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अब सूरज पर भारत की निगाहें, आदित्य एल-1 का सफल लॉन्च

२ सितम्बर २०२३

आदित्य एल-1 भारत का पहला सोलर मिशन है. भारत के सफल चंद्रयान-3 अभियान के दो हफ्ते के अंदर ही इसे लॉन्च किया गया है. अंतरिक्ष में भारत की मजबूत मौजूदगी की दिशा में यह अगला कदम है.

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आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग
भारत ने सूर्य के निरीक्षण के लिए आदित्य एल-1 को लॉन्च किया हैतस्वीर: AP

भारत ने अपना पहला सूर्य मिशन लॉन्च कर दिया है. शनिवार को इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया. आदित्य एल-1 सूर्य का निरीक्षण करेगा. इस मिशन का लक्ष्य सूर्य के बाहरी हिस्से को समझना है, जिसके लिए यह कई उपकरण ले जा रहा है.

आदित्य एल-1 को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर अंतरिक्ष के एक हिस्से हेलो ऑर्बिट में छोड़ा गया है. इससे यह लगातार सूरज की निगरानी कर सकेगा. इसरो ने बताया है, "यह सौर गतिविधियों और अंतरिक्षीय मौसम पर इसके असर का निरीक्षण करने के लिए ज्यादा अनुकूल स्थिति देगा."

भारत ने सफल चंद्रयान-3 अभियान के दो हफ्ते के अंदर ही इसे लॉन्च किया गया है. अंतरिक्ष में भारत की मजबूत मौजूदगी की दिशा में यह अगला कदम है.

 

लग्रॉन्ज पॉइंट से करेगा सूर्य का निरीक्षण

शुरुआत में अंतरिक्षयान लो अर्थ ऑर्बिट में रखा जाएगा और फिर ऑनबोर्ड प्रोपल्शन का इस्तेमाल करके इसे लग्रॉन्ज पॉइंट (एल-1) की ओर लॉन्च किया जाएगा. लग्रॉन्ज पॉइंट्स अंतरिक्ष की ऐसी जगहें हैं, जहां भेजी गई चीजें स्थिर रहती हैं. लग्रॉन्ज पॉइंट पर पहुंचने के बाद यह सैटेलाइट ऐसे न्यूट्रल पॉइंट पर होता है, जहां ईधन की खपत सबसे कम होती है. 

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पांच लग्रॉन्ज पॉइंट्स में से दो स्थिर और तीन अस्थिर हैं. अस्थिर पॉइंट्स हैं: एल1, एल2 और एल3. एल4 और एल5 स्थिर हैं. एल1 पॉइंट से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है.

सूर्य को समझने में होगी अहम भूमिका

मिशन का नाम सूर्य के नाम पर ही रखा गया है. मिशन में कुछ वक्त तक शामिल रहे सोमक रायचौधरी ने बताया कि आदित्य एल-1 में "वैज्ञानिक स्तर पर बिगबैंग" जैसी क्षमता है. एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि निरीक्षण में सबसे अहम होगा सूर्य के कोरोना से निकलने वाले द्रव्यमान का निरीक्षण. इस दौरान सूर्य के वातावरण में भारी मात्रा में प्लाज्मा और गुरुत्वीय ऊर्जा का निष्कासन होता है.

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इस दौरान कोरोना में होने वाले कुछ विस्फोट तो इतने शक्तिशाली होते हैं कि उनका प्रभाव पृथ्वी तक भी पहुंचता है और सैटेलाइट्स में गड़बड़ी पैदा कर देता है. आदित्य एल-1 पहले ही इन घटनाओं को भांपकर पृथ्वी पर सूचनाएं भेज सकेगा, ताकि सैटेलाइट्स इस दौरान खुद को बंद कर लें.

इसरो के अंतरिक्षयान में सूर्य की बाहरी परतों के अध्ययन के लिए सात पेलोड्स होंगे. इस अभियान के कई लक्ष्यों में से एक अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन भी है. इससे पहले नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी भी सूर्य के अध्ययन के लिए ऐसे ऑबिटर्स भेज चुके हैं. लेकिन भारत के लिए यह पहला ऐसा अभियान होगा.

अंतरिक्ष में बढ़ता भारत का कद

इस सूर्य मिशन के साथ अंतरिक्ष में भारत का कद और ऊंचा होगा, क्योंकि इसके साथ ही भारत सूर्य की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बन जाएगा.

भारत ने हाल ही में अंतरिक्ष के क्षेत्र को प्राइवेटाइज करने का फैसला लिया है और अब वह इस क्षेत्र में विदेशी निवेश की ओर भी आगे बढ़ रहा है. भारत का लक्ष्य अगले दस साल में वैश्विक लॉन्च मार्केट में पांच गुना बढ़ोतरी करने का है.

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यह लक्ष्य हासिल करने के लिए भारत बहुत कम बजट में ऐसे अंतरिक्ष अभियानों की सफल लॉन्चिंग में जुटा है, जिन्हें सफलतापूर्वक लॉन्च करने का कारनामा अब तक दुनिया के सिर्फ शक्तिशाली देश ही कर सके थे.

एडी/वीएस (रॉयटर्स, एएफपी)

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