क्या पाकिस्तान जहरीले कचरे का डंपिंग ग्राउंड बन रहा है?
२९ जुलाई २०२२पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया के मुताबिक वहां की एक संसदीय समिति ने इस बात को गंभीरता से लिया है कि यूके, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब जैसे कई देश अपने यहां के जहरीले कूड़ा-करकट को पाकिस्तान भेज रहे हैं. संसदीय समिति के एक सदस्य हुमायूं मोहम्मद ने डीडब्ल्यू से बातचीत में इन रिपोर्ट्स की पुष्टि की है. उन्होंने बताया, "जिम्मेदार लोगों ने हमें सूचना दी है कि पाकिस्तान कई देशों से कचरा आयात कर रहा है जबकि उसके पास सामान्य कचरे से जहरीले कचरे को अलग करने वाली जरूरी तकनीक नहीं है. हमें बताया गया कि करीब 14 फीसद सामान्य कचरा ऐसा है जिसमें जहरीले पदार्थ हो सकते हैं.”
सांसद से जब यह पूछा गया कि आखिर पाकिस्तान ने अपने देश में दूसरों का कचरा लाना क्यों स्वीकार किया तो उनका कहना था कि अधिकारियों के पास इसके रिकॉर्ड्स हैं और इस मामले की जांच कराई जाएगी. समिति के एक अन्य सदस्य ताज हैदर ने भी डीडब्ल्यू से बातचीत में इस बात की पुष्टि की कि पाकिस्तान में कई विकसित देशों का कचरा आ रहा है. हालांकि संसदीय समिति ने अभी इस बात की विस्तृत जानकारी नहीं दी है कि विदेशी कचरे के साथ किस तरह के जहरीले तत्व पाकिस्तान में आ रहे हैं.
जहरीला या खतरनाक कचरा वह होता है जो रासायनिक पदार्थों के बाइप्रॉडक्ट के रूप में निकलता है या फिर उन पदार्थों को इस श्रेणी में रखा जाता है जो सामान्य तरीकों से विघटित या नष्ट नहीं हो पाते.
पाकिस्तान में कचरा कैसे नष्ट किया जा रहा है?
पाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी सैयद मुजतबा हुसैन का कहना है कि पाकिस्तान ने खतरनाक पदार्थों को दूसरे देशों में भेजने पर नियंत्रण रखने वाले बाजेल कंवेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं जो इन पदार्थों के आयात और इन्हें नष्ट करने पर प्रतिबंध लगाता है. वो कहते हैं कि हालांकि कभी कभी सामान्य कचरे में भी खतरनाक पदार्थ मिले होते हैं, जैसे प्लास्टिक में अक्सर क्लिनिकल कचरा मिला रहता है.
हुसैन कहते हैं, "साल 2019 में हमने अमेरिका से प्लास्टिक अपशिष्ट के जो 624 कंटेनर आयात किए थे उनमें खतरनाक कचरा भी मिला हुआ था. हमने इसकी औपचारिक शिकायत भी दर्ज कराई थी.”
जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ही एक अन्य अधिकारी जैगाम अब्बास कहते हैं कि विकसित देशों के पास अपने कचरे को डंप करने के लिए कई बार जगह की कमी होती है और इनकी रिसाइक्लिंग काफी महंगी होती है.
दूसरी ओर, पाकिस्तान जैसे देशों को कंप्रेसर स्क्रैप, अल्युमिनियम स्क्रैप, प्लास्टिक स्क्रैप और लेड यानी सीसा स्क्रैप जैसे कचरों की जरूरत होती है जिनका उपयोग वो पंखा, केबल, मोटर, फाइबर, खिड़कियां और दरवाजे बनाने में कच्चे पदार्थ के रूप में करते हैं.
अब्बास कचरे के आयात को लेकर कानूनी कमजोरियों का भी जिक्र करते हैं. वो कहते हैं, "दरअसल, इन पदार्थों को अन्य पदार्थों के रूप में आयात किया जाता है जिनमें इस बात का जिक्र नहीं रहता कि आखिर ये है क्या.” हुसैन कहते हैं कि पाकिस्तान सरकार ने इस मामले को साल 2019 में जेनेवा में बाजेल कंवेंशन में हिस्सा लेने वाले देशों के सामने उठाया था. यह कचर पर्यावरण के लिए बहुत ही खतरनाक है क्योंकि इससे मिट्टी और पानी दोनों ही प्रदूषित हो जाते हैं और यदि इसे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषण होता है. हालांकि अधिकारियों ने डीडब्ल्यू को जहरीले पदार्थों के बारे में बताने से इनकार कर दिया.
सिंध प्रांत के एक सरकारी अधिकारी ने डीडब्ल्यू को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पाकिस्तान के पास वह तकनीक नहीं है जिसके जरिए सामान्य कचरे से खतरनाक कचरे को अलग किया जाता है, इसलिए यह भी नहीं पता चल पाता कि यह खतरनाक कचरा वास्तव में है कितना. विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी अधिकारियों में भ्रष्टाचार और निजी रीसाइक्लिंग कंपनियों की वजह से विदेशों से इतना कचरा पाकिस्तान में आ रहा है.
सुरक्षा उपायों का अभाव
कराची स्थित अपशिष्ट प्रबंधन कंपनी के सीईओ अहमद शब्बार का कहना है कि चीन ने जब से खतरनाक पदार्थों को अपने यहां आयात करने पर प्रतिबंध लगाया है तब से पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों में ही ये विकसित देश अपना कचरा पहुंचा रहे हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में शब्बार कहते हैं, "पाकिस्तान में कचरा निपटारे का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं है. इसका मतलब यह है कि हम इन्हें जलाकर वायु प्रदूषण पैदा कर रहे हैं और नदियों किनारे इन्हें डंप करके पानी को प्रदूषित कर रहे हैं.”
पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत की एक राजनीतिज्ञ यास्मीन लहरी कहते हैं कि सरकारी अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि करीब 14 फीसद सामान्य कचरे में खतरनाक पदार्थ मिल सकते हैं. वो कहती हैं, "यदि अमेरिका से आए सभी 624 कंटेनरों में 10 से 15 टन कचरा हो तो इसका मतलब हमारे यहां करीब एक हजार टन खतरनाक पदार्थ आया है.”
लहरी कहती हैं पाकिस्तान में खुद तीस मिलियन टन कचरा हर साल नगर निगमों से निकलता है, "यहां हम अपने ही कचरे का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं और निजी कंपनियों को सरकार दूसरे देशों से कचरा आयात करने की छूट दे रही है.”
एक संशोधित नीति की जरूरत
इस्लामाबाद में एक सांसद किश्वर जहरा कहती हैं कि पाकिस्तान की किसी भी सरकार ने पर्यावरण मामलों पर ध्यान नहीं दिया है. पिछले कुछ वर्षों में देश में फैली कई बीमारियों का जिक्र करते हुए जहरा कहती हैं कि इनके पीछे इन खतरनाक कचरों की भी भूमिका हो सकती है.
वह सुझाव देती हैं, "जब तक हमारे पास इन्हें अलग करने की तकनीक नहीं आ जाती तब तक हमें और ज्यादा कचरा आयात नहीं करना चाहिए. यदि दूसरे देश हमारे यहां कचरा भेजना चाहते हैं तो उन्हें इस कचरे को नॉन-हजार्डस वेस्ट घोषित करके भेजना चाहिए.”
जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अधिकारी सैयद मुजतबा हुसैन कहते हैं कि केंद्रीय कैबिनेट ने नेशनल हजार्डस वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी 2022 को 28 जून को मंजूरी दी है और इस नीति के जरिए खतरनाक कचरे से जुड़े मुद्दों से निपटा जाएगा.