हफ्ते भर के भीतर मेक्सिको में दूसरे पत्रकार की हत्या
२४ जनवरी २०२२23 जनवरी को मेक्सिको में फिर से एक पत्रकार की हत्या कर दी गई. एक हफ्ते के भीतर यहां किसी पत्रकार की हत्या का यह दूसरा मामला है. यह वारदात उत्तरी मेक्सिको के सीमांत शहर तिखुआना में हुई. प्रशासन द्वारा जारी बयान के मुताबिक, पत्रकार लुरडेस मालडोनाडो लोपेज अपनी कार में थीं, जब बंदूक से उन पर हमला किया गया. लुरडेस 'प्रीमियर सिसटेमा डे नोटिसियास' (पीएसएन) समेत कई मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुकी थीं. पीएसएन के मालिक जेमी बोनिल्ला 2019 से 2021 तक 'बाजा कैलिफॉर्निया' के गवर्नर रह चुके हैं.
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
लुरडेस ने कुछ ही दिन पहले पीएसएन के खिलाफ एक मुकदमा जीता था. करीब नौ साल से वह पीएसएन के खिलाफ अनुचित तरीके से उन्हें नौकरी से निकालने का केस लड़ रही थीं. लुडरेस के मारे जाने की खबर सामने आने के बाद मेक्सिको में सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो सामने आया. यह वीडियो लगभग दो साल पुराना बताया जा रहा है.
इसमें लुरडेस अपनी जिंदगी पर खतरा बताकर मेक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेज मैनुअल लोपेज ओब्रादोर से मदद और न्याय की अपील कर रही हैं. यह वीडियो ओब्रादोर की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बनाया गया था. इसमें लुरडेस पीएसएन के मालिक और तत्कालीन गवर्नर जेमी बोनिल्ला के बारे में कहती हैं, "मैं छह साल से उनके साथ मुकदमा लड़ रही हूं."
'दी कमिटी टू प्रॉटेक्ट जर्नलिस्ट्स' नाम के एक गैर-सरकारी संगठन ने एक ट्वीट में लिखा, "लुरडेस मालडोनाडो की हत्या से हम सदमे में हैं. एक हफ्ते से भी कम समय में टिवाना शहर के भीतर यह दूसरे पत्रकार की हत्या है." संगठन ने प्रशासन से इस मामले की विस्तृत और पारदर्शी जांच करने की अपील की. मेक्सिको में इस संगठन के प्रतिनिधि जैन अल्बर्ट हूटसन ने कहा, "महज दो हफ्ते के भीतर मेक्सिको में पत्रकारों पर चार क्रूर हमले हो चुके हैं. मैं सदमे में हूं और डरा हुआ हूं."
जान का खतरा था, सुरक्षा भी मांगी थी
इससे पहले 17 जनवरी को फोटोजर्नलिस्ट अल्फांसो मार्गरिटो मार्टिनेज को तिखुआना शहर में उनके घर के नजदीक मृत पाया गया. मार्गरिटो 49 साल के थे. करीब दो दशकों से अपराध से जुड़ी खबरों पर काम कर रहे थे. उन्होंने कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के लिए काम किया था. मार्गरिटो के सिर में गोली मारकर उनकी हत्या की गई थी.
उनकी हत्या के बाद एक स्थानीय पत्रिका के संपादक अडेला नावारो ने 'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स' से कहा था, "मार्गरिटो क्राइम की खबरें करते थे. अपने काम के चलते अकसर उन्हें पुलिस के साथ दिक्कत होती थी." 2019 में पुलिस ने मार्गरिटो के उपकरण जब्त करने की कोशिश भी की थी. सहकर्मियों का कहना था कि मार्गरिटो को स्थानीय अपराधी गुटों से खतरा था. कई बार उन्हें धमकियां मिली थीं. उन्हें डर था कि उनकी जान ली जा सकती है. इसके चलते उन्होंने प्रशासन से सुरक्षा भी मांगी थी, लेकिन उनके आग्रह पर अमल नहीं किया गया.
चाकू मारकर हत्या
10 जनवरी को वेराक्रूज शहर में होसे लूइस गामबोआ नाम के एक पत्रकार और एक्टिविस्ट की भी हत्या हुई थी. उनके शरीर पर चाकू से कई बार वार किया गया था. गामबोआ का शरीर सड़क पर पड़ा रहा. करीब चार दिन बाद जानकर शव की पहचान हो सकी. गामबोआ की हत्या क्यों हुई, क्या उनके काम की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया, अभी यह पता नहीं चल सका है.
पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में मेक्सिको के हालात काफी खराब हैं. यह पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में गिना जाता है.'रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स'के मुताबिक, 2021 में यहां कम-से-कम सात पत्रकारों की हत्या हुई. कई मीडिया खबरों में यह संख्या नौ बताई गई. आरएसएफ द्वारा जारी किए गए 2021 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम सूचकांक में 180 देशों की सूची में मेक्सिको को 143वें नंबर पर रखा गया था.
पत्रकारों की हत्या पर कोई सख्ती नहीं
मेक्सिको में पुलिस पर अपराधिक गिरोहों और ड्रग कार्टल से सांठगांठ के आरोप लगते हैं. इल्जाम है कि गिरोहों के अलावा भ्रष्ट पुलिसकर्मी भी पत्रकारों को निशाना बनाते हैं. पत्रकारों की हत्याओं पर होने वाली जांच पर भी लीपापोती के इल्जाम लगते आए हैं. राजनैतिक और प्राशासनिक नेतृत्व में भी पत्रकारों की हत्याओं को रोकने और ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करने की इच्छाशक्ति नहीं दिखती है. यही वजह है कि ज्यादातर मामलों में दोषी कभी पकड़े ही नहीं जाते.
जानकारों के मुताबिक, स्थानीय राजनीति, पुलिस और ड्रग्स गिरोहों की सांठगांठ पर रिपोर्ट करने वाले पत्रकारों के मारे जाने या उन पर हमले होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. मेक्सिको में कानून-व्यवस्था की स्थिति आमतौर पर भी काफी खराब है. यहां हत्याओं का ग्राफ काफी ऊपर है. 2018 में यहां 36,685 हत्याएं दर्ज की गईं. 2019 में यह संख्या 36,661 थी. 2020 में होमिसाइड के 36,773 मामले दर्ज किए गए थे.
एसएम/आरएस (एएफपी)