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कब निर्विवाद होगी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

१४ मार्च २०२४

एक बार फिर विपक्ष ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. नई नियुक्तियां ऐसे समय पर हो रही हैं जब लोकसभा चुनावों की घोषणा होने ही वाली है.

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चुनाव आयोग
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर कई बार सवाल उठ चुके हैंतस्वीर: MIRKO KUZMANOVIC/Pond5 Images/IMAGO

चुनाव आयुक्तों को चुनने वाली समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने दो नए चुनाव आयुक्तों को चुन लिया है लेकिन नियुक्ति के लिए तय की गई प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किया है.

भारत के चुनाव आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं. फरवरी, 2023 में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय की सेवानिवृत्ति के बाद आयोग में दो ही आयुक्त रह गए थे. 10 मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफा दे देने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार आयोग में अकेले रह गए थे.

विपक्ष के आरोप

लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कभी भी हो सकती है. ऐसे में आयोग के रिक्त स्थानों को लेकर चिंताएं बनी हुई थीं. नए आयुक्तों की नियुक्ति की जानकारी सामने आने से ये चिंताएं तो मिट गई हैं, लेकिन चौधरी ने आरोप लगाया है कि नियुक्ति में तय प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है.

चुनाव आयोग
कोलकाता में हुई इस बैठक के कुछ ही दिनों बाद अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया थातस्वीर: Subrata Goswami/DW

उन्होंने दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों सुखबीर सिंह संधू और ज्ञानेश कुमार को बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करने के लिए चुन लिया गया है. सरकार ने अभी तक इन दोनों नामों की घोषणा नहीं की है.

मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि दोनों अधिकारी 1988 बैच के अफसर हैं. एनडीटीवी के मुताबिक संधू उत्तराखंड कैडर के हैं और उत्तराखंड के मुख्य सचिव रहने के अलावा राष्ट्रीय राज्यमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष रह चुके हैं. कुमार केरल कैडर के हैं और संसदीय मामले मंत्रालय के सचिव रह चुके हैं.

पूरी प्रक्रिया पर सवाल

चौधरी ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें बुधवार को 212 उम्मीदवारों की एक सूची दी गई थी और उन्होंने कहा था कि उन्हें संक्षिप्त सूची भी दी जाए. लेकिन संक्षिप्त सूची उन्हें गुरुवार को दिल्ली में समिति की बैठक शुरू होने से बस 10 मिनट पहले दी गई.

चौधरी ने कहा कि यह स्पष्ट था कि जिन्हें चुन लिया गया है उन्हीं को नियुक्त किया जाएगा, फिर भी उन्होंने पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए एक डिस्सेंट नोट दिया है. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानून की भी आलोचना की जिसके तहत आयुक्तों को नियुक्त करने वाली समिति में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को डाल दिया गया था.

चौधरी ने पत्रकारों से कहा, "इस समिति में सरकार का बहुमत है. जो वो चाहते हैं, वही होता है." हालांकि इस प्रक्रिया में लाए गए बदलाव को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी. अभी तक ये मामले लंबित थे, लेकिन शुक्रवार, 15 मार्च को ही इन याचिकाओं पर सुनवाई होनी है.