चीन के बाजार में बेहतर पहुंच चाहता है नेपाल
१५ मार्च २०२३नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने चीन से यह अपील की है. उन्होंने काठमांडू में एक कारोबार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि "नेपाल का चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा और चीन से घोषणा और असली निवेश के बीच फर्क" कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनके लिए एक व्यावहारिक समाधान की जरूरत है.
सम्मेलन का आयोजन नेपाल के व्यापार संगठन (सीएनआई) और काठमांडू में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने वाले चीनी संगठन (सीसीपीआइटी) ने किया था. दहल ने यह भी कहा कि नेपाल ने अपने कई उत्पादों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए भी चीन से मदद मांगी है और साथ ही चीन में नेपाली सब्जियों, मांस उत्पादों, चाय और हर्बल उत्पादों समेत 512 नेपाली उत्पादों के लिए ड्यूटी फ्री पहुंच की भी मांग की है.
दहल ने कहा, "व्यापार विकास का इंजन है और भविष्य में हमारी समृद्धि अपने उत्पादन और व्यापार को बढ़ाने में ही निहित है." करीब तीन करोड़ की आबादी वाला नेपाल पारंपरिक रूप से आर्थिक समर्थन और व्यापार के लिए भारत की तरफ देखता आया है, लेकिन यातायात, व्यापार और ट्रांजिट समझौतों के जरिए चीन का नेपाल को रिझाना बढ़ रहा है. भारत में इसे लेकर बेचैनी भी है.
लेकिन चीन के साथ नेपाल का व्यापार घाटा काफी बड़ा है. 2021 में चीन से नेपाल में आयात होने वाले सामान का मूल्य 2.38 अरब डॉलर था लेकिन 2022 में यह गिर कर 1.84 अरब डॉलर रह गया. वहीं चीन को नेपाल से निर्यात होने वाले सामान का मूल्य 2021 में 83.7 लाख डॉलर था जो 2022 में गिर कर 53.9 लाख डॉलर पर पहुंच गया. गिरावट के बावजूद आयात निर्यात से बहुत पीछे है.
चीन नेपाल के इंफ्रास्ट्रक्चर में चोटी के निवेशकों में से है. हालांकि व्यापार अधिकारियों ने बताया कि अभी भी नेपाल के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जहां चीन की सिर्फ 14 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वहीं भारत का हिस्सा करीब 66 प्रतिशत है. लेकिन 2016 में चीन ने नेपाल को दूसरे देशों के साथ व्यापार करने के लिए चीनी बंदरगाहों का इस्तेमाल करने की भी अनुमति दे दी थी.
चीन काठमांडू और तिब्बत को जोड़ने वाली एक रेल सेवा बनाने में भी नेपाल की मदद करने वाला है. अधिकारियों का कहना है कि चीन नेपाल समेत सबसे कम विकसित देशों से 8,030 को ड्यूटी फ्री और कोटा फ्री प्रवेश की पहले से इजाजत देता है.
सीके/एए (रॉयटर्स)