क्या कोयला छोड़ने को तैयार है बुल्गारिया?
१४ नवम्बर २०२१पहली नजर में मिनी मारित्सा इस्तोक खदान एक खाली धूसर-भूरा विस्तार ही नजर आती है, चांद की सतह जैसी बंजर और उजाड़. लेकिन गौर से देखिए तो पता चलेगा कि विशालकाय मशीनें सिलसिलेवार ढंग से जमीन के नीचे से लिग्नाइट यानी भूरा कोयला निकालने में जुटी हैं. 240 वर्ग किलोमीटर में फैली ये बुल्गारिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है. नजदीकी सटारा जगोरा इलाके के ऊर्जा संयंत्रों को यहां से कोयला सप्लाई होता है. इन्हीं संयंत्रों में देश की करीब 30 प्रतिशत बिजली बनती है.
और भी नजदीक जाकर देखें तो पता चलता है कि समूचा भूदृश्य सैकड़ों मजदूरों की गहमागहमी से पटा हुआ है. 12 घंटे की पालियों में काम करते हुए वे एक्सकेवेटर चला रहे हैं, फ्रंट लोडर ड्राइव कर रहे हैं और बिजली की मरम्मत कर रहे हैं. 40 वर्षीय योरदान मितकोव शादीशुदा हैं और दो बच्चों के पिता हैं. उन्होंने खुली खदान में सात साल काम किया है और लिग्नाइट निकाला है. कठोर कोयले से उलट भूरा कोयला भुरभुरा और ज्यादा कार्बनयुक्त होता है.
ये काम मितकोव का बचपन का सपना नहीं था लेकिन पगार अच्छी है. बुल्गारिया के राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान के मुताबिक, खनन में औसत तनख्वाहें वित्त सेक्टर जितनी हैं. लेकिन मितकोव इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं हैं कि उनके जैसे कोयला मजदूर कितने दिन ये काम करते रह पाएंगे. वह कहते हैं, "हर कोई अपनी रोजीरोटी, परिवार और आगे क्या होगा की फिक्र में घिरा है."
कोविड-19 की मार से एक हरित वापसी?
वर्षों से मितकोव और उनके सहकर्मी, हरित अर्थव्यवस्था की ओर जाने को लेकर राजनीतिक बहसों को देखते-सुनते आ रहे हैं. यूरोपीय संघ ने 2050 तक कार्बन निरपेक्षता का लक्ष्य रखा है. इसका मतलब बुल्गारिया जैसे सदस्य देशों को कोयला छोड़ना होगा. यूरोपीय हरित समझौते के साथ सदस्य देशों को फंड मुहैया कराए जा रहे हैं ताकि वे अपने यहां नयी नौकरियां निकाल सकें और हरित अर्थव्यवस्था की ओर अपने कदम बढ़ा सकें. महामारी से आर्थिक बहाली का भी ये एक हिस्सा है.
वैसे, इस साल के शुरू तक, बुल्गारिया सरकार इस बात पर जोर देती आई थी कि कोयला सेक्टर का रोजगार सुरक्षित है. एक दशक तक देश में प्रधानमंत्री बोयको बोरिसोव का शासन था. उन्हीं की सरकार ने पिछले साल एक प्रस्ताव पास कर वादा किया था कि सरकार के नियंत्रण वाले मारित्सा इस्तोक-दो पावर प्लांट की हिफाजत की जाएगी, "यूरोपीय संघ का इस मुद्दे पर जो भी मत हो." मितकोव और उनके सहकमिर्यों को इसी मतविभिन्नता के चलते हरित समझौता "एक प्रेत की तरह भटकती अफवाह" की तरह महसूस हुआ था.
लेकिन इस साल अप्रैल में बोरिसोव ने अधूरे चुनावों में प्रधानमंत्री पद गंवा दिया. अक्टूबर में कार्यवाहक सरकार ने घोषणा कर दी कि बुल्गारिया 2038 तक कोयले का इस्तेमाल रोक देगा. कोयले को छोड़ने की डेडलाइन निर्धारित करना, उस फंडिंग को पाने के लिए जरूरी था जिसके तहत बुल्गारिया को यूरोपीय संघ से 6.6 अरब यूरो मिल सकते हैं. ईयू ने महामारी के बाद सदस्य देशों के लिए अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए एक कोष बनाया है, जिससे ये राशि दी जाएगी.
बुल्गारिया में कोयले के अंत की शुरुआत?
बुल्गारिया के बहाली प्लान में 2038 की डेडलाइन अभी काफी दूर है. कई यूरोपीय देशों ने 2030 का लक्ष्य रखा है. बुल्गारिया की इस योजना में नई गैस और नवीनीकृत ऊर्जा क्षमता का विकास भी रेखांकित किया गया है जो अगले एक दशक में देश की कोयला क्षमता की जगह लेगी. कार्यवाहक सरकार में ऊर्जा उपमंत्री अलेक्जेंडर निकोलोव ने डीडब्ल्यू को बताया कि इस साल यूरोपीय इमिशंस ट्रेडिंग सिस्टम में कार्बन की कीमत सर्वाधिक ऊंचाई पर होगी, 60 यूरो प्रति मीट्रिक टन.
ऐसे में लिग्नाइट को बचाने में कोई समझदारी नहीं हैं. निकोलोव कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि बदलाव होगा या नहीं. सवाल ये है कि बदलाव कितना सही, प्रभावशाली और मानव केंद्रित हो पाता है." दूसरे शब्दों में, यह कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोयला छोड़ने से बुल्गारिया में बेरोजगारी और गरीबी भी दूर हो जाएगी.
