1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्या पाकिस्तानी सरकार कश्मीर पर नियंत्रण करना चाह रही है?

१ जनवरी २०२०

खबरें हैं कि पाकिस्तान सरकार पाक प्रशासित कश्मीर का कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाह रही है. कश्मीरी राष्ट्रवादियों ने इसका खुलकर विरोध किया है. भारत ने 5 अगस्त 2019 को भारत प्रशासित कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था.

https://p.dw.com/p/3VYWj
Pakistan | Solidaritätskundgebung Kaschmir
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Hassan

कुछ समय से कयास लगाए जा रहे हैं कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर, जिसे पाकिस्तान आधिकारिक रूप से आजाद कश्मीर कहता है, उसे पाकिस्तान की मुख्यभूमि में ही मिलाया जा सकता है. कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान, दोनों के बीच विवाद है. दोनों ही पूरे जम्मू कश्मीर के क्षेत्र पर दावा करते हैं. कश्मीर दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच तनाव का कारण रहा है. इसके अलावा तीसरा परमाणु शक्ति संपन्न देश चीन भी इसके कुछ इलाके पर दावा करता रहता है.

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के प्रधानमंत्री रजा फारुक हैदर खान ने कहा था कि वह इस इलाके के आखिरी प्रधानमंत्री हो सकते हैं. तब से कयास लगाए जा रहे हैं कि इस इलाके के विशेषाधिकार को खत्म कर इसे पाकिस्तान में मिलाया जा सकता है. भारत ने 5 अगस्त 2019 को भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया था. तब से दोनों देशों के बीच तनाव है. और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में कयासबाजी का दौर जारी है.

Pakistan Kaschmir Protest & Unruhen in Lahore
तस्वीर: AFP/A. Ali

चीनी निवेश भी वजह

कश्मीरी राष्ट्रवादियों को लगता है कि चीन द्वारा किया जा रहा निवेश एक बड़ी वजह है जिसके चलते पाकिस्तान कश्मीर को पूरी तरह मिला लेना चाहता है. चीन ने पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी प्रोजेक्टों में करीब 57 अरब डॉलर का निवेश किया है. यह किसी भी दक्षिण एशियाई मुल्क में चीन का सबसे बड़ा निवेश है. पाकिस्तान चीन को और निवेश करने के लिए मनाने में लगा है क्योंकि पिछले 18 महीने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बदहाली से जूझ रही है.

कश्मीरी राष्ट्रवादी पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहते हैं कि वहां की सरकार विदेशी निवेश के लिए कोई भी कदम उठा सकती है. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में सक्रिय राष्ट्रवादी संगठन जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के अध्यक्ष तौकीर गिलानी कहते हैं कि इस इलाके में चीनी निवेश के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं.

गिलानी कहते हैं, "चीनी लोग व्यापार के लिए कुछ भी कर सकते हैं. वे हमारे इलाके में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन वे सुरक्षा की गारंटी भी चाहते हैं. हमारे इलाके में निवेश करना खतरे से खाली नहीं है. इसलिए चीन पाकिस्तानी सरकार पर दबाब डाल रहा है कि इस इलाके का कानूनी दर्जा तय किया जाए. इस इलाके के विशेषाधिकार को खत्म करना इसका एक आसान तरीका है."

Kaschmir | Indien | Pakistan | Grenze | Chakothi
तस्वीर: AFP/Getty Images/A. Qureshi

गिलानी का मानना है कि ऐसा करने से यहां के लोगों में नाराजगी होगी. वह कहते हैं, "देखिए चीन ने श्रीलंका में क्या किया और वह अफ्रीका में क्या कर रहा है. यहां की सरकार चीनी निवेश के लिए इस इलाके का विशेषाधिकार खत्म कर दे, ऐसा हम कभी नहीं होने देंगे. हम एक आजाद कश्मीर चाहते हैं जो भारत और पाकिस्तान दोनों से ही आजाद हो."

कश्मीरी विश्लेषक जाहिद तबस्सुम भी गिलानी से सहमति जताते हैं. वह कहते हैं, "हम पहले ही दो परमाणु शक्तियों से घिरे हुए हैं. अगर पाकिस्तान अब हमारे इलाके में चीन को भी ले आएगा जो पहले से ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यहां निवेश कर रहा है, तो इससे अमेरिका और रूस जैसे देशों को भी हमारी जमीन पर कुछ भी करने की अनुमति मिल जाएगी. अगर पाकिस्तान सरकार ऐसा कोई कदम उठाती है तो उसका भारी विरोध होगा."

जब तबस्सुम से पूछा कि क्या 'आजाद' कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने का कोई पुख्ता प्लान सामने आया है? तबस्सुम का कहना है कि हमारे इलाके के सर्वोच्च पदाधिकारी यानी प्रधानमंत्री ने इसका खुलासा किया है और ये कोई स्लिप ऑफ टंग नहीं हो सकता है. वो कहते हैं, "इस तरह का जरूरी बयान गलती से निकला नहीं हो सकता. ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री को ऐसी योजना के बारे में बताया होगा. वो बस योजना बनाने वालों का नाम लेने से हिचक रहे हैं."

Kaschmir Pakistan Indien Jammu Kashmir Chakothi
तस्वीर: DW

पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर को तथाकथित आजाद दर्जा प्राप्त है. इस इलाके का अपना प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और संसद होती है. हालांकि आलोचकों का कहना है कि ये सब दिखावा है. असल ताकत पाकिस्तानी सरकार और सेना के ही पास है. अधिकतर वरिष्ठ नौकरशाह गैर कश्मीरी होते हैं जिन्हें इस्लामाबाद से भेजा गया होता है. इनकी जवाबदेही कश्मीरी संसद के प्रति नहीं होती.

राजनीतिक बंटवारा

कश्मीरी अकादमिक खालिक अहमद का कहना है कि ऐसी योजना को लेकर कश्मीरी राष्ट्रवादियों में चिंता है. वह कहते हैं, "कश्मीरियों के मन में एक ही भावना है कि वे ना तो भारत के साथ रहना चाहते हैं और ना ही पाकिस्तान के साथ में. वे आजद रहना चाहते हैं. बदकिस्मती यह है कि पाकिस्तान ने बड़ी संख्या में ऐसे लोग तैयार कर लिए हैं जो कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाए जाने के विचार का समर्थन भी कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब भी हमारी जमीन का एक बंटवारा ही है. इस बंटवारे का डर ना सिर्फ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के नागरिकों को है बल्कि भारत प्रशासित कश्मीर के लोग भी इस डर में हैं."

पाकिस्तान सरकार फिलहाल ऐसी किसी भी योजना से इंकार कर रही है. पाकिस्तान सरकार के वरिष्ठ नेचा इसाक खक्वानी ने कहा कि ये कयास एकदम गलत है. वे कहते हैं, "ये सब अफवाहें और कयास हैं. मुझे लगता है कि भारत ऐसी अफवाहें फैला रहा है. हम कश्मीर को मिलाने जैसी बात सोच भी नहीं सकते हैं. आखिर वह एक विवादित क्षेत्र है."

एस खान, इस्लामाबाद

_______________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore