काशी विश्वनाथ कॉरीडोर का पीएम ने किया लोकार्पण
१३ दिसम्बर २०२१लोकार्पण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर में मंत्रोच्चार के साथ पूजा-पाठ की और मंदिर के निर्माण में शामिल मजदूरों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें सम्मानित किया और उनके साथ सीढ़ी पर बैठकर तस्वीर भी खिंचाई. इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, "विश्वनाथ धाम के पूरा होने से यहां हर किसी के लिए पहुंचना सुगम हो गया है. हमारे बुजुर्ग माता पिता बोट से जेटी तक आएंगे, जेटी से एस्केलेटर हैं, वहां से मंदिर तक आएंगे. दर्शन के लिए घंटों इंतजार नहीं करना पड़ेगा. पहले यहां मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्गफीट में था, वह अब करीब पांच लाख वर्गफीट का हो गया है."
समारोह के लिए पूरे वाराणसी शहर को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. गंगा घाट, सड़क-चौराहे और बनारस की कई तंग गलियों तक में तैयारियों के असर को देखा जा सकता है. जगह-जगह बिजली की झालरें लगाई गई हैं और स्थानीय लोगों से भी अपील की गई है कि अपने घरों की ठीक उसी तरह सजाएं जैसे दीपावली के मौके पर सजाते हैं. प्रधानमंत्री ने भी काशी विश्वनाथ धाम की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं.
एक महीने का उत्सव
लोकार्पण समारोह के बाद प्रधानमंत्री शाम को क्रूज पर सवार होकर गंगा आरती देखेंगे. आरती के समय प्रधानमंत्री मोदी के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा 11 अन्य बीजेपी शासित राज्यों के भी मुख्यमंत्री होंगे. लोकार्पण समारोह के बाद वाराणसी में एक महीने का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसका नाम 'भव्य काशी-दिव्य काशी' रखा गया है और पूरे शहर में बंटवाने के लिए 16 लाख लड्डुओं का प्रसाद तैयार किया गया है जिसे बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर पहुंचाने जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रॉजेक्ट का खाका आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने खींचा था. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था, "काशी विश्वनाथ धाम को भव्य आकार देना आसान काम नहीं था. लेकिन मुझे इस बात की संतुष्टि है कि मंदिर का मूल स्वरूप बरकरार रखते हुए धाम को दिव्य और भव्य आकार देने में हम सफल रहे."
परियोजना का विरोध भी
तीन साल पहले शुरू की गई इस परियोजना का शुरुआती दौर में काफी विरोध भी हुआ और स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि भव्यता के चक्कर में बनारस की संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में करीब चार सौ मकानों और कई मंदिरों को तोड़ा गया और जो लोग यहां रह रहे थे उन्हें पर्याप्त मुआवजा देकर दूसरी जगहों पर विस्थापित किया गया. हालांकि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि परियोजना की जद में जो भी मंदिर आए हैं उनका भी संरक्षण किया जा रहा है लेकिन स्थानीय लोग इस बात से सहमत नहीं हैं.
इस कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी के इस प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के बाद लोग सीधे गंगा नदी में जा सकते हैं. योजना के तहत काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर ललिता घाट तक जाने वाले करीब 700 मीटर के रास्ते को चौड़ा किया गया और इसी इलाके में सबसे ज्यादा मकानों और मंदिरों को ध्वस्त किया गया. इस सीमा में आने वाले कई मकान सौ साल से भी ज्यादा पुराने थे और कई मंदिरों की प्राचीनता उससे भी ज्यादा थी. मंदिर के बाहर फूल माला बेचने वाले दिलीप बताते हैं, "इस कॉरिडोर के निर्माण से यहां की पूरी बस्ती ही उजड़ गई. तमाम लोग छोटी-मोटी दुकानें लगाते थे वो भी उजड़ गए हैं. अब तो सिर्फ बड़ी दुकानें ही दिखेंगी. लोगों ने अपनी मर्जी से मकान नहीं बेचा बल्कि इसके लिए उन पर दबाव डाला गया. काफी समय तक तो लोग विरोध करते रहे लेकिन बाद में सभी लोग शांत हो गए."
काशी विश्वनाथ धाम और राजनीति
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के समय और इसके लिए की गई तैयारियों को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी कहना है यूपी के आगामी विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान में अब बीजेपी अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को और अधिक धार देगी. बीजेपी के कई नेता काशी और मथुरा की चर्चा करने भी लगे हैं. काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार और अयोध्या में बन रहे मंदिर के निर्माण का बीजेपी सरकार को श्रेय देते हुए पोस्टर और होर्डिंग्स जगह-जगह दिखने भी लगी है.
विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह के लाइव प्रसारण के लिए पूरे यूपी में 27 हजार से ज्यादा एलईडी सेट लगवाए गए हैं जहां बीजेपी नेताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वो स्थानीय लोगों को यह प्रसारण लाइव दिखाएं. इन सारी कवायदों को चुनावी राजनीति से ही जोड़कर देखा जा रहा है.