क्या आर्थिक सुस्ती दूर कर पाएंगे पर्व और त्योहार
२ अक्टूबर २०२०दिल्ली के पास स्थित नोएडा के एक आवासीय कॉलोनी के बाजार में कई सालों तक सलून चलाने के बाद अब्दुल राशिद ने उसे इस उम्मीद के साथ बंद कर किराने की दुकान में तब्दील कर दिया कि अब उन्हें इसे चलाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी. राशिद कहते हैं, "लॉकडाउन के दौरान हमारा सलून बंद रहा. लेकिन फिर भी मैंने अपने कर्मचारियों को वेतन देने की कोशिश की और किराया भी चुकाया. लेकिन कोरोना के कारण अब बाल कटवाने वाले लोग कम आने लगे." अनलॉक की प्रक्रिया के तहत जब उनकी दुकान दोबारा खुली तो पहले जैसी भीड़ नहीं हुई. राशिद कहते हैं, "मैंने सोचा लोग भले ही बाल कटवाने कम आ रहे हों लेकिन राशन तो जरूर खरीदेंगे और वह हर दिन की जरूरत का होता है." राशिद पिछले एक महीने से किराने की दुकान चला रहे हैं और अब वह कारोबार से संतुष्ट हैं. इसी तरह से गाजियाबाद के गौरव बंसल ने बाजार और मांग को देखते हुए मास्क वेंडिंग मशीन का कारोबार शुरू किया है. गौरव बताते हैं कि लोग अब घरों से बाहर जाते हैं तो मास्क जरूर लगाते हैं और ऐसे में वेंडिंग मशीन में पैसे डालकर लोग बाजार से मास्क खरीद सकेंगे. बंसल कहते हैं, "धंधा अब इसी तरह से चलने वाला है. छोटे और वैकल्पिक काम से ही हमारा काम चलेगा. मास्क तो अब लोगों की आदत में शामिल हो गया." उन्हें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में वे निवेश किए गए पैसे इस नए धंधे से वसूल पाने में कामयाब रहेंगे.
बाजार का हाल
भारत में अर्थव्यवस्था में सुधार के कुछ अहम संकेत मिल रहे हैं. लॉकडाउन के बाद सितंबर महीने में सबसे ज्यादा 95,480 करोड़ जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) वसूली हुई है. माना जा रहा है कि जीएसटी संग्रह में सुधार से आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं. लेकिन आर्थिक जानकारों का कहना है कि जीएसटी वसूली में अच्छी बढ़ोतरी की वजह अक्टूबर में त्योहारी मौसम से पहले कारोबारियों के माल का स्टॉक करना भी हो सकता है. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े बताते हैं कि जीएसटी संग्रह सितंबर में 95,480 करोड़ रुपये रहा. यह अगस्त में 86,449 करोड़ रुपये रहा था.
दुर्गा पूजा, दशहरा और दीवाली पर लोग नए-नए कपड़े और अन्य सामान खरीदते हैं. साल में यह ऐसा मौका होता है जब हर तबके का व्यक्ति अपने लिए कुछ ना कुछ नया खरीदना चाहता है. इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, फ्रिज और मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स भी खूब बिकते हैं. डेलॉयट इंडिया के एमएस मणि के मुताबिक पिछले साल की तुलना में जीएसटी संग्रह में चार फीसदी की मामूली बढ़ोतरी से संकेत मिलता है कि आर्थिक सुधार प्रक्रिया चल रही है. उनके मुताबिक, "अगर जीएसटी संग्रह के मौजूदा रुझान जारी रहते हैं, तो हमें आने वाले महीनों में अलग-अलग राज्यों में होने वाले अनलॉक से जुड़े कदमों और त्योहारी मौसम के आधार पर अहम वृद्धि की उम्मीद है."
सरकार का मानना है कि सबसे बुरा दौर गुजर चुका है. साथ ही इस बार मानसून अच्छा होने से रिकॉर्ड फसल की उम्मीद है. सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन का कहना है कि कोयला, ईंधन, गैस, स्टील और सीमेंट सेक्टर धीरे-धीरे उभर रहे हैं.
देश के करीब 7 करोड़ व्यापारी और उससे जुड़े 40 करोड़ कर्मचारी त्योहार के इस मौसम से काफी उम्मीद लगाए हुए हैं. उन्हें लगता है कि लॉकडाउन में नुकसान का कुछ फीसदी हिस्सा इन त्योहारों में होने वाली बिक्री से निकल जाएगा.
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