मंकीपॉक्स के बारे में अब तक इतना पता है
साल 2022 में मई से अगस्त तक करीब 90 देशों में मंकीपॉक्स वायरस के इंसानों में संक्रमण के मामले सामने आए. जुलाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे इंटरनेशनल इमरजेंसी घोषित कर दिया. जानिए इसके संक्रमण पर लगाम कैसे लगे.
नया नहीं है मंकीपॉक्स वायरस
इसके संक्रमण का पहला मामला 1970 में पाया गया था. यह तस्वीर 1971 की है जिसमें अफ्रीकी देश लाइबेरिया की एक 4 साल की मरीज में वायरस ने ऐसे लक्षण दिखाए थे. भले ही इसका नाम मंकी यानि बंदर के ऊपर पड़ा है लेकिन संक्रमण केवल बंदरों से ही इंसानों में नहीं आता, बहुत से दूसरे जानवरों और इंसानों से भी आता है.
किसे है सबसे ज्यादा खतरा
संक्रमित हुए ज्यादातर लोग बिना किसी इलाज के ही कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं. लेकिन कुछ मामले गंभीर होते हैं जिनमें मरीज के मस्तिष्क में संक्रमण हो जाता है और उससे मौत भी हो सकती है. खासकर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और कैंसर, टीबी या एड्स जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को मंकीपॉक्स वायरस ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
कैसे फैल रहा है वायरस
अफ्रीका के बाहर इसके 98 फीसदी मामले उन पुरुषों में सामने आए हैं जो पुरुषों के साथ सेक्स करते हैं. आम तौर पर यह तब फैलता है जब किसी संक्रमित व्यक्ति की त्वचा से किसी और की त्वचा या त्वचा से मुंह का संपर्क हो. संक्रमित व्यक्ति के पहने कपड़ों या चादर वगैरह से भी दूसरे को संक्रमण हो सकता है. बहुत दुर्लभ मामलों में हवा से सांस के जरिए भी यह फैल सकता है.
क्या संक्रमण रोका जा सकता है
ऐसा करना संभव है क्योंकि वायरस बहुत आसानी से नहीं फैलता इसीलिए इसके कोरोना की तरह पैनडेमिक यानि महामारी बनने की संभावना कम है. इसके लिए दो डोज वाला एक टीका पहले से मौजूद है. हालांकि उसकी कम सप्लाई और केवल गिनी चुनी कंपनियों का इसका उत्पादन करना एक समस्या है.
यूरोप और अमेरिका में कहां से पहुंचा
वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप में दिखाई दे रहे मंकीपॉक्स के ताजा मामले अफ्रीका से नहीं पहुंचे हैं. वायरसों की जांच से पता चला है कि उनमें इन्हीं महाद्वीपों में कई बार म्यूटेशन हो चुका है. उनका अनुमान है कि वायरस तो कई महीने या सालों पहले ही अफ्रीका से वहां पहुंचे चुके थे और एंडेमिक के स्तर तक पहुंचने तक चुपचाप फैल रहे थे.
वायरस का अफ्रीका-कनेक्शन
सेंट्रल और वेस्ट अफ्रीका में कई दशकों से यह बीमारी एंडेमिक बनी हुई है. जंगली चूहे या गिलहरियों के संपर्क में आने से लोग संक्रमित होते हैं. गे और बायसेक्शुअल पुरुषों में सेक्स संबंध कम से कम अफ्रीका में इसके संक्रमण का कारण नहीं माने जा रहे है. बल्कि पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में नए संक्रमणों के 40 फीसदी मामले महिलाओं में आये हैं.
कहीं कम तो कहीं ज्यादा जानलेवा है वायरस
मंकीपॉक्स की जो किस्म यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैली है उससे जान जाने का खतरा बहुत कम है. वहीं अफ्रीका में जैसा वायरस फैला है वह कहीं ज्यादा जानलेवा है. अफ्रीका में अब तक कम से कम 100 लोगों की इससे जान जा चुकी है. वहीं जिन देशों में यह वायरस नया नया पहुंचा है वहां भी कुछ लोगों की जान जाने की खबरें आ रही हैं.