जर्मनी के चार शहरों में शुरू हुआ इंडियन फिल्म फेस्टिवल
११ जनवरी २०२५जर्मनी की राजधानी बर्लिन और तीन अन्य बड़े शहरों - हैम्बर्ग, म्यूनिख और फ्रैंकफर्ट में इंडियन फिल्म फेस्टिवल, जर्मनी (आईएफएफजी) का आयोजन हो रहा है. यह भारत से बाहर हो रहा सबसे बड़ा 'नॉन-कमर्शियल' भारतीय फिल्मोत्सव है. इस फेस्टिवल का उद्घाटन समारोह शुक्रवार को बर्लिन में हुआ, जिसमें शेखर कपूर, बोमन ईरानी, लक्ष्मी प्रिया, अविनाश तिवारी और अपारशक्ति खुराना जैसे प्रतिष्ठित भारतीय निर्देशक और अभिनेता शामिल हुए. यह फेस्टिवल 12 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान, जर्मनी के इन चार शहरों में भारतीय फिल्में दिखाई जाएंगी और पैनल चर्चा भी होगी.
इस फेस्टिवल में 10 भारतीय भाषाओं की कुल 40 फिल्में दिखाई जाएंगी. इनमें 'लापता लेडीज', 'गुलमोहर' और 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' शामिल हैं. डीडब्ल्यू हिन्दी की टीम बर्लिन में इस फेस्टिवल को कवर कर रही है. यहां सिनेमैक्स पॉट्सडामर प्लात्स सिनेमाघर में फिल्मों की स्क्रीनिंग की जा रही है. इस सिनेमाहॉल की स्क्रीन यूरोप की सबसे बड़ी स्क्रीनों में से एक है. बर्लिन में होने वाले 'बर्लिनाले' जैसे अन्य प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवलों के दौरान भी यहां फिल्में दिखाई जाती हैं.
बोमन ईरानी की 'मेहता बॉयज' से हुई शुरुआत
बोमन ईरानी द्वारा निर्देशित फिल्म मेहता बॉयज, इस फेस्टिवल की आधिकारिक ओपनिंग फिल्म है. इस फिल्म के साथ बोमन ईरानी ने निर्देशन की दुनिया में कदम रखा है. फिल्म में पिता की भूमिका बोमन ईरानी और बेटे की भूमिका अविनाश तिवारी ने निभाई है. इसके अलावा, श्रेया चौधरी और पूजा सरूप भी इस फिल्म का अहम हिस्सा हैं. इस फिल्म में पिता-पुत्र के संबंधों की जटिलताओं को वास्तविक रूप में दिखाने की कोशिश की गई है.
इस फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान सिनेमाहॉल लगभग पूरा भरा हुआ था. उसके बाद बोमन ईरानी, अविनाश तिवारी और पूजा सरूप ने दर्शकों से बातचीत भी की. बोमन ईरानी ने बताया कि कैसे वे सीन शूट करने के बाद सभी से जाकर पूछते थे कि उनके अभिनय में कोई कमी तो नहीं रह गई. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अमेरिकी लेखक एलेक्जेंडर डिनेलैरिस ने यह फिल्म लिखने में उनकी मदद की और बाद में एलेक्जेंडर की लिखी एक दूसरी फिल्म बर्डमैन ने ऑस्कर अवॉर्ड भी जीता.
इस दौरान कई दर्शकों ने फिल्म में पूजा के किरदार की तारीफ की. पूजा ने बताया कि इस फिल्म के बाद अब वे भी कुछ लिखने के बारे में सोच रही हैं. अविनाश तिवारी ने कहा, “पिता-पुत्र का रिश्ता हमेशा थोड़ा उलझा हुआ ही होता है. इसलिए वे अपने किरदार को व्यक्तिगत अनुभवों से जोड़कर देखते थे और इससे उन्हें अभिनय करने में आसानी होती थी.” उन्होंने हंसते हुए यह भी कहा कि उनके और बोमन के बीच का रिश्ता भी थोड़ा थोड़ा पिता-पुत्र जैसा हो गया था.
दूसरे-तीसरे दिन किन फिल्मों की होगी धूम
फेस्टिवल में दूसरे दिन बर्लिन, मासूम, गर्ल्स विल बी गर्ल्स, बूंग, द साबरमती रिपोर्ट, द एनशिएंट और 35 चिन्ना कथा काडू फिल्म दिखाई जाएगी. इस दौरान मासूम फिल्म को निर्देशित करने वाले प्रतिष्ठित निर्देशक शेखर कपूर भी मौजूद रहेंगे. वे फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों के सवालों का जवाब देंगे. इसके अलावा, पिछले साल आयी बर्लिन फिल्म के निर्देशक अतुल सभरवाल और अभिनेता अपारशक्ति खुराना भी दर्शकों से बातचीत करेंगे.
फेस्टिवल में तीसरे दिन कांतारा, गर्ल्स विल बी गर्ल्स और अत्तम समेत कई फिल्में और चार शॉर्ट फिल्में दिखाई जाएंगी. इस दिन मनोज वाजपेयी की दो फिल्में- डिस्पैच और गुलमोहर भी दिखाई जाएंगी. फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली आखिरी फिल्म 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' होगी, जिसे कान फिल्म फेस्टिवल में ग्रॉं प्री अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. इस दिन डिस्पैच के डायरेक्टर कनू बहल और गुलमोहर के डायरेक्टर राहुल चित्तेला दर्शकों से बातचीत भी करेंगे.
“भारत की सॉफ्ट पावर बढ़ाने का है उद्देश्य”
जर्मनी में भारतीय दूतावास और और 'द टैगोर सेंटर' संयुक्त रूप से इस फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं. इन्होंने प्रेस रिलीज जारी करके कहा है कि फेस्टिवल में फिल्मों की स्क्रीनिंग के अलावा नेटवर्किंग कार्यक्रमों और प्रेजेंटेशनों के जरिए फिल्ममेकिंग, को-प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन को प्रोत्साहन मिलेगा.
जर्मनी में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने डीडब्ल्यू हिन्दी से बातचीत में कहा,“यूरोप और जर्मनी में काफी लोग भारतीय फिल्मों को देख रहे हैं. इस फेस्टिवल के जरिए हमारा उद्देश्य है कि भारतीय फिल्में और ज्यादा लोगों तक पहुंचें और देश की सॉफ्ट पावर बढ़े.”
'द टैगोर सेंटर' की निदेशक तृषा सखलेचा ने डीडब्ल्यू हिन्दी को बताया कि इस फेस्टिवल में हिंदी, मराठी और बंगाली समेत 10 भारतीय भाषाओं की फिल्में दिखाई जाएंगी, जिसका मकसद जर्मनी में भारत की विविधता को दिखाना है.