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राजनीतिबुरकिना फासो

खाने की तलाश में गईं दर्जनों औरतों को आतंकियों ने अगवा किया

१६ जनवरी २०२३

बुरकिना फासो के उत्तर में साहेल क्षेत्र से आतंकवादियों ने 50 से ज्यादा महिलाओं को अगवा कर लिया है. यह वारदात 12 और 13 जनवरी की बताई जा रही है. महिलाओं का अपहरण तब हुआ, जब वो जंगली फल बीनने बाहर गई थीं.

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बुरकिना फासो
बुरकिना फासोतस्वीर: Joe Penney/REUTERS

यह जानकारी साहेल के गवर्नर लेफ्टिनेंट कर्नल पी एफ रोडोल्फ सोरगो ने एक बयान जारी कर दी. उन्होंने बताया कि अपहरण के बारे में पता चलते ही महिलाओं की तलाश शुरू की जा चुकी है. इसके लिए हेलिकॉप्टरों की भी मदद ली जा रही है. गवर्नर ने कहा, "वो जंगली फल जमा करने बाहर गई थीं. इन पत्नियों को, मांओं को, बच्चियों को हथियारबंद लोगों ने उठा लिया."

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन ने सभी अगवा की गई महिलाओं की जल्द-से-जल्द बिना शर्त रिहाई की मांग की है. संगठन के प्रमुख वोल्कर टर्क ने अपने बयान में कहा, "मुझे चिंता है कि दर्जनों महिलाएं, जो कि अपने परिवार के लिए खाने की तलाश में बाहर गई थीं, दिनदहाड़े अगवा कर ली गईं. बुरकिना फासो में शायद यह पहला हमला है, जब जानबूझकर खास तौर पर महिलाओं को निशाना बनाया गया है."

महिलाएं चुकाती हैं युद्ध और संघर्ष में सबसे ज्यादा कीमत

बुरकिना फासो के एक बड़े इलाके में बेहद गरीबी है. खासतौर पर आतंकियों के कब्जे वाले इलाके में हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं. ब्लॉकेड के कारण लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम कर पाना बेहद मुश्किल है.

अफ्रीकी देश बुरकिना फासो 2015 से ही अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे आतंकी संगठनों की हिंसा का शिकार है. इसके कारण यहां हजारों लोग मारे जा चुके हैं और करीब 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. हिंसा को रोकने और इससे निपटने में सरकारों की नाकामी से यहां काफी नाराजगी है. इसी असंतोष से उपजी स्थितियों के कारण 2022 में दो सैन्य तख्तापलट हुए. पहला तख्तापलट जनवरी 2022 में हुआ. इसके आठ महीने बाद सितंबर 2022 में फिर से एक तख्तापलट हुआ. सत्ता में आए सैन्य नेतृत्व ने देश में सुरक्षा बहाल करने का आश्वासन दिया था, लेकिन वह भी अब तक हिंसा को रोकने के लिए संघर्ष ही कर रहा है.

लगातार बढ़ती ही जा रही है हिंसा

मानवाधिकार संगठनों से जुड़ी एक आंतरिक सुरक्षा रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2023 के दूसरे हफ्ते में करीब 116 सुरक्षा संबंधी वारदात दर्ज की गई हैं. यह आंकड़ा दिसंबर 2022 के आखिरी हफ्ते के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा है. आतंकी संगठनों ने देश के कई शहरों पर कब्जा किया हुआ है. लोगों और सामानों की आवाजाही भी वही तय करते हैं. करीब 50 हजार की आबादी वाला अरबिंदा शहर कई साल से आतंकियों के कब्जे में है. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, अगर महिलाएं इन इलाकों से निकलने की कोशिश करती हैं, तो उनके लिए खतरा बढ़ जाता है.

ओउस्माने डिआल्लो, मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के पश्चिमी और मध्य अफ्रीका के क्षेत्रीय ऑफिस में रिसर्चर हैं. वह बताते हैं, "बुरकिना फासो में यह बेहद चिंताजनक और गंभीर घटनाक्रम है, जो कि कब्जे वाले इलाकों में महिलाओं के लिए स्थितियां और खतरनाक बनाता है." ओउस्माने कहते हैं, "संघर्ष में शामिल सभी पक्षों को नागरिकों के अधिकारों और रोजी-रोटी कमाने के उनके हक की रक्षा करनी चाहिए. सरकार को इन कब्जे वाले शहरों में नागरिकों पर ज्यादा ध्यान देने और उनकी सुरक्षा के ज्यादा इंतजाम करने की जरूरत है, साथ ही महिलाओं और लड़कियों की हिफाजत के लिए खास इंतजाम करने चाहिए."

जिहादियों से लड़ते ऊंट सवार

डॉक्टर्स विदआउट बॉर्डर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में संघर्ष प्रभावित इलाकों में यौन हिंसा बढ़ने की बात कही थी. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे भी आरोप हैं कि हिंसा के कारण देश के भीतर विस्थापित हुए लोगों को सहायता देने वाले कुछ स्थानीय संगठन भी सेक्स के बदले खाद्य सहायता देकर लोगों के शोषण में शामिल हैं.

अफ्रीकी देशों में आतंकवाद

अफ्रीका में साहेल नाम का एक विशाल इलाका है. करीब 5,000 किलोमीटर के विस्तार में फैला ये क्षेत्र अफ्रीका की अटलांटिक तटरेखा से रेड सी तक फैला है. यह एक अर्ध-शुष्क इलाका है, जो कि उत्तर में सहारा रेगिस्तान को और दक्षिण में ऊष्णकटिबंधीय सवाना को अलग करता है. इसमें 10 देश आते हैं- कैमरून, चैड, नाइजर, नाइजीरिया, बुरकिना फासो, गाम्बिया, गिनी, माली, मॉरितानिया और सेनेगल.

अल-कायदा,  इस्लामिक स्टेट और बोको हराम जैसे आतंकी संगठन साहेल के कई हिस्सों पर नियंत्रण जमाने में लगे हैं. बुरकिना फासो भी इन्हीं हिंसा प्रभावित देशों में शामिल है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की फैक्टबुक के मुताबिक, यहां आईएस और अल-कायदा से जुड़े कई संगठन सक्रिय हैं.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की देशों की जानकारी और सुरक्षा स्थितियों से जुड़ी अडवाइजरी में बुरकिना फासो को लेवल चार की रेड लिस्ट में रखा गया है. इस श्रेणी में रखे गए देशों में यात्रा ना करने की सलाह दी जाती है. ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी अडवाइजरी में भी बुरकिना फासो ना जाने की सलाह दी गई है. अगर बेहद जरूरी हो, तो केवल राजधानी औगाडोउगोउ जाने, उसमें भी केवल शहर के बाहर नहीं, बस टोल बूथ तक ही जाने की हिदायत दी गई है. इसके अलावा देश के बाकी किसी हिस्से को सुरक्षित नहीं माना गया है. ब्रिटेन का यहां दूतावास भी नहीं है.

एसएम/ (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)

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