म्यांमार: 9 हजार से अधिक कैदियों को मिली माफी
४ जनवरी २०२४म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार को गिराने के बाद आपातकाल घोषित कर दिया गया था. इस दौरान हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गुरुवार को म्यांमार की सैन्य प्रशासन परिषद ने ऐलान किया कि वह देश के स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ के मौके पर नौ हजार से अधिक कैदियों को रिहा कर रही है.
सैन्य जुंटा ने यह घोषणा ऐसे समय पर की है जब उसे देश के उत्तर में विद्रोही समूहों के बढ़ते प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है. विश्लेषकों के मुताबिक जातीय सशस्त्र समूहों के एक गठबंधन ने कहा है कि उसने चीन के साथ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों और बॉर्डर केंद्रों पर कब्जा कर लिया है. विश्लेषक इसे सैन्य जुंटा के लिए एक गंभीर खतरा बताते हैं.
जुंटा प्रमुख ने इस बार भाषण नहीं दिया
म्यांमार में हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राजधानी नेपिदॉ में एक सैन्य परेड का आयोजन होता है और उसके बाद जुंटा प्रमुख जनरल मिन ऑन्ग लैंग का संबोधन होता है. लेकिन इस बार जुंटा प्रमुख इस मौके पर गैरहाजिर रहे और उनकी जगह एक जूनियर ने पहले से तैयार भाषण पढ़ा.
म्यांमार की राज्य प्रशासन परिषद ने गुरुवार को कहा कि लोगों की "शांति और मानवीय" आधार पर म्यांमार के 9,652 और अन्य देशों के 114 कैदियों की सजा माफ कर दी गई. पिछले साल देश के स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर 7,012 कैदियों को माफी दी गई थी.
गुरुवार को यंगून में रिहाई पाने वाले कैदियों के परिवार के कई सदस्य जेल के बाहर मौजूद थे और वे उनकी रिहाई को लेकर भावुक नजर आए. कैदियों को बसों में सवार कर जेलों से बाहर लाया गया और उन्होंने अपने रिश्तेदारों की ओर हाथ हिलाकर खुशी का इजहार किया.
राजनीतिक कैदियों की रिहाई की जानकारी नहीं
हालांकि, इस बात का फौरन कोई संकेत नहीं मिला कि रिहा होने वालों में राजनीतिक बंदी भी शामिल हैं. साल 2022 में म्यांमार की एक अदालत ने सैन्य तख्तापलट का विरोध करने वाले चार कार्यकर्ताओं को फांसी सजा दी थी. उस वक्त कहा गया था कि इन चारों को आतंकवाद के तहत हिंसक और अमानवीय हत्याएं करने के लिए सजा दी गई. म्यांमार में तख्तापलट कर सत्ता हथिया लेने के बाद से ही सैन्य सरकार पर लोकतंत्र समर्थकों का दमन करने के आरोप लगते रहे हैं.
देश में जारी लड़ाई और आर्थिक बदहाली की वजह से हिंसा, विस्थापन और गरीबी में तीव्र उछाल आया है. अप्रैल 2023 में विश्व बैंक के डाटा के मुताबिक करीब 40 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे बसर कर रही है.
एए/सीके (एएफी, रॉयटर्स)