सीमा सुरक्षा के लिए ग्रामीणों की ट्रेनिंग
२३ जून २०२१करीब तीन महीने से रीता देवी को सुबह से शाम तक जो प्रशिक्षण मिल रहा है वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है. उनके दिन की शुरुआत सुबह शारीरिक ट्रेनिंग से होती है, जिसके बाद उन्हें और अन्य प्रशिक्षुओं के साथ सीमा पर स्थिति का जवाब देने और भारतीय सीमा रक्षकों को व्यावहारिक मदद देने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. शाम को उन्हें हथियार चलाने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के बारे में बताया जाता है.
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी गांवों में रीता और अन्य 73 युवा पुरुष और महिलाओं की बतौर स्पेशल पुलिस अफसर (एसपीओ) की तैनाती के लिए ट्रेनिंग चल रही है. वे कठुआ समेत अन्य सीमावर्ती जिले में पुलिस और सुरक्षा बलों की मदद करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
क्षेत्र के ग्रामीणों को इसलिए भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है क्योंकि कश्मीर को लेकर शुरू से ही पाकिस्तान और भारत के बीच खूनी संघर्ष होता आया है. नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी संघर्ष और गोलाबारी होती आई है.
रीता देवी ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि वह शुरू से ही पुलिस में शामिल होना चाहती थीं, उन्होंने कहा, ''इस प्रशिक्षण के बाद मैं विशेष पुलिस अधिकारी के तौर पर अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा कर सकूंगी.''
विशेष पुलिस अधिकारी क्या करते हैं?
विशेष पुलिस अधिकारी निचले स्तर के पुलिस अधिकारी होते हैं जिन्हें आमतौर पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और सशस्त्र विद्रोह को दबाने के लिए काउंटर-इंटेलिजेंस ऑपरेशन के लिए भर्ती किया जाता है. हाल के सालों में, भारत में ऐसे विशेष अधिकारियों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में देश की पुलिस और सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों की बहुत मदद की है, क्योंकि उनके पास अपने गृह क्षेत्रों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होती है.
आपात स्थिति में इस तरह के विशेष पुलिस अधिकारी पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए बहुत मददगार साबित होते हैं.
कठुआ जिला पुलिस प्रमुख रमेश कोतवाल ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया, "हमने इस बैच को विशेष रूप से सीमा प्रबंधन के लिए भर्ती किया है. हम उन्हें विशेष रूप से इस दृष्टिकोण से प्रशिक्षण दे रहे हैं कि सीमा पार से गोलीबारी पर उन्हें क्या करना चाहिए."
इन विशेष पुलिस अधिकारियों का प्रशिक्षण फिलहाल अंतिम चरण में है, प्रशिक्षण पूरा होने पर उन्हें जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की दूर दराज पुलिस सीमा चौकियों पर तैनात किया जाएगा.
एए/सीके (एपी)