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चुनावों से पहले टेक, ईवी कंपनियों को लुभाने की मोदी की कोशिश

९ जनवरी २०२४

इस साल की वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैकड़ों निवेशकों को लुभाने की कोशिश करेंगे. इसे लोकसभा चुनावों से पहले देश में निवेश आकर्षित करने की उनकी आखीरी बड़ी कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीतस्वीर: Michael Varaklas/AP Photo/picture alliance

10 से 12 जनवरी तक चलने वाली वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में 1,00,000 लोगों के आने की उम्मीद की जा रही है, जिनमें कई सीईओ, मंत्री और 133 देशों से राजनयिक शामिल हो सकते हैं.

हर दूसरे साल आयोजित किए जाने वाले इस सम्मेलन का यह 10वां अध्याय है और आयोजकों का कहना है कि इतना बड़ा जमावड़ा इससे पहले किसी भी साल नहीं हुआ.

संरक्षणवादी नीति का आरोप

इस बार सम्मेलन में हिस्सा लेने वाली विदेशी कंपनियों में माइक्रोसॉफ्ट, नैस्डैक, गूगल, सुजुकी और टोयोटा शामिल हैं. एशिया के दोनों सबसे धनी व्यक्ति गौतम अदाणी और मुकेश अंबानी और टाटा समूह के अध्यक्ष समेत भारतीय उद्योग के कई चोटी के नेता भी मौजूद रहेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी, गौतम अदाणी
2019 में वाइब्रेंट गुजरात समिट में गौतम अदाणी के साथ प्रधानमंत्री मोदीतस्वीर: Siddharaj Solanki/Hindustan Times/IMAGO

2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से विदेशी निवेशकों ने भारत ओर बड़े दांव लगाए हैं ऐपल, सैमसंग, किया और एयरबस जैसी कंपनियों ने देश में अपनी गतिविधियों का विस्तार किया है.

हालांकि विदेशी उद्योग जगत के कई नेताओं का यह भी कहना है कि डिजिटल लेन देन, मैन्युफैक्चरिंग और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्रों में मोदी ने संरक्षणवादी नीतियां अपनाई हैं, जिनकी वजह से लोकल कंपनियों को प्रोत्साहन मिलता और विदेशी कंपनियों का नुकसान होता है.

मोदी और गुजरात के अधिकारियों के लिए सम्मलेन उन क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने का मौका देगा जिनमें भारत पीछे है, जैसे चिप बनाना और बिजली से चलने वाली गाड़ियां बनाना.

राज्य के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री कई लोगों के साथ बंद दरवाजों के पीछे बैठक करेंगे. यह मोदी के लिए लोकसभा चुनावों से पहले एक आकर्षक निवेश स्थान के रूप में भारत की साख को मजबूत करने और निवेशकों को उनकी बिजनेस फ्रेंडली नीतियों के बारे में विश्वास दिलाने के आखिरी मौकों में से है.

चीन का विकल्प बनने का लक्ष्य

व्यापारिक समूह यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम सम्मेलन में 50 से भी ज्यादा कंपनियों का अपना सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल ले कर आ रहा है.

ऐपल
ऐपल जैसी कुछ कंपनियों ने भारत में निवेश बढ़ाया हैतस्वीर: Imtiyaz Shaikh/AA/picture alliance

समूह के अध्यक्ष मुकेश अघी का मानना है कि अमेरिकी कंपनियां "यह मान कर चल रही हैं कि मौजूदा सरकार दोबारा सत्ता में आएगी." उन्होंने आगे कहा, "वो चुपचाप चीन से जुड़े रहने के जोखिम को कम कर रही हैं और ऐसे में अपनी तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था की वजह से भारत महत्वपूर्ण हो जाता है."

सम्मेलन गुजरात की राजधानी गांधीनगर में एक विशाल कन्वेंशन सेंटर में होगा, जिसे भारतीय लग्जरी होटलों का समूह लीला पैलेस चलाता है. समूह की मालिकाना कंपनी ब्रूकफील्ड है.

सेंटर तक जाने वाली सड़कों की सफाई और मरम्मत का काम चल रहा है. गुजरात को एक इन्वेस्टमेंट हॉटस्पॉट के रूप में बढ़ावा देने के लिए मोदी के होर्डिंग चारों ओर लगाए गए हैं.

गुजरात का फायदा

2019 से 2023 के बीच में गुजरात ने करीब 34 अरब डॉलर विदेशी निवेश आकर्षित किया है. इस लिहाज से राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद तीसरे स्थान पर है. पिछले वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलनों की ही तरह होटल के कमरों की कमी है और वो अब महंगे होते जा रहे हैं.

मुश्किल में क्यों हैं स्टार्टअप

सम्मेलन में आने वाले कई लोग गांधीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर अहमदाबाद में मैरियट इंटरनैशनल द्वारा चलाए जाने वाले एक होटल में रुकेंगे. होटल के जनरल मैनेजर दीपप्रीत बिंद्रा ने बताया कि उनके कमरों का किराया करीब 12,500 रुपए प्रतिदिन से बढ़ कर करीब 35,000 प्रतिदिन तक चला गया है.

सम्मेलन से पहले गुजरात ने 200 से भी ज्यादा कंपनियों के साथ 120 अरब डॉलर मूल्य की शुरुआती निवेश संधियों पर हस्ताक्षर किए. इनमें आर्सेलरमित्तल का स्थानीय जॉइंट वेंचर भी शामिल है.

राज्य की एजेंसी गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन में काम करने वाले राहुल गुप्ता ने कहा, "हमने अभी तक मुख्य रूप से पारंपरिक उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन अब हम ईवी, इलेक्ट्रॉनिक सामान और सेमीकंडक्टर जैसे उभरते हुए क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं."

सीके/एए (रॉयटर्स)