भारत में पड़ रही भयंकर गर्मी छीन लेगी लाखों नौकरियां
भारत के एक बड़े हिस्से में भीषण गर्मी पड़ रही है. हालिया हफ्तों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. गर्म थपेड़ों और लू से लोगों की जान जा रही है. गर्मी का यही हाल रहा, तो भविष्य बड़ा विनाशकारी होगा.
देर से आएगा मानसून
मई में मौसम विभाग ने कुछ राज्यों में गर्म लहर और लू की चेतावनी जारी की थी. इस साल मानसून भी थोड़ी देर से आएगा. उम्मीद है कि जून के पहले हफ्ते में ये केरल पहुंच जाएगा. ऐसे में तापमान सामान्य से ज्यादा वक्त तक चढ़ा रहेगा. मौसम की अतिरेक स्थितियां सेहत को नुकसान पहुंचा सकती हैं. यहां तक कि मौत भी हो सकती है. अप्रैल में लू से 13 लोगों की जान गई.
सबसे ज्यादा असर किसपर
गरीब और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि आमतौर पर उनके पास गर्मी से बचने के साधन कम होते हैं. साथ ही, उनके पास चिलचिलाती गर्मी में काम करने के अलावा कोई चारा नहीं होता. 2021 में हुई एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 50 साल में लू से 17 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
पूरा दक्षिण एशिया है प्रभावित
भारत के एक बड़े हिस्से में मुख्यतौर पर अप्रैल से जून के बीच में गर्मी पड़ती है. लेकिन बीते एक दशक में तापमान ज्यादा प्रचंड हो रहा है. पूरा दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे जोखिम वाले इलाकों में है. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन के एक हालिया शोध के मुताबिक, इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन ने लू की संभावना 30 फीसदी बढ़ा दी है.
आगे और बुरा हाल होगा
वैज्ञानिकों का कहना है कि औद्योगिकीकरण से पहले के दौर के मुकाबले, दक्षिण एशिया कम-से-कम दो डिग्री सेल्सियस गर्म हुआ है. इसका कारण जलवायु परिवर्तन है. अगर यही ट्रेंड जारी रहा, तो तापमान इतना बढ़ जाएगा कि इंसानी शरीर की अंदरूनी तापमान को स्थिर रखना और पसीने के माध्यम से अतिरिक्त गर्मी को शरीर से निकाल देने की क्षमता प्रभावित होगी.
बहुत गंभीर असर पड़ेगा
विशेषज्ञों के मुताबिक, भविष्य में भारत को और भी नियमित और तीव्र गर्म लहरों का सामना करना पड़ सकता है. इससे नौकरियों से लेकर बिजली उत्पादन, जल और खाद्य आपूर्ति प्रभावित होंगे. पैदावार घट जाएगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि तेजी से बढ़ रहे वैश्विक तापमान को काबू करने के लिए ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को तीव्रता से कम करना जरूरी है.
भविष्य के मुताबिक हो तैयारी
अबिनाश मोहंती, आईपीई ग्लोबल में क्लाइमेट चेंज और सस्टेनिबिलिटी के सेक्टर हेड हैं. वह बताते हैं कि गर्म थपेड़ों और लू के कारण 2030 तक भारत में करीब साढ़े तीन करोड़ नौकरियां जाने का अंदेशा है. ऐसे में जरूरी है कि प्रभावी सरकारी नीतियां बनाई जाएं. पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को भी भविष्य की गर्मी के मुताबिक विकसित किया जाए.