खनिज भंडार बनाएगा यूरोप को ई-कार उत्पादन का बड़ा खिलाड़ी
२७ जनवरी २०२३उत्तरी फिनलैंड के जंगलों के बीच के हिस्सों को स्थानीय लोग भूख का इलाका बुलाया करते थे. लेकिन भूविज्ञानियों को यहां निकल और कोबाल्ट का बड़ा भंडार मिलने के बाद स्थिति बदल गई. ये खनिज संसाधन ई-कार की बैटरियों के उत्पादन के लिए बहुत जरूरी हैं. इसका बाजार काफी बड़ा है. यहां ऑपरेट कर रही कंपनी टेराफेम दुनियाभर में कच्चा माल बेचती है. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर यॉनी लुकारोइनेन के लिए मांग पूरी करना मुश्किल हो रहा है.
टेराफेम फिलहाल एशिया और खासकर चीन को निर्यात करती है. यॉनी लुकारोइनेन निर्यात की दिशा बदलना चाहते हैं. वह बताते हैं, "निजी तौर पर मेरी इच्छा है कि हम बैटरियां बनाने के लिए जो कच्चा माल बना रहे हैं, उसका ज्यादातर हिस्सा जर्मनी या फ्रांस या स्वीडन में बन रही कारों में इस्तेमाल हो. हमारा उत्पादन सालाना 10 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने के लिए पर्याप्त है. कमोबेश इतनी ही इलेक्ट्रिक गाड़ियां अभी यूरोप में बन रही हैं."
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स्कैंडिनेविया में खनिज का बड़ा भंडार
टेराफेम कंपनी यूरोप में सबसे बड़ी निकल खदानों में से एक को ऑपरेट करती है. माना जाता है कि स्कैंडिनेविया में बड़ा खनिज भंडार है. यूरोप की योजना जल्द ही पूरी तरह ई-कार का उत्पादन करने की है. ऐसे में इन कारों की बैटरियां बनाने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में निकल की जरूरत पड़ेगी. अब तक चीन ई-कार की बैटरियों में लगने वाले कच्चे माल के बाजार पर हावी रहा है. ग्रैफाइट रिफाइनिंग का 100 फीसदी काम चीन में होता है. ज्यादातर मैग्नीज प्रॉसेसिंग भी चीन में होती है. कोबाल्ट, निकल और लिथियम रिफाइनिंग का भी बड़ा हिस्सा वहीं होता है.
फिनलैंड में खदान से निकाला गया खनिज अयस्क जमीन के ऊपर खास तरह के भंडारों में रखा जाता है. ये नम और गरम होते हैं. प्रक्रिया के दौरान इनसे भाप भी निकलती है. ऐसा इसलिए कि जीवाणु पत्थरों से खनिज संसाधन निकालने में मदद करते हैं. विशेषज्ञ इस प्रक्रिया को बायोलॉजिक लीचिंग या बायोलीचिंग कहते हैं. इस प्रक्रिया को पूरा होने में चार साल लगते हैं.
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पारंपरिक उत्पादन में अयस्क को बेहद ऊंचे तापमान पर पिघलाया जाता है. धातु निकालने के इस पारंपरिक तरीके में काफी ऊर्जा खर्च होती है. ऐसे में इसका कार्बन फुटप्रिंट भी काफी ज्यादा होता है. मगर फिनलैंड की खदानों में इतने ज्यादा कार्बन फुटप्रिंट वाली प्रक्रिया की जरूरत नहीं है. वहां ऊर्जा की बचत करके कार्बन फुटप्रिंट घटाने का वैकल्पिक तरीका इस्तेमाल किया जा रहा है. इसकी अहमियत बताते हुए लुकारोइनेन कहते हैं, "हमारे कार्बन फुटप्रिंट का औसत, इंडस्ट्री के सामान्य औसत से करीब 60 फीसदी कम है. हमारे ग्राहकों के लिए यह बेहद जरूरी पक्ष है. "
फिनलैंड में लगातार बढ़ता निकल उत्पादन
टेराफेम दुनिया की सबसे बड़ी खनन कंपनियों में नौवें नंबर पर है. कंपनी को भविष्य से काफी उम्मीदें हैं. लुकारोइनेन कहते हैं कि उन्हें फिनलैंड में ई-कार बैटरियों के उत्पादन में आई तेजी महसूस हो रही है. बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की फिनलैंड में बढ़ती दिलचस्पी के बारे में बताते हुए वह कहते हैं, "जर्मन बीएएसएफ हरयावाल्ता में पीकैम उत्पादन के लिए एक प्लांट लगा रहा है. बड़े उत्पादकों में से एक यूनिकोर भी फिनलैंड में सक्रिय है. तो फिनलैंड के पास खनन का बड़ा ठिकाने बनने के तमाम बड़े मौके हैं."
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हालिया सालों में फिनलैंड के निकल खनन उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है. 2015 से 2018 के बीच सालाना उत्पादन में हर साल वृद्धि दर्ज की गई. 2018 में करीब 43.6 हजार मीट्रिक टन निकल का उत्पादन हुआ, जो पूरे दशक में सबसे ज्यादा है. 2019 में हल्की गिरावट आई, लेकिन 2020 से सालाना उत्पादन दोबारा ऊपर उठ रहा है. 2021 में यहां निकल उत्पादन की कुल मात्रा 42.1 हजार मीट्रिक टन थी, जो कि 2020 के मुकाबले करीब 1.7 फीसदी ज्यादा था.
फिनलैंड में कार बैटरियों के लिए जरूरी खनिज संसाधन खूब है. कई खदानों की तो अब तक पड़ताल भी नहीं हुई. मतलब कि उत्तरी यूरोप में मौजूद खनिज भंडार इतना बड़ा हो सकता है कि यूरोप के ई-बैटरी उद्योग की चीन से आयात पर निर्भरता घट सकती है.