आईवीएफ के जरिए जन्मी बछिया करेगी कम मीथेन उत्सर्जन
२ जनवरी २०२५'कूल काउज' परियोजना का उद्देश्य ही है ऐसी गायों को पैदा करना जो ग्रीनहाउस गैस मीथेन का कम उत्पादन करें. परियोजना से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि इससे डेरी उद्योग के नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचने में काफी मदद हो सकती है.
इस बछिया के जन्म को परियोजना से जुड़े डॉक्टरों ने "बेहद महत्वपूर्ण" घटना बताया है. स्कॉटलैंड के डंफ्रीज में जन्मी इस बछिया का नाम हिल्डा रखा गया है और यह लैंगहिल नाम के झुंड का हिस्सा है. ब्रिटेन का डेरी उद्योग 50 सालों से भी ज्यादा से इस झुंड के डाटा का इस्तेमाल कर रहा है.
इस पहल के कई फायदे हैं
हिल्डा इस झुंड की 16वीं पीढ़ी की पहली सदस्य है और आईवीएफ से पैदा होने वाली भी पहली सदस्य है. हिल्डा की मां के अंडों को एक प्रयोगशाला में फर्टिलाइज किया गया. वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रक्रिया की मदद से झुंड की अगली पीढ़ी पहले के मुकाबले आठ महीने पहले आ सकेगी. इस प्रक्रिया को दोहराया जाएगा.
वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे झुंड में 'जेनेटिक लाभ' की दर दोगुनी हो जाएगी और पहले से ज्यादा 'मीथेन-कुशल' पशुओं के चयन और प्रजनन की प्रक्रिया तेज हो जाएगी.
परियोजना में हिस्सा लेने वाले स्कॉटलैंड रूरल कॉलेज के प्रोफेसर रिचर्ड ड्यूहर्स्ट का कहना है, "दुनिया में डेरी उत्पादों की खपत बढ़ रही है और ऐसे में सस्टेनेबिलिटी के लिए मवेशियों का प्रजनन बेहद जरूरी है."
जल्द मिलेंगे हिल्डा के जैसे कई बछड़े
उन्होंने आगे कहा, "हिल्डा का जन्म ब्रिटेन के डेरी उद्योग के लिए संभावित रूप से एक बेहद महत्वपूर्ण लम्हा है. हम मौजूदा उत्पादन और पर्यावरणीय दक्षता सूचकांकों के साथ एक नए जीनोमिक मूल्यांकन के इस्तेमाल से उच्च वर्ग की मीथेन-कुशल गायों का चयन कर पाएंगे."
ड्यूहर्स्ट ने यह भी बताया कि कूल काउज परियोजना के तहत इन डोनर गायों से ज्यादा बछड़े पैदा करवाए जाएंगे जिससे तेजी से काफी मीथेन-कुशल बछड़ों के एक झुंड को तैयार किया जा सकेगा.
परियोजना के एक और साझेदार पैरागन वेटरनरी समूह के रॉब सिम्मंस ने बताया, "मीथेन कुशलता में जेनेटिक सुधार लोगों को पोषक भोजन मुहैया कराने के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है और साथ ही इससे भविष्य में पर्यावरण पर मीथेन उत्सर्जन के असर को नियंत्रित किया जा सकेगा." सीके/वीके (पीएमीडिया/डीपीए)