना वायरस के कारण अतिरिक्त भार आया हुआ है. डॉक्टर भी ऐसे में समय में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल करते हुए कम गंभीर और क्रोनिक बीमारियों के लिए ऑनलाइन सलाह दे रहे हैं. दो महीने से अधिक समय के बाद भारत लॉकडाउन से बाहर आने की तैयारियों में जुटा हुआ है. क्लीनिक में भीड़ बढ़ने से रोकने के लिए और संक्रमण के खतरे से बचने के लिए डॉक्टर वीडियो कॉल और व्हॉट्सऐप चैट का सहारा ले रहे हैं. इसके अलावा नियमित फोन कॉल पर भी ऐसे मरीजों का इलाज किया जा रहा है जिन्हें डायबीटीज या किडनी से जुड़ी बीमारी है.
दिल्ली के पास गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन की निदेशक सुशीला कटारिया के मुताबिक, "इस वक्त लॉकडाउन है, मरीज आ नहीं सकते हैं लेकिन बीमारी इंतजार नहीं करेगी." कटारिया अब 80 फीसदी मरीजों को ऑनलाइन देखती हैं. शारीरिक जांच सिर्फ अति आवश्यक मामलों तक सीमित है. दुनिया के सबसे सख्त लॉकडाउन होने के बावजूद भारत में शुक्रवार 29 मई तक कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले 1,65,799 से ज्यादा हो गए और 4,706 लोगों की मौत हो गई.
कोरोना वायरस के संक्रमण ने पहले से ही बेड और डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पतालों के लिए नया संकट खड़ा कर दिया था. सामान्य समय में भी भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई रहती है. ऐसे में सरकार ने टेलीमेडिसिन से जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए जिससे इंटरनेट के जरिए लोग डॉक्टरों से सलाह ले सकें.
मरीज ऑनलाइन जाकर टेलीमेडिसिन के लिए अपाइंटमेंट बुक कर सकता है और एडवांस भुगतान कर सकता है, महामारी के पहले भी इस तरह की सेवा दी जा रही थी लेकिन अब इस सेक्टर को यह प्रक्रिया औपचारिक बनाने में मदद कर रही है. जनरल फिजिशियन देवेंद्र तनेजा बताते हैं कि इमरजेंसी वीडियो कॉल सबसे महंगे होते हैं, पहले से बुक किए हुए वीडियो कॉल सस्ते पड़ते हैं जबकि फोन कॉल पर कम पैसे देने पड़ते हैं और व्हॉट्सऐप चैट सबसे सस्ता है. रीढ़ की हड्डी की सर्जरी करा चुके डॉ. तनेजा के 69 साल के मरीज प्रदीप कुमार मलहोत्रा के मुताबिक, "डॉक्टर के पास जाने के लिए कोई भी डरता है. अस्पताल में संक्रमण का खतरा बना रहता है. यह एक बड़ी समस्या है."
फिर भी डॉक्टरों को खराब इंटरनेट कनेक्शन के साथ मरीजों का विश्वास जीतने के उपायों पर काम करना पड़ रहा है. स्त्रीरोग विशेषज्ञ मुक्ता कपिला कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं का शारीरिक परीक्षण करने में असमर्थ होना निराशाजनक होता है. वह कहती हैं, "इस तरह के समय में हीलिंग टच देने में सक्षम नहीं होना एक डॉक्टर के रूप में थोड़ा अधूरापन का एहसास दिलाता है."
एए/सीके (रॉयटर्स)
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