न्यायिक सुधार बिल को पास कराने में तेजी दिखाती सरकार
१८ जुलाई २०२३इस्राएल में न्यायपालिका की ताकत छीनने वाले बिल को पास कराने की सरकारी मुहिम को देखते हुए लग रहा है कि इस्राएल में हड़ताल और प्रदर्शन का एक और दौर देखने को मिलेगा. सोमवार को संविधान, न्याय और कानून मामलों की संसदीय कमेटी ने न्यायिक सुधार बिल को दूसरी रीडिंग के लिए भेजने पर विचार-विमर्श किया और मंगलवार को एक बार फिर लोग विरोध में सड़क पर उतरे.
राजधानी तेल अवीव में प्रदर्शनकारियों ने स्टॉक एक्सचेंज और सेना के मुख्यालय को घेर लिया. प्रदर्शनकारियों ने स्टॉक एक्सचेंज के बाहर धुएं वाले बमों को इस्तेमाल किया और विरोध में गीत गाए. लोगों के हाथों में नारों वाली तख्तियां थीं जिन पर लिखा था- "तानाशाही हमारी अर्थव्यवस्था को मार देगी" और "हमारे स्टार्ट अप नेशन को बचाओ."
इस्राएल में सरकार के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन
इस बिल को संसदीय समिति से पास कराने की कोशिशें तेज होने की वजह से मंगलवार का दिन विरोध-प्रदर्शन के नाम रहा. इस मसौदे पर अगले हफ्ते संसद में वोटिंग की संभावना है. विपक्ष ने इस बिल के खिलाफ हजारों की संख्या में आपत्तियां दर्ज कराईं थीं ताकि इसका रास्ता रोका जा सके लेकिन उसका असर होता नहीं दिख रहा है.
प्रस्तावित कानून
अगर यह बिल कानून बनता है तो जजों की नियुक्ति में सांसदों का ज्यादा नियंत्रण होगा. यही नहीं संसद के पास उच्च न्यायालय के फैसलों को उलटने की ताकत होगी और ऐसे कानून बनाए जा सकेंगे जो न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर हों. इसका मतलब यह है कि यह कानून, अनुचित या तर्कसंगत नहीं माने जाने वाले सरकारी फैसलों को रोकने की सुप्रीम कोर्ट की ताकत छीनता है.
75वीं सालगिरह मना रहा इस्राएल इतना विभाजित कभी नहीं था
तर्कसंगत नहीं कह कर ही सुप्रीम कोर्ट ने 2021 आंतरिक मामलों के मंत्री पद पर नेतन्याहू के एक करीबी की नियुक्ति को अवैध घोषित किया था. बिल के समर्थकों का कहना है कि बिना चुन कर आए जजों से बने उच्चतम न्यायालय की ताकत पर नियंत्रण लगाना जरुरी है. आलोचक मानते हैं कि यह कानून नेतन्याहू के हाथों में सत्ता केन्द्रित करने का जरिया है और देश में सरकार की ताकत बेकाबू हो जाएगी.
नेतन्याहू सरकार
इस्राएल के 75 सालों के इतिहास में नेतन्याहू एक ऐसी सरकार के मुखिया हैं जो अतिराष्ट्रवादी और धार्मिक तौर पर रूढ़िवादी है. दिसंबर में सत्ता संभालने के तुरंत बाद नेतन्याहू ने न्यायपालिका में बड़े बदलावों का प्रस्ताव रखा. चार सालों में पांच चुनावों के बाद सरकार बनाने वाले नेतन्याहू के नेतृत्व पर सवालिया निशान लगा हुआ है. मार्च में विरोध-प्रदर्शनों के चलते यह सुधार लागू नहीं किए जा सके. जून में विपक्षी दल के साथ बातचीत विफल रहने के बाद एक बार फिर इन्हें लागू करने के लिए तेजी दिखी.
एसबी/एनआर (एपी)