मशरूम से बनाया गिटार
अमेरिका की कलाकार और इंडस्ट्रियल डिजाइनर मशरूम को सुखाकर उससे गिटार बना रही है, जो पर्यावरण और नये युग के संगीत के ज्यादा अनुकूल है.
मशरूम से बना नये युग का गिटार
रेचल रोजेनक्रांत्स मशरूम से गिटार बनाती हैं. प्रतिष्ठित रोड आईलैंड स्कूल ऑफ डिजाइन में पढ़ाने वालीं रोजेनक्रांत्स कहती हैं कि उन्हें मशरूम से बनी किसी चीज की पैकेजिंग को देखकर यह ख्याल आया.
कैसे बनता है गिटार
दरअसल, मशरूम को अगर सांचे में भरकर दो-तीन हफ्ते के लिए छोड़ दिया जाए वह पनीर जैसे गद्देदार पदार्थ में बदल जाता है. तब उसे सुखाकर किसी भी आकार में ढाला जा सकता है, जैसे कि गिटार.
संगीत और डिजाइन
पेरिस में जन्मीं रोजेनक्रांत्स खुद भी एक संगीतकार हैं लेकिन वह पेशेवर इंडस्ट्रियल डिजाइनर भी हैं और संगीत की दुनिया में नये डिजाइन लाने पर काम कर रही हैं.
यह नया जमाना है
वह कहती हैं कि म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाने के लिए जो मैटिरियल 400 साल पहले इस्तेमाल होता था, वैसा ही अब क्यों हो जबकि संगीत अब 400 साल पहले जैसा नहीं है.
बायोमटीरियल की ओर
रोजेनक्रांत्स प्लास्टिक से मुक्त इंस्ट्रूमेंट बनाने पर काफी समय से काम कर रही हैं. वह कहती हैं कि डिजाइन की दुनिया में अब हर कोई बायोमटिरियल पर काम कर रहा है और यह कोई नयी बात नहीं है.
लकड़ी क्यों नहीं
हालांकि लकड़ी भी बायोडिग्रेडेबल मटिरियल है लेकिन लकड़ी काटने के कारण जंगलों की बर्बादी एक बड़ी समस्या है. रोजेनक्रांत्स कहती हैं कि वह ऐसा कुछ बनाना चाहती थीं जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए.
मशरूम के फायदे
मशरूम की जड़ों में फफूंद का एक पूरा जाल होता है. उसे उगाना आसान है और सांचे में ढालना भी आसान है. खराब होने पर उसे आसानी से बदला भी जा सकता है.
नया सोचना होगा
मशरूम के अलावा वह ऐसी लकड़ियों के इस्तेमाल पर भी काम कर रही हैं जिन्हें अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा है जैसे कि पोपलर या बांस. वह कहती हैं कि हमें नयी संभावनाएं तलाशनी होंगी.
मशरूम से आवाज
लेकिन म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की सबसे अहम बात यानी, आवाज पर इसका क्या असर होता है. रोजेनक्रांत्स कहती हैं कि मशरूम से बने गिटार की आवाज थोड़ी भारी होती है लेकिन इससे नयी संभावनाएं निकलती हैं.