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विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा, चीन के साथ कारोबार है जटिल मुद्दा

१० सितम्बर २०२४

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन देशों की अपनी विदेश यात्रा के क्रम में सऊदी अरब के बाद जर्मनी पहुंचे हैं. अगले महीने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स भारत जा रहे हैं.

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फरवरी 2024 में म्युनिख सिक्यॉरिटी कॉन्फ्रेंस के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर तीन देशों की अपनी विदेश यात्रा के दूसरे चरण में सऊदी अरब के बाद जर्मनी पहुंचेतस्वीर: Johannes Simon/Getty Images

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर जर्मनी की राजधानी बर्लिन में आयोजित राजदूतों के सालाना सम्मेलन में शामिल हुए. यहां उन्होंने भारत में हो रहे बदलावों पर रोशनी डालते हुए कहा, "पिछले एक दशक में भारत काफी बड़े स्तर पर बदला है. आज यह करीब चार ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था है. भारत का मानव संसाधन भी बदल रहा है. वैश्विक कारोबार में भारतीय प्रतिभाओं की प्रासंगिकता स्पष्ट दिख रही है."

फरवरी 2024 में म्युनिख सिक्यॉरिटी कॉन्फ्रेंस में द्विपक्षीय वार्ता के दौरान हाथ मिलाते अनालेना बेयरबॉक और एस जयशंकर
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी में अपनी समकक्ष अनालेना बेयरबॉक से मुलाकात कीतस्वीर: Tobias Schwarz/AFP

अंतरिक्ष अभियानों और दवाओं के क्षेत्र में देश की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, "अब यह ऐसा भारत है, जो चांद पर उतर रहा है और मंगल अभियान की तैयारी कर रहा है. वैक्सीन और दवाओं का बड़ा निर्माता है. वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए ज्यादा अहम होता जा रहा है. इतने सब के बावजूद अभी बहुत कुछ करने के लिए बचा है."

अगले महीने भारत जा रहे हैं जर्मन चांसलर

जर्मन विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में दुनियाभर में नियुक्त जर्मन राजदूत हिस्सा ले रहे हैं. विदेश मंत्रालय के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्यपूर्व में जारी संकट के अलावा जलवायु संकट के मद्देनजर व्यापक प्रयास और यूरोप की प्रतिद्वंद्विता बढ़ाना इस सम्मेलन के मुख्य विषयों में है.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर सऊदी अरब और यूरोप की यात्रा पर

अपने संबोधन में मौजूदा वैश्विक स्थितियों पर टिप्पणी करते हुए जयशंकर ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं कि यह (दुनिया) बड़े बदलावों से गुजर रही है. 1945 के बाद जो वैश्विक व्यवस्था कायम हुई, उसमें परिवर्तन हो रहा है. यह बदलते आर्थिक संतुलन में नजर आता है, जिसकी गति वैश्वीकरण के कारण बढ़ी है. भारत के नजरिये से कहूं, तो हम इन उभर रही स्थितियों में यूरोपीय संघ और जर्मनी को अहम खिलाड़ियों के तौर पर देखते हैं."

भारत-जर्मनी के रिश्तों पर टिप्पणी करते हुए विदेश मंत्री ने यह रेखांकित किया कि करीब 43,000 भारतीय छात्र जर्मनी में पढ़ रहे हैं और पिछले साल में छात्रों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है.

बतौर विदेश मंत्री जयशंकर तीसरी बार जर्मनी आए हैं. यहां वह विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक समेत कई मंत्रियों से मिलेंगे. जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स अगले महीने भारत जा रहे हैं. ऐसे में जयशंकर का यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की दिशा और बातचीत के अहम मुद्दों की भी जमीन तैयार करेगा. शॉल्त्स की भारत यात्रा में दोनों देशों के बीच कारोबार में सहूलियत, माइग्रेशन, भूराजनीतिक मुद्दे और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर फोकस रहने की उम्मीद है.

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चीन के साथ कारोबार को जटिल बताया

सम्मेलन के दौरान एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ कारोबार एक जटिल मुद्दा है. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं कि हम चीन के साथ कारोबार के लिए तैयार नहीं हैं. मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में कारोबार करते हैं और किन शर्तों पर कारोबार करते हैं. यह हां या ना में जवाब से कहीं ज्यादा जटिल है."

हालिया सालों में सीमा विवाद बढ़ने के कारण भारत और चीन के रिश्तों में तनाव आया है. भारत ने चीनी कंपनियों के निवेश पर सख्ती और छानबीन बढ़ा दी है. कई बड़े प्रोजेक्ट भी रोक दिए गए हैं. हालांकि, बीते दिनों वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई अधिकारियों ने ज्यादा चीनी निवेश को मंजूरी देने के संकेत दिए हैं.

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जुलाई में जारी सालाना आर्थिक सर्वे में भी संकेत दिया गया है कि वैश्विक निर्यात बढ़ाने के लिए भारत, चीन से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दे सकता है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सोलर पैनलों और बैटरी निर्माण जैसे क्षेत्रों में चीनी निवेश पर लगी पाबंदियों में ढील दे सकता है. चीनी नागरिकों को भारतीय वीजा देने पर जारी सख्ती में भी ढील दी जा सकती है. सौर ऊर्जा और बैटरी तकनीक में चीन काफी आगे है. उसपर लगे प्रतिबंधों के कारण इस क्षेत्र में भारत के घरेलू निर्माताओं को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है.

एसएम/आरपी (रॉयटर्स)