मिलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्लों से
लोग उनकी पहली झलक देख कर अवाक रह जाते हैं और फिर उनके साथ सेल्फियां खिंचवाते हैं. कोई क्यों ना चौंके भला? वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्ल जो हैं.
'हमारा मोदी'
राशीद अहमद दिल्ली में बिजली से चलने वाले रिक्शा चलाते हैं. लोग उन्हें प्यार से "हमारा मोदी" कहते हैं, क्योंकि उनकी शक्ल मोदी से काफी मिलती है. 60 साल के अहमद दो कमरों के एक मकान में अपनी पत्नी, बच्चों और पोते-पोतियों के साथ रहते हैं.
'मोदी अंकल'
अहमद अपने मोहल्ले में एक सेलिब्रिटी हैं. लोग उन्हें अक्सर उनके काम के बीच में रोक कर उनके साथ तस्वीर खिंचवाने का अनुरोध करते हैं. आस-पड़ोस के बच्चे भी उन्हें "मोदी अंकल" ही बुलाते हैं. उनमें से कई बच्चों को वो अपने रिक्शे में स्कूल छोड़ने जाते हैं.
एक इत्तेफाक
अहमद कहते हैं, "मैं तो शुरू से ऐसा ही दिखता हूं, लेकिन जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं तब से इस बात की ज्यादा चर्चा होने लगी है." अहमद बीजेपी की रैलियों में भी शामिल हुए हैं. उन्हें देख कर लोग उत्साहित हो जाते हैं.
रैली में जाते हैं
ऐसी रैलियों में हिस्सा लेकर अहमद करीब 1,000 रुपए कमा लेते हैं, जो उनके रिक्शा से एक दिन में होने वाली कमाई के आस पास ही है. वो कहते हैं, "हां लोग हमें (रैलियों के लिए) पैसे देते हैं और हमें लेने भी पड़ते हैं क्योंकि हमें उस दिन काम छोड़ना पड़ता है."
सब साथ रहें
हाल ही में मुसलमानों पर मोदी के बयानों को लेकर जो विवाद हुआ था, उस पर अहमद का मानना है कि प्रधानमंत्री नहीं बल्कि पार्टी में निचले दर्जे के लोग "धर्मों को बांटते हैं." चुनावों के नतीजों के बारे में वो कहते हैं, "समय ही बताएगा. हम तो बस इतना चाहते हैं कि अच्छा काम हो...विकास हर तरफ होना चाहिए...सबको साथ रहना चाहिए."
एक और हमशक्ल
68 साल के रियल एस्टेट व्यापारी जगदीश भाटिया भी मोदी के हमशक्ल हैं. वो शहर के एक समृद्ध इलाके में रहते हैं और निरंकारी पंथ के अनुयायी हैं.
मोदी के प्रशंसक
जगदीश कहते हैं कि वो बीजेपी की रैलियों में शामिल होने के लिए पैसे नहीं लेते हैं, क्योंकि वो इसे "समाज सेवा" मानते हैं. वो मोदी के नजरिए को पसंद करते हैं.
पार्टी का काम
जगदीश कहते हैं, "मुझे मोदी के काम करने का तरीका और जो चीजें उन्होंने देश के विकास के लिए की वो बेहद पसंद है. इसलिए मुझे अच्छा लगता है अगर मैं पार्टी के किसी काम आ सकूं."
कपड़े भी मोदी जैसे
जगदीश मोदी के जैसे दिखने के लिए कपड़े भी उन्हीं के जैसे पहनते हैं. इसके विपरीत, अहमद खुद को मोदी का हमशक्ल होना महज एक इत्तेफाक बताते हैं.