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पैसे वापस ले रहे हैं आठ साल पहले टेस्ला बुक करने वाले भारतीय

१४ अगस्त २०२४

2016 में जब इलॉन मस्क ने टेस्ला-3 मॉडल के लिए भारत में प्री-बुकिंग शुरू की तो लोगों ने खूब उत्साह दिखाया था. अब वे लोग अपने पैसे वापस ले रहे हैं.

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टेस्ला मॉडल 3
भारत नहीं पहुंच पाई टेस्ला 3तस्वीर: MiS/imago images

अप्रैल 2016 में इलॉन मस्क ने दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत में लोगों को आने वाले टेस्ला मॉडल 3 के लिए प्री-ऑर्डर करने का न्योता दिया था. मुंबई स्थित एक हेल्थ-टेक स्टार्टअप जीओक्यूआईआई के संस्थापक और सीईओ विशाल गोंडल ने इस ऑफर को स्वीकार करते हुए 1000 अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 67 हजार रुपये का डिपॉजिट जमा किया, लेकिन यह कार कभी भारत नहीं पहुंची.

गोंडल को यह नहीं पता था कि टेस्ला भारत में कब लॉन्च होगी या इसकी अंतिम कीमत क्या होगी. लेकिन, इलॉन मस्क के फैन गोंडल मॉडल 3 को लेकर उत्साहित थे और इंतजार करने के लिए तैयार थे. टेस्ला द्वारा भारत में कार बेचने का वादा किए आठ साल बीत चुके हैं. इस दौरान अन्य कार कंपनियों ने अपने ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) लॉन्च कर दिए हैं, लेकिन टेस्ला ने अपने वादे को पूरा नहीं किया.

माना जा रहा है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि टेस्ला को चिंता थी कि टैक्स की वजह से कारें भारत में बहुत महंगी हो जाएंगी. साथ ही, अगर कंपनी चीन से उत्पादन हटाने का फैसला करती तो भारत में फैक्ट्री बनाने में भी कठिनाई होती.

इंतजार खत्म नहीं हुआ

छह साल तक ना तो टेस्ला आई और ना ही कंपनी ने भारत के लिए अपनी योजनाओं के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ बताया. गोंडल ने आखिरकार जर्मन कार कंपनी ऑउडी की एक इलेक्ट्रिक एसयूवी खरीदी. जनवरी 2023 में उन्हें अपने पैसे वापस मिल गए. हालांकि ऐसा तब हुआ जब उनके एक दोस्त ने टेस्ला के भारत स्थित एक सेल्स मैनेजर से संपर्क किया.

भारत, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार है. लेकिन इसकी प्रकृति अलग है. 2023 में भारत में बेची गई कारों की औसत कीमत लगभग आठ लाख रुपये थी, जबकि अमेरिका में यह लगभग 26 लाख रुपये थी. अमेरिका में एक नई टेस्ला 3 लगभग 40,000 डॉलर यानी करीब 23 लाख रुपये में खरीदी जा सकती है, जो भारत में एक लक्जरी कार की कीमत है और खरीदार बहुत अच्छी आफ्टर-सेल्स सर्विस भी चाहते हैं.

गोंडल का कहना है, "मुझे लगता है कि टेस्ला एक बेहतरीन टेक कंपनी हो सकती है, लेकिन उन्हें लक्जरी कारें बेचने की जानकारी नहीं है."

इस बीच, भारत में लक्जरी कारें बेचने वाली अन्य कंपनियों ने भी ईवी बेचना शुरू कर दिया है. मुंबई स्थित एक डिजाइन स्टूडियो के डायरेक्टर हेमंत सूथर ने भी 2016 में टेस्ला की प्रीबुकिंग की थी और 2023 में अपने पैसे वापस ले लिए. सूथर का मानना है कि टेस्ला अब भारतीय सड़कों पर उपलब्ध कुछ और अधिक शानदार ईवी के साथ मुकाबला नहीं कर सकती.

टेस्ला जैसी कार कंपनियों को लुभाने और घरेलू कंपनियों जैसे महिंद्रा और मारुति सुजुकी की रक्षा करने के लिए, भारत ने मार्च 2024 में $35,000 से कम कीमत वाले ईवी वाहनों पर आयात शुल्क को 70 से 100 फीसदी से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया था. लेकिन शर्त यह है कि कंपनी को तीन साल के भीतर देश में एक फैक्ट्री बनाने का वादा करना होगा.

हालांकि 2019 में मस्क ने चिंता जाहिर की थी कि आयात शुल्क भारत में बने टेस्ला वाहनों की कीमतें दोगुनी कर सकता है, जिससे वे जेब की पहुंच से बाहर हो जाएंगी. भारत में कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि मस्क अप्रैल में भारत में एक फैक्ट्री के लिए योजना की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने "कंपनी की बहुत भारी जिम्मेदारियों" का हवाला देते हुए अपनी यात्रा को आखिरी समय में रद्द कर दिया.

मुश्किल हो गई है टेस्ला की राह

पिछले पांच वर्षों में भारत और अन्य स्थानों पर ईवी बाजार में भारी बदलाव आया है, और टेस्ला की स्थिति भी बदल गई है. कंपनी के पास चीन, जर्मनी और अमेरिका में बड़े कारखाने हैं. हालांकि, बिक्री धीमी हो गई है और कंपनी का एकमात्र नया उत्पाद, साइबर ट्रक ईवी, अमेरिका के बाहर ज्यादा बाजार नहीं बना पाया है. इससे वैश्विक बिक्री में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट आई है.

अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को दायर की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला सालाना 23 लाख कारें बना सकती है. 2023 में उत्पादन 35 प्रतिशत बढ़कर 18.5 लाख कारों तक पहुंच गया. 2024 की पहली छमाही में, टेस्ला ने वैश्विक स्तर पर 831,000 वाहन बेचे, जो कि पूरे साल के लिए मस्क द्वारा अनुमानित 18 लाख के आधे से भी कम हैं.

साइनो ऑटो इनसाइट्स के संस्थापक तू ली का कहना है कि ईवी का आकर्षण अब घटने लगा है. वह कहते हैं, "जो पांच साल पहले एक बड़ा अवसर था, अब वह उनके गले में एक बोझ जैसा हो गया है."

ली का मानना है कि उभरते बाजारों जैसे भारत के लिए, टेस्ला को नई, अधिक किफायती कारों की जरूरत है. एक $25,000 यानी लगभग 22 लाख रुपये की कार भी चीन में प्रतिस्पर्धी नहीं है, जहां चीनी ईवी निर्माता बीवाईडी जैसी कंपनियों का दबदबा है. वे सस्ते और प्रीमियम दोनों प्रकार की कारों के साथ विदेशी बाजारों में विस्तार कर रहे हैं, जिससे टेस्ला का पहल करने का लाभ खत्म हो गया है.

भारत के बढ़ते ऑटो बाजार में सबसे बड़े कार निर्माता मारुति सुजुकी, दक्षिण कोरिया की ह्यूंदै मोटर्स और भारत की टाटा मोटर्स का दबदबा है. 2023 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री दोगुनी हो गई, लेकिन यह अभी भी कुल कार बिक्री का केवल दो प्रतिशत है. इसमें टाटा मोटर्स का बाजार में दो-तिहाई से अधिक हिस्सा है. लेकिन भारतीय कार निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा और चीनी कंपनी बीवाईडी का हिस्सा बढ़ रहा है.

बीवाईडी ने 2008 में भारत में बैट्री बनाना शुरू किया था. यह 2023 में भारत में शीर्ष पांच ईवी ब्रांड्स में से एक थी. हालांकि यह केवल दो मॉडल - छह-सीटर ई6 एमपीवी और ऐटो3 एसयूवी - बेचती है. मार्च 2024 में इसने भारत में बीवाईडी सील लॉन्च की थी.

क्या हैं टेस्ला की चुनौतियां

भारत के अपेक्षाकृत छोटे और भीड़भाड़ वाले ईवी बाजार में, बहुत से लोग अभी भी ईवी को लेकर संशय में हैं. इंडियन कार मैगजीन ऑटोएक्स के मैनेजिंग एडिटर ईशान राघव का कहना है कि भारतीय ग्राहकों को एक किफायती ईवी से आकर्षित करने के लिए, टेस्ला को अपनी कार की कीमत लगभग 30,000 डॉलर यानी लगभग 25 लाख रुपये पर रखनी होगी.

राघव कहते हैं, "ऐसा तभी संभव है जब वे भारत में उस कार का निर्माण करें."

यहां तक कि अगर टेस्ला भारत में फैक्ट्री बनाने के लिए सहमत होने के बाद कारें बेचती है, तो अधिकांश आयातित टेस्ला उतनी ही महंगी होंगी जितनी कि मर्सिडीज बेंज और ऑउडी जैसी स्थापित लक्जरी कारें, जो पहले से ही भारत में व्यापक डीलरशिप और सेवा नेटवर्क रखती हैं.

अमेरिकी कार रिसर्च कंपनी कॉक्स ऑटोमोटिव के मैथ्यू डेजेन का कहना है कि टेस्ला ने अमेरिकी ग्राहकों को सीधे कारें बेची हैं, लेकिन डीलरशिप ग्राहकों को लक्जरी अनुभव से आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

वह कहते हैं, "आप एक वास्तविक स्थान पर जाते हैं, आप लोगों से मिलते हैं, वहां अच्छे लाउंज होते हैं. अब टेस्ला के पास शोरूम हैं, लेकिन यह डीलरशिप से अलग है."

टेस्ला को भारत में चार्जिंग नेटवर्क भी बनाना होगा, क्योंकि बाजार में पहले से ही ईवी की संख्या कम है. जुलाई में मस्क ने कहा था कि टेस्ला अपने कारखानों की क्षमता बढ़ा रही है और इसकी किफायती कार, यानी एक छोटा मॉडल, जो कि वर्तमान टेस्ला मॉडल की कुछ विशेषताओं के साथ आएगा और जिसकी कीमत 25,000 डॉलर के आसपास होगी, 2025 की पहली छमाही में डिलीवरी के लिए तैयारी पर है.

कंपनी की भारत के लिए योजनाएं अभी भी स्पष्ट नहीं हैं. भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने वाली एजेंसी के प्रमुख राजेश कुमार सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि टेस्ला के उस कार्यकारी को निकाल दिया गया है, जिससे भारतीय अधिकारी बात कर रहे थे, और अब भारत को नहीं पता कि कंपनी क्या करने का इरादा रखती है. सिंह कहते हैं, "हमें सच में कुछ नहीं पता."

वीके/सीके (एपी)