भारत में बनी ओमिक्रॉन जांच किट
७ जनवरी २०२२टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स द्वारा बनाई गई इस किट का नाम ओमिश्योर है. यह नाक और गले से लिए गए सैंपलों की जांच कर कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगा सकती है. यह दूसरे वेरिएंटों का भी पता लगा सकती ही.
भारत में कोविड प्रबंधन की मुख्य संस्था इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी भी दे दी है. उम्मीद है कि किट 12 जनवरी से बाजारों में उपलब्ध हो जाएगी.
अनूठी किट
कंपनी ने बताया कि इस किट का जांच का तरीका अनोखा है जिसके तहत ओमिक्रॉन का पता तो लगाया जा ही सकता है, साथ में अगर सैंपल में कोई और एसएआरएस-सीओवी-2 का वेरिएंट हो तो किट उसका भी पता लगा लेगी.
इसे दो तरह के एस-जीन वायरल टारगेट का इस्तेमाल करने वाली दुनिया की पहली किट बताया जा रहा है. पहला टारगेट एस-जीन ड्रॉपआउट या एस-जीन टारगेट फेलियर पर आधारित है और दूसरे टारगेट एस-जीन म्युटेशन एम्पलीफिकेशन पर आधारित है.
मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि यह घर पर खुद जांच कर लेने की किट नहीं है, बल्कि प्रयोगशालाओं में प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा इस्तेमाल करने की किट है. यह ढाई घंटे में नतीजा दे देती है. आजकल बाजार में खुद ही घर बैठे बैठे अपनी कोविड जांच कर लेने वाली कई रैपिड एंटीजेन किट्स आ गई हैं.
लेकिन ओमिश्योर रैपिड एंटीजेन नहीं है बल्कि एक पीसीआर किट है, जिसका इस्तेमाल प्रयोगशालाओं में ही होना चाहिए. कंपनी ने कहा है कि किट के उत्पादन को बढ़ाने का काम शुरू कर दिया गया है और कोशिश की जा रही है कि एक दिन में दो लाख से ज्यादा किट बनाई जा सकें.
बढ़ेगी जेनेटिक जांच
उम्मीद की जा रही है कि इस किट से आसानी से भारत में ओमिक्रॉन के प्रसार का पता लगाया जा सकेगा. इस समय भारत में कोविड-19 की जांच के लिए गए सैंपलों में ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए सैंपलों की जेनेटिक जांच की जाती है.
यह एक पेचीदा प्रक्रिया है और देश में इसे कर पाने की क्षमता वाली प्रयोगशालाओं की संख्या बहुत कम है. इस वजह से जहां पूरे देश में रोजाना लाखों टेस्ट किए जा रहे हैं, जेनेटिक जांच उनमें से बहुत ही कम सैंपलों की हो पा रही है.
अभी तक पूरे देश में ओमिक्रॉन के सिर्फ करीब 3,000 मामलों की पुष्टि हो पाई है. उम्मीद की जा रही है कि ओमिश्योर के इस्तेमाल से सैंपलों की जेनेटिक जांच बढ़ेगी और ओमिक्रॉन के प्रसार की सही स्थिति का अंदाजा लग पाएगा.
इसे बनाने वाली टीम का नेतृत्व टाटा एमडी में रिसर्च और डेवलपमेंट के प्रमुख डॉक्टर वी रवि ने किया. उन्होंने मीडिया संस्थानों को बताया कि उन्होंने किट पर नवंबर 2021 में ही काम शुरू कर दिया था और यह दुनिया में सब तेजी से बनाई जाने वाली इस तरह की किट है.