बहाली योजना जमा करने से एक दिन पूर्व, मारित्सा कोयला परिक्षेत्र के कर्मचारियों ने बुल्गारिया की राजधानी सोफिया में विरोध प्रदर्शन किया था. वे सरकार से रोजगार की हिफाजत की मांग कर रहे थे. मारित्सा की खदानों और ऊर्जा संयंत्रों में साढ़े 12 हजार लोग प्रत्यक्ष तौर पर काम करते हैं. और विरोध प्रदर्शनों की अगुआई करने वाली ट्रेड यूनियनों का कहना है कि एक लाख लोग अप्रत्यक्ष रूप से कोयला सेक्टर पर निर्भर हैं.
यूरोपीय संघ के रिकवरी एंड रिजिलिएंस फैसिलिटी विभाग में बुल्गारिया ने 6.6. अरब यूरो के फंड की अर्जी डाली है. इसके अलावा बुल्गारिया यूरोपीय संघ के ट्रांजिशन फंड से भी 1.2 अरब यूरो पाने का हकदार है. इसका गठन कोयला सेक्टर के कर्मचारियों की आशंकाओं का समाधान करने के लिए किया गया है. उदाहरण के लिए उन्हें हरित ऊर्जा वाले उद्योगों के काम में पुनर्प्रशिक्षित करने के लिए.
पर्यटन और हरित ऊर्जा में नया रोजगार?
सटारा जगोरा क्षेत्रीय आर्थिक विकास एजेंसी की निदेशक रुमयाना ग्रोत्सेवा इस यूरोपीय रकम का इस्तेमाल एक जीवंत, मिश्रित अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए करना चाहती हैं जिसमें अक्षय ऊर्जा, कृषि और पर्यटन क्षेत्र का समावेश हो. मारित्सा की खुली खदान इस समय बुल्गारिया की कुछ सबसे ऊर्वर जमीनों को कुरेद रही है और कार्यवाहक सरकार ने इस साइट को एक संभावित बिजनेस पार्क या सौर ऊर्जा फार्म में विकसित करने का इरादा जताया है.
दूसरी ओर सटारा जगोरा का थ्रासियन इतिहास और स्पा रिसॉर्ट, पर्यटन विकास के लिहाज से आकर्षक बना हुआ है. ग्रोत्सेवा कहती हैं, "अगर ये तमाम संसाधन एक प्रणाली की तरह सुनियोजित किए जा सकें तो सटारा जगोरा का यह इलाका बेशक एक प्रमुख इलाके में तब्दील हो सकता है." लेकिन मितकोव जैसे खदान मजदूरों को डर है कि दशकों की निष्क्रियता हरित अर्थव्यवस्था की ओर जाने में मुश्किलें खड़ी करेगी. मितकोव कहते हैं, "बहुत सारी चीजें तो शुरू हो जानी चाहिए थीं लेकिन हुई नहीं हैं. सब लोग ड्रिबलिंग ही करने में लगे हैं, गेंद गोल में दागी नहीं जा रही है."
रोमानिया जैसे देश अपने खननकर्मियों को पवन चक्की फार्मों के टेक्निशियनों के रूप में ट्रेनिंग देना शुरू कर चुके हैं. इधर बुल्गारिया ने अभी तक ऐसा कुछ शुरू नहीं किया है. सटारा जगोरा क्षेत्रीय आर्थिक विकास एजेंसी के पास कामगारों को रिट्रेन करने का एक पायलट प्रोग्राम जरूर है लेकिन फरवरी 2023 से पहले पूरी तरह हरकत में नहीं आ पाएगा जबकि इसमें भागीदारी के इच्छुक, बहुत से कोयला मजदूर इस बारे में पूछताछ कर रहे हैं. कोयला छोड़ने के प्रति संदेह जताने वाले लोग भी कहते हैं कि अगर मौका मिला तो वह भी दोबारा ट्रेनिंग ले लेंगे. मारित्सा खदान के मरम्मत विभाग में सेक्शन प्रमुख निकोलाई चोलाकोव कहते हैं कि उन्हें अब भी उम्मीद है कि बुल्गारिया में कोयले का भविष्य है. लेकिन अगर जस्ट ट्रांजीशन फंड उन्हें नया कौशल हासिल करने के लिए भुगतान कर रहा है तो निश्चित रूप से वे इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देंगे.
नयी बुल्गारियाई सरकार के समक्ष संभावनाएं
बुल्गारिया में 14 नवंबर को राष्ट्रीय चुनाव हैं. देश के कोयला सेक्टर का भविष्य जल्द ही नयी सरकार के हाथों में होगा. लेकिन यूरोपीय जलवायु फाउंडेशन में फेलो जूलियान पोपोव कहते हैं कि अंत में जीत किसकी होगी, इसे छोड़ दें तो उन्हें लगता है कि बाजारी शक्तियों के दबाव में कोयले से बिजली उत्पादन 2030 में बंद हो जाएगा. पोपोव कहते हैं, "मैं नहीं समझता कि चुनावों से कुछ नाटकीय बदलाव आ पाएगा."
इस बीच ट्रेड यूनियनों ने कहा है कि जो भी सत्ता में आए उस पर कोयला उद्योग को बचाने का दबाव बनाया जाएगा. और ग्रोत्सेवा को इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि नया प्रशासन कोयला मजदूरों को स्पष्ट रूप से बता पाएगा कि बुल्गारिया को बदलाव में कितनी तेजी दिखानी होगी. वह कहती हैं, "कहना मुश्किल है कि कोई इतना मजबूत राजनीतिज्ञ होगा जो इन कामगारों के सामने खड़ा होकर उन्हें सच बता पाने की हिम्मत कर सके."
रिपोर्टः अशीरा मॉरिस
This story was supported by the Pulitzer Center